Book Title: Aadikal ka Hindi Jain Sahitya
Author(s): Harishankar Sharma
Publisher: Harishankar Sharma

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Page 1041
________________ इसमें वह नाचिन पदों की पुनरावृत्ति इसकी गेयता का प्रमाण है वस्तुतः और विभिन्न देशी छंदों के विकास में पेथहरास का इन प्राचीन देवी महत्व विस्मरणीय रहेगा। ११२ # पेड़ राम की ही भांति कब्यूलीराज में दो महत्वपूर्ण देशी ढालें है जिनमें पक दोहे की तथा दूसरी कोई दिवपदी है। ये विपदियां सन्तवेत्रीय राज (कडी १-१८) उमरा भाषा में १४ दिवपदी पच पान्डव चरित राष्ट्र में coast at में एक मिश्रध । दिवपदी और एक चौपाई) आदि काव्यों में प्रयुक्त हुई है। इनमें शब्दों का बार बार आवर्तन इनकी प्रमुख विशेषता है। एक उदाहरण मत्वर्थ भाल होगा: (स) दिवपदी डाल सेवर हि रहिने वे गुरु विधि बंडो विess बाबत परवलिये, पीप लंबी लंबी बंडु पथंडो व रिता मिल्किरि होइ गर क वाइट की मंडवडे विकी र वीर विक arefree frigeीन उर ठरंतु मी भाची रहिमतीय डोडर डीम्ड पर बाची शुरू की वहतु की बी मराठी गरिबी, परि नया नदी के प्रो० बेलकर ने इसकी ममता यति और संगीतात्मकता के १० ००

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