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इसमें वह नाचिन पदों की पुनरावृत्ति इसकी गेयता का प्रमाण है वस्तुतः और विभिन्न देशी छंदों के विकास में पेथहरास का
इन प्राचीन देवी
महत्व विस्मरणीय रहेगा।
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पेड़ राम की ही भांति कब्यूलीराज में दो महत्वपूर्ण देशी ढालें है जिनमें पक दोहे की तथा दूसरी कोई दिवपदी है। ये विपदियां सन्तवेत्रीय राज (कडी १-१८) उमरा भाषा में १४ दिवपदी पच पान्डव चरित राष्ट्र में coast at में एक मिश्रध । दिवपदी और एक चौपाई) आदि काव्यों में प्रयुक्त हुई है। इनमें शब्दों का बार बार आवर्तन इनकी प्रमुख विशेषता है। एक उदाहरण मत्वर्थ भाल होगा:
(स) दिवपदी डाल
सेवर हि रहिने वे गुरु विधि बंडो
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पीप लंबी लंबी बंडु पथंडो
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