Book Title: Aadikal ka Hindi Jain Sahitya
Author(s): Harishankar Sharma
Publisher: Harishankar Sharma

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Page 1021
________________ १७२ की निम्पत्ति होती है तथा उसमें ये शाल वृत्त अधिक बोग के है। वस्तुतः यह कहा या पमा है कि संगीत के अधिक उपयुक्त होने के कारण ही इन वृत्तों में काव्य रचना अधिक हुई और ये मात्रिक वृत्त लोक प्रबलित मी खूब हुए। जैन सामों को दो मा मा कर साहित्य मिमीय तथा धर्म प्रचार कसा था म ये मानामों वाले छ ही जन साधारण की बस्तु बने। H INov Time aloment and streas ) पर ही इन बाल इत्तों का संगीत निर्मर था। बाल गीत के समय के मूह में ये बालत्व की थे। इस तथ्य की पुष्टि प्रो. वेलणकर में भी की है। अपज था अपप्रवितर काल में वाहनों पुष्ट बाल संगीत जन सभा में बहुत अधिक प्रगति था इन संवों इबारा रसोद्रेक भी हो सकता था। मत: गेय और निश्वित बालगण एवं मानागयों में बंध होने से जनता ने सास संगीत की जल्दी अपना लिया। इन बातों में गाव का मय समय पर मना यति कहलाता है। यह बातों में मामानों इबारा निर्मित होती है जिसमें समय त्य (rine-slemant ) का पूर्व प्यान रखा गता है। रेवा अनेक बालगनों में बंट गाते हैं। प्रत्येक शब्द की अपनी मात्रा होती है और प्रत्येक मागा इवारा बाल विधारित होते समय का उपयोग इन भाषाओं में चोर याबामाधार पर बीच मेष्टि सामानों के बारा पनाम होने के कारण ही इस हतों को मापाड मा क्या। The origin of the Tala aangita and the Tala vratte which are allanted to1t10100Rssertiy popular. They both being to thenned, Theathsomreenot datisht in thta Telu Bengatathe.streatneetmntattonst the regularly remur in rest and this is done with the belp of time element, Thereasingemetricatungamataturally have comatomatin thentihaarit, this is known as ata. 1 Samarit metrol, la Sangkrit and Prak at netres which aret able u n teeursatirregular interwala, thomch thennattaraadhred by the practice of the posta Otheenatest versartar the lapeeotadefinite horottimomentscalled theatras. वही .

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