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कवक मारका का दिल्य
जहां तक इन रचनाओं के हिप का सम्बन्ध है ये कुछ निश्चित नियमों से ही बनाई जाती है। इनके विल्प सम्बन्धी कुछ आवश्यक तत्व हैं वे इस प्रकार है:१- मे रचनाएं वर्णमाला से प्रारम्भ होती है।
२ इसमें स्वर और व्यंजन दोनों है ही विविध पदों का प्रारम्भ किया जाता है। ३- इन भारों में प्रत्येक अक्षर से प्रारम्भ होकर (अवर अनुक्रम से रखे हुए) ५१ वरों वाले ५१ पद लिखे जाते है।
४- ये रचनाएं विविध छन्दों में लिखी जाती है।पद का प्रारम्भ पहले से
होता है जिनमें या तो से होता है या प्रथम स्वर
५- इन पदों को किसी भी क्या कि रास कथई, उपदेश तथा नीति प्रधान बस्तु में बांधा जा सकता है।
६- इनरचनामों के हिप में शाम उपवेद के साथ साथ नक्रोक्ति, कटाव तथा उम्र विचारों का प्रकाशन भी मिलता है।
बालक के प्रारम्भिक क्षण की इसके शिल्प में पहले ध्यान रखा जाता है अतः बालक सामान्यत: पहला वर किस प्रकार याद रक्खे व क्या याद रक् उसी का पहले विवेचन करती है।
८- इनमें जावन अवरों का विस्तार होता है और डिरेक्वा मार परब्रम है। बावन कारों का दूसरा नाम माइका या बावली है।
९- इस प्रकार इन अक्षरों का ज्ञान कराने के लिए इन पदों में काव्यगत सरता क्या अथवा नीति का समावेव होता है, जिसे कठिन विषय भी तरल हो बाडा है।
१०. इमरबनावों में पों को मगस्कार किया गया है वह नाम बहुधा क्लिक होता था जो आज भी बोला जाता है।
११- इस प्रकार है ॐ नमो ि
t- nyre, वर्ष ५ अंक १९-२० ० ४९४ ।