________________
८१६
- नर नारी संबोध
विषय प्रधान रचनाओं में ५वीं स्वाब्दी की एक सुन्दर एवं उपदेश प्रधान काव्य- नर नारी सम्बोध- मिलता है। रचना को श्रीलालबन्द्र भगवान गाधी में बहुत वर्षी पूर्व ही गुजराती भाषा में प्रकाशित कर दिया है।कृति के रचनाकार का नाम कहीं नहीं मिलता है। रचना का प्रारम भंगलाचरण से ही किया गया है। कवि मेरचना परिच्छेदों अथवा अब्दो के स्थान पर प्रबन्ध शबद प्रयुक्त वि ।
बोध नाम उपदेश के लिए प्रयुक्त किया है।क्यों कि पूरा काव्य ही उपदेश प्रधान ज्या संसार की नश्वरता एवंआध्यात्मिकता की और उन्मुश होने के कारण ही बोध नाम अपिडित किया है। रमा की प्रतियां जैसलमेर के तपागा उपाया के प्राचीन पुस्तक मंडार मा काठियावाड़ के कीडी मंडार में मिलती है। कृति के संग्राहक मुनि श्री सम्पदाविय तथा संशोधक क्या अनुवादक श्री लालबन्द्र भगवान वास गाधी है। बाज से २५ वर्ष पूर्व यह रना श्री गाधी में प्रकाशित की भी।
मर मारी गोषमयावधि प्रान शनियों में अपने ही प्रकार का भूग काव्य।पूरी रखना है। प्रत्येक प्रवन्ध २५ पड़ा है। र मामा के साथ साथ कवि ने प्राकृत और कृषी कापी प्रयोग किया है। जिसमें पुरानी हिन्दी - प्रा . के. पदयों का प्रयोग मिला।
गबीमामा सका पूर्वमा बाहित्यिक सरसता से युक्त कारनामेपोटेकवी भाग लिवा सकते है:
मारी बोष
me
e
-
ma
-man
र भारी बोध: गायक पनि सम्पदवियोधक और अनुवाबा कालखंड
र मवान माची, प्रकाशक सेठ नामकन्दमूलवेव कोठीपाल बडोदरा,