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मोहरिते सच्चवयणस्स पलिमंथू ( ठाणंगसुत्त, ५२९)
'मुखरता सत्यवचननी विघातक छे'
अनुसंधान प्राकृतभाषा अने जैनसाहित्य-विषयक सम्पादन, संशोधन, माहिती वगेरेनी पत्रिका
५१
सम्पादकः विजयशीलचन्द्रसूरि
श्रीहेमचन्द्राचार्य
कलिकालसर्वज्ञ श्रीहेमचन्द्राचार्य नवम जन्मशताब्दी स्मृति संस्कार शिक्षणनिधि
अहमदाबाद २०१०
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आद्य सम्पादक: डॉ. हरिवल्लभ भायाणी
सम्पादकः विजयशीलचन्द्रसूरि
सम्पर्कः C/o. अतुल एच. कापडिया A-9, जागृति फ्लेट्स, पालडी
महावीर टावर पाछळ
अमदावाद - ३८०००७
फोन : ०७९-२६५७४९८१
प्रकाशक:
अनुसन्धान ५१
कलिकालसर्वज्ञ श्रीहेमचन्द्राचार्य नवम जन्मशताब्दी स्मृति संस्कार शिक्षणनिधि,
अहमदाबाद
प्राप्तिस्थानः (१) आ. श्रीविजयनेमिसूरि जैन स्वाध्याय मन्दिर १२, भगतबाग, जैननगर, नवा शारदामन्दिर रोड, आणंदजी कल्याणजी पेढीनी बाजुमां,
अमदावाद - ३८०००७
मुद्रक:
मूल्य: Rs. 80-00
(२) सरस्वती पुस्तक भण्डार ११२, हाथीखाना, रतनपोल,
अमदावाद - ३८०००१
क्रिश्ना ग्राफिक्स, किरीट हरजी भाई पटेल ९६६, नारणपुरा जूना गाम, अमदावाद - ३८००१३ (फोन: ०७९-२७४९४३९३)
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निवेदन
अनुसन्धाननी यात्रानो आ एकावनमो पडाव छे. आ अंकमां पूर्व प्रकाशित १ थी ५० अंकोनी सामग्रीनी वर्गीकृत सूचिओ आपवामां आवी छे. सूचि ए संशोधन माटेनुं एक महत्त्वपूर्ण सन्दर्भ - साधन छे. कृति विषे, कर्ता विषे, कृति क्यां-क्यारे प्रगट-अप्रगट ते विषे जाणकारी मेळववानुं सूचि ए श्रेष्ठ साधन छे. संशोधको माटे तो मोटा आशीर्वादरूप ज ते गणाय.
अहीं आपेल सूचि कर्तावार, कृतिवार, विषयवार एम विविध प्रकारे तैयार करवामां आवेल छे. ओना परथी 'अनुसन्धाने' ५० पडावोमां केवुं - केटलुं प्रदान कर्तुं छे तेनो विगतपूर्ण आलेख अवश्य मळी रहेशे.
आ सूचिओ तैयार करवानुं कंटाळाजनक बनी रहे तेवुं काम मुनिश्री धर्मकीर्तिविजयजी तथा मुनिश्री त्रैलोक्यमण्डनविजयजीए करी आप्युं छे. आ अंकनुं प्रूफवाचन पण तेओए ज करेल छे.
'अनुसन्धान' नी घणी घणी मर्यादाओ छे. ते विषे तेमज केटलीक त्रुटिओ विषे ते सम्पूर्ण सभान छे ज. तेम छतां, तेनी आ शोध - यात्रा धीमी पण अविरत गतिए चालु रही शकी छे, ते मोटुं समाधान छे. अस्तु.
- शी.
—
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अनुक्रम संशोधकनुं कर्तव्य : "आसनसों मत डोल" विजयशीलचन्द्रसूरि
१
अनुसन्धान ५०(१)मां छपायेली
बे कृति विशे
मुनि त्रैलोक्यमण्डनविजय
सिलास पटेलिया
एक पत्र
Bhattakāle upatthite :
An Example of a "Mistranslation” in the Pāli Canon
Yajima Michihiko
माहिती : नवां प्रकाशनो
सूचि
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जून २०१०
१
संशोधकनुं कर्तव्य : " आसनसों मत डोल”
ताजेतरमां एक साधु महाराजे प्रश्न उपस्थित कर्यो : “शुं संशोधकोनो आ ज धर्म हशे के गुंचवाडा ज ऊभा करवा ?"
पूर्वापर सन्दर्भो तपासतां जाणी शकायुं छे के पोतानी अमुक गलत तेमज अज्ञानजनित मान्यता पर प्रहार थतो जोईने तेमने खराब लागी जवाने कारणे तेणे आवो प्रश्न उठाव्यो जणाय छे.
मांडीने वात करीए. बन्युं छे एवं के जैन श्रमण परम्परानुं अने केटलीक ऐतिहासिक घटनाओनुं वर्णन करती एक नानकडी कृति छे - हिमवंत थेरावली. थोडा दायका अगाऊ ते प्रकाशमां आवी, अने विद्वानो तेने हिमवंताचार्यनी रचना मानी लीधी. परन्तु आ एक आधुनिक रचना होवानुं, ए ज विद्वानोने, पाछळथी, तेनां बाह्यान्तर परीक्षणो करवाथी प्रतीत थयुं, अने तेओए तेना आधारे इतिहासनां तथ्योने मूलववानी वृत्ति पर पडदा पाड्यो, जे उचित ज गणाय. ‘अनुसन्धान - ४६ 'मां आ विषे विस्तारपूर्वक नोंध लखवामां आवी, जेथी तथ्योनी जाणकारी सर्वने मळी रहे. आशय एटलो ज के आधुनिक रचनाने प्राचीन गणीने चालवाथी उत्पन्न थयेला अने थता गुंचवाडा दूर थाय. परन्तु संशोधन अने संशोधक ए बे शब्दोथी सदैव भडकता रहेला साधुमित्रने ए आशय न समजायो होय, के पछी पोतानी कोई मान्यता तथा आ विषयने केन्द्रमां राखीने लखेल इतिहास-ग्रन्थ खोटां पुरवार थवानी भयग्रन्थिथी प्रेराईने होय; तेमणे एक ठेकाणे निम्न भाषामां लख्यं
" गुंचवाडानो एक नमूनो जोवा जेवो छे. श्रीपुण्यविजयजी बृहत्कल्पसूत्र भाग ६ ना आमुखमां पृ. १८ थी १९ उपर जणावे छे के आ उपरांत 'हिमवंत थेरावली'मां नीचे प्रमाणेनो उल्लेख छे. आचाराङ्गसूत्र उपरनी टीकाना प्रारम्भमां ‘शस्त्रपरिज्ञाविवरणमतिबहुगहनं च गन्धहस्तिकृतं' एम जणाव्युं छे ते जोतां हिमवंत थेरावलीनो उल्लेख तरछोडी नाखवा जेवो नथी.
आ रीते एक बाजु श्रीपुण्यविजयजी हिमवंत थेरावलीनी आधारभूततानो संकेत आपे छे त्यारे बीजी बाजु शी. एवा टुंकाक्षरी नामवाळा कोई अनुसन्धानकार पोताना कोई लेखमां आक्रोशपूर्वक हिमवंत थेरावली प्रत्ये
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अनुसन्धान ५१
पोतानी अश्रद्धा रजू करतां एम लखे छे के डॉ. मधुसूदन ढांकी साथेनी चर्चा दरम्यान तेमने (तेमणे) कर्वा के आ लेखने पहेलां तो बहु महत्त्व अपायुं पण पछी पुण्यविजयजी महाराजे कडं के 'आ तो बनावटी रचना छे' – प्रश्न थाय के शुं संशोधकोनो आ ज धर्म हशे के गुंचवाडा ज ऊभा करवा ?" (ले. जयसुन्दरसूरि, "२०मी सदीनी अलौकिक व्यक्ति' पुस्तकमां)
__ पोतानी मान्यताने तेमज तेना समर्थनमां पोते लखेल-लखावेल कल्पित इतिहासने खोटां पुरवार करता लेखने 'आक्रोश' तरीके कोई माणस मूलवे तो ते तो सहेजे समजाय तेवू छे. कारण के बधुं ज छूटी शके, पण मान्यतानी अने मतनी ममत तो कोईक वीरला ज छोडी शके ! परन्तु "शी. एवा टुंकाक्षरी नामवाळा कोई अनुसन्धानकार" आवा शब्दो लखीने तो ए मित्रवर्ये पोतानी मानसिकताना स्तरनो असल परिचय तो अवश्य आपी दीधो छे ! खेर, आपणे स्तरीय संशोधन-विमर्श करीए ते ज आ तबक्के आवश्यक छे.
संशोधन एटले सत्य अने तथ्य- प्रकाशन. 'संशोधन एटले परम्पराप्राप्त मत-मन्तव्य-मान्यतानुं खण्डन ज 'एवो अर्थ हरगीझ नथी; न थई शके. संशोधन ए तो, परम्परा द्वारा स्वीकारायेला कोई तथ्यमां क्वचित् गरबड होय, भ्रान्ति प्रवेशी होय, अने तेथी खराने खोटुं अने खोटाने खलं मानवामां आवतुं होय तो तेनुं निरसन-निराकरण करीने ते तथ्यने तेना यथातथ स्वरूपे पुनः प्रस्थापित करती एक प्रक्रिया मात्र छे. आ प्रक्रिया हमेशां प्रमाणोनी-पुरावा अने साबितीओनी अपेक्षा सेवे छे. वगर प्रमाणे कोई वातने स्वीकारी लेवी ए संशोधन-प्रक्रियाने मंजूर नथी होतुं. तो, कोईवार कोई प्रमाणो वडे कोई बाबतनी स्थापना थई गई होय, परन्तु कालान्तरे ते स्थापनाने अन्यथा ठेरवे तेवां नवां-बीजां प्रमाणो अथवा परीक्षणो उपलब्ध थाय, तो पेली-आपोआप खोटी ठरती-स्थापनाने जिद्दपूर्वक वळगी रहेवू, ए वात पण संशोधन प्रक्रियाने माफक आवे तेवी नथी.
आथी, हिमवंत थेरावली प्रथमवार ध्यान पर-हाथमां आवी होय अने कांईक नवीन ने विलक्षण मळयाना उत्साहमां तेने प्रमाणभूत गणीने पुण्यविजयजीए कोईक विधान कर्यु होय; परन्तु पाछळथी, तेनां बाह्यान्तर-परीक्षणो द्वारा ते थेरावली, ज्ञानभण्डारोमां उपलब्ध अन्य असंख्य पट्टावलीओनी जेमज, कोईक
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जून २०१०
द्वारा रचायेल आधुनिक / अर्वाचीन लेख होवानुं प्रतीत थयुं होय अने तेथी तेने हिमवदाचार्य जेवा क्षमाश्रमण साधुपुरुषनी रचना समजीने करेलां विधानोमां पीछेहठ के परिवर्तन तेओ करे, तो तेने "गुंचवाडो ऊभो करे छे" एवं कहेवामां कहेनारनी अज्ञता अने संशोधन तथा संशोधक परत्वेनी गेरसमज ज प्रगट थती जणाय छे.
३
एक-बे उदाहरणो द्वारा आ बाबतने स्पष्ट समजीए. 'योगदृष्टिसमुच्चय' ए हरिभद्राचार्यनो रचित ग्रन्थ छे. तेना ८२मा क्रमाङ्कनो श्लोक परम्पराप्राप्त वाचनानुसार आ प्रमाणे छे :
'आत्मानं पाशयन्त्येते, सदाऽसच्चेष्टया भृशम् । पापधूल्या जडाः कार्य-मविचार्यैव तत्त्वतः ॥८२॥"
आनो शब्दार्थ – “पोतानी असत् चेष्टा थकी, आवा लोको, पोताना आत्माने, पापरूपी धूळ वडे पाशयन्ति - बांधे छे" आवो करवामां आवेछे. टीकामां ‘पाशयन्ति’नी टीका 'गुण्डयन्ति' (खरडे छे) एम तद्दन स्पष्ट होवा छतां ‘पाशयन्ति’ अने तेना बांधवारूप अर्थ अंगे कोईने कदीये शङ्का के सवाल थयां/ थतां नथी.
हवे प्राचीन प्रतिओमां आ स्थाने "पान्सयन्ति" एवो पाठ छे. 'पान्सयन्ति' एटले 'धूलिधूसर करे छे' एम अर्थ थाय; अर्थात् 'मेलो करे छे - खरडे छे.' हवे संशोधक जो आ पाठने वास्तविक अने योग्य समजीने 'पाशयन्ति' ने दूर करी ‘पान्सयन्ति' करी आपे, तो शुं तेणे गुंचवाडो ऊभो कर्यो गणाशे ? केमके हजारो लोको तो ‘पाशयन्ति' ज भण्या छे, अने तेमणे छपावेल पुस्तकोमां पण ते ज पाठ छे. तो शुं शुद्ध पाठ स्वीकारवामां अहीं परम्परानो ध्वंस थयो गणाशे ? जड जनो मुद्रित पाठने वफादारीपूर्वक वळगी रहे अने शुद्ध पाठने- संशोधनने गुंचवाडा तरीके नवाजे, तो शुं संशोधकोए पोतानो धर्म पडतो मूकवो ? अलबत्त, नहीं. ‘आसनसे मत डोल' ए ज साचा संशोधकनुं कर्तव्य होय छे. ज्यां सुधी पोताना संशोधनने, बधु सबळ प्रमाणो द्वारा, कोई खोटुं के अन्यथा न ठरावे, त्यां सुधी पोताना कर्तव्यथी डोले - डगे नहि, ते संशोधक.
बीजो दाखलो पण जोईए. डभोईमां उपाध्याय यशोविजयजीनी, स्वर्गवासनी तथा अन्तिम संस्कारनी भूमि प्रसिद्ध छे. सैकाओथी ते जग्या परम्परा द्वारा,
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अनुसन्धान ५१
स्थानिक संघ तेमज लोको द्वारा प्रमाणित छे. त्यां तेमनी पादुका पण छे, अने तेनी आराधना पण घणा लोको करे छे. 'गुंचवाडा'वाळा मित्रे अने तेमना स्वजनवर्गे, कशा ज कारण विना, प्रमाण तथा आधार विना, ते स्थानथी बे
खेतरवा दूर एक जमीन खरीद करी-करावी, अने ते जग्याने यशोविजयजी महाराजनी अन्तिम भूमि तरीके जाहेर करी. पुरातात्त्विक प्रमाणो तेमनी विरुद्धमां हतां. ३०० वर्षांनी ऐतिहासिक परम्पराथी पण आ जाहेरात विपरीत हती, गेरमार्गे दोरनारी हती. छतां गुंचवाडो ऊभो करवानी पद्धति, ज्यां सुधी स्थानिक श्रीसंघनो कठोर विरोध न थयो त्यां सुधी, छोडी नहोती.
तात्पर्य एटलुं ज के 'आपणी मान्यता ते ज संशोधन' एवं नथी होतुं; तो 'संशोधन हमेशां आपणी निर्धारित/स्वीकृत मान्यताने समर्थन ज आपे' तेवू पण नथी होतुं.
उपरोक्त चर्चाना समर्थनमां डॉ. हरिवल्लभ भायाणीनो एक सन्दर्भ टांकवा योग्य छ :
"प्रारम्भ एक प्रश्नथी करीए : 'संशोधन एटले शुं?' प्रश्न जेवो ज ढूंको उत्तर आपवो होय तो कही शकाय के संशोधन एटले सत्यनी शोध. आ सत्य एटले अध्ययन-विषयनी साथे संकळायेलां तथ्यो, तेमनो आन्तर सम्बन्ध तथा अर्थघटन, तथा ते उपरथी फलित थता व्यापक निर्णयो. पण मुश्केली अहींथी ज शरु थाय छे. सत्यने जे जोनार, जाणनार, परखनार छे ते एक चित्त छे, अने चित्तनी प्रकृति सत्यने यथार्थरूपे आपोआप प्राप्त करवानी नथी होती. अमुक चित्तावस्थामां ज तटस्थभावे वस्तुदर्शन ने विचारणा करी शकाती होय छे. चित्त क्षुब्ध के कलुषित होय त्यारे दर्शन, ग्रहण अने विचारणा आदि पूर्वग्रह के अभिनिवेशथी दूषित बने छे. व्यक्तिगत प्रकृति, रुचि, केळवणी अने युगभावना पण आमां महत्त्वनो भाग भजवे छे. अंगत आत्मलक्षी प्रभावथी बने तेटला अलिप्त रहेवाय तो ज तथ्य अने तदधीन व्यापक सत्य सुधी पहोंची शकाय."
(अनुसन्धान, ले. ह. भायाणी, प्र. सरस्वती पुस्तक भण्डार, अमदावाद, ई. १९७२)
वर्षों पूर्वे एक पुस्तक वांचेखें : 'साहित्य, तत्त्व अने तन्त्र'. लेखक गुलाबदास ब्रोकर. तेमां एक लेखनुं शीर्षक हतुं : 'सर्जकनुं कर्तव्य : आसनसे
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मत डोल.' कबीरना पदनी पंक्तिने लईने बांधवामां आवेलुं ए शीर्षक, घणुं घj सूचवी जाय तेवू हतुं. जेवू सर्जकनु, तेवू ज संशोधकर्नु पण कर्तव्य समजी शकाय. चित्तमा परम्परानो द्रोह के खण्डन करवानी मलिन वृत्ति न होय, नवं नवं, परन्तु प्रमाणभूत अने प्रमाणिक, शोधी काढीने परम्पराने शुद्ध तेम समृद्ध करवानी खेवना होय; आपणा संशोधनने प्रमाणपूर्वक कोई गलत पुरवार करे तो तेने वधावी लेवानी पूर्वग्रहमुक्त तत्परता होय; तो पछी संशोधके तेना आसन थकी विचलित थवानी लेश पण आवश्यकता रहेती नथी. संशोधन हमेशा गुंचवाडा दूर करे छे, जो आपणी मानसिकता पूर्वग्रहमुक्त विचारणा माटे सक्षम होय तो.
- शी.
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अनुसन्धान ५१
नूतन प्रकाशन
योगदृष्टिसमुच्चय (स्वोपज्ञटीकासहित)
ताडपत्रना आधारे संशोधित वाचना कर्ता : श्रीहरिभद्रसूरिजी सम्पादक : विजयशीलचन्द्रसूरिजी पाप्तिस्थान : आ. श्रीविजयनेमिसूरि जैन स्वाध्याय मन्दिर
१२, भगतबाग, शेठ आणंदजी कल्याणजी पेढीनी बाजुमां, जैननगर, नवा शारदा मन्दिर रोड, अमदावाद-३८०००७
दूरभाष : (०७९) २६६२२४६५ मूल्य : रू. ७०-००
आवरणचित्र-परिचय भगवान महावीरे स्थापेल ४ प्रकारना संघ पैकी श्रावकसंघमां | आनन्द श्रावक, कामदेव श्रावक वगेरे १० मुख्य श्रावको हता. जेमना माटे । 'उवासगदसाओ' नामे सातमुं अङ्ग - आगमसूत्र आलेखायेलुं छे. ते १०
पैकी पांच श्रावको लघुचित्र दर्शावती एक पुंठानी पाटली. वन्दननी | मुद्रामा भेला ते पांच श्रावकोनो परिचय आपता पाटलीना उपरना भागमा । वंचाता अक्षरो : "आनंदजी आदिक सावकाकी या मुरती छे". |
बोटादना श्रीलावण्यसूरिज्ञानभण्डारनी आ पाटली छे. राजस्थानी | शैलीमां आलिखित आ लघुचित्र सम्भवतः १८मा शतकनुं जणाय छे.
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जून २०१०
अनुसन्धान ५०(१)मां छपायेली बे कृति विशे
ढाळ
१
१
१
१
२
२
-
गाथा
१३
१८
२१
२२
१७
३३
-
(१) तेजबाईव्रतग्रहणसज्झाय
मुद्र
घणी
आरवडी
-
भण
भण
तरणि
भण
मुनि त्रैलोक्यमण्डनविजय
कालादि प्रकरणे जयणा
ढा. २ गा. ३१ विहवापगरणि ? काजि जयणा
विवाह प्रकरणे जयणा
सम्भवितपाठ
धणी
आखड
मण
ढा. १ गा. १७मां ‘कुटि' ने बदले, नवविध परिग्रहनी गणतरी चालु होवाथी 'कुपि ' (कुप्य = सोनुं-रूपुं सिवायनी धातुओ) होवुं सम्भवित छे. अने तो पाठ आम
पडे
मण
मण
गणि
कुपि मोकली मण सइ च्यार. (अत्रे कृतिमां 'भणसइ' अने शब्दकोशमां 'माणसइ' छपायुं छे.) अर्थ : चारसो मण धातु राखवानी छूट.
कृतिमां ज्यां प्रश्नचिह्नो करायां छे त्यां सम्भवित अर्थ -
ढा. १ गा. २३ सजनादिक कारण उपदसी ? जयणा
स्वजनादिक कारणे उपदेशेली जयणा.
ढा. २ गा. १७ कालादि तगरणि जयणा ए ?
७
शब्दकोशमां जेनो अर्थ नथी दर्शावायो तेवा केटलाक शब्दो.
ढा. २ गा. ९ संपुन सय्या = सम्पूर्ण शय्या
ढा. २ गा. १७ राजक देवकई = राजा अने देव सम्बन्धित प्रसंगोए (अत्रे जा सम्बन्ध जोडवानो छे.)
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८
ढा. २ गा. १८ गोटा = कोपराना गोटा
ढा. ३ गा. ३ चूहले तरूं = चूल्हानो / चूल्हा माटेनो
ढा. २ गा. ३४ धोणी-नो अर्थ नाहवुं कर्यो छे, पण नहावानी वात आगळ आव होवाथी धोणी = धोवुं समजवुं जोइए.
कडी
४
५९
९०
११८
२६३
(२)
श्रीमल्लिनाथनो रास
मुद्र
सुर म्हारी
धो
हाथ्य न
छइ नई
प्रश्नचिह्न करेला स्थाने सम्भवित अर्थ
कडी ५५ चम्पानो धणी दूतो ? मोकल
- चम्पानो राजा दूत मोकले छे.
कडी ६० स्त्रीअक्रपा रोवत शणगार ? बीहीकिं नवी छंडइ व्रतभार
-
प्रतिकूल उपसर्ग) व्रतभार छोडतो नथी.
कडी ७७ ए मलीनो हइ लुघ (ध?) भुप ?
- हे राजन् ! ए मल्लीकुमारीनो लुब्धो लागे छे.
कडी ९० सुतनुं (नुं ?) सीस वडारीउं शिरि हायन लागो
अनुसन्धान ५१
- स्त्रीनी नाराजगी, रुदन, शणगार व थी के बीकथी ( अर्थात् अनुकूल के
सम्भवितपाठ
सुरम्हा हरी
घणो
शब्दकोश अंगे
कडी ४० 'सेय' नो अर्थ स्वेद नहीं, पण शय्या होय.
कडी ६० ‘विरि’ नो अर्थ वैरी नहीं, पण वीर होय. कडी ७६ 'धव्य' नो अर्थ धावमाता थाय. कडी २१२ 'सधइणा' नो अर्थ सद्दहणा
हाथ्यन
छइनइं
अहीकणि
= श्रद्धा होइ शके.
- शङ्करे पोताना दीकरानुं माथुं कापीने तेनी जग्याए हाथीनुं मस्तक लगाड्युं.
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जून २०१०
एक पत्र
९
परम आदरणीय महाराजश्री, वंदन.
'अनुसंधान' : ५० - भाग : ०२ अंक वांच्यो. भाग : १ विशे तो एकबे P.C. लख्यां हतां, अ मळ्यां ज हशे. पहेलां तो अंक जेमनी पुण्यस्मृतिमां अर्पण थयो छे एवा श्रुतस्थिर दर्शनप्रभावक स्व. मुनिराज श्रीजम्बूविजयजी महाराजने सादर वन्दन. विहार दरमियान जे रीते तेओश्री अन्य साधुजन साथे काळधर्म पाम्या ঔ घटना अरेराटी ने पछी घेरी वेदना जन्मावनारी बनी हती, ज्यारे समाचारपत्रमां अना विशे वांचवामां आव्युं हतुं त्यारे. आ अंकमां अमने श्रद्धांजलि आपता पत्रो छे. लेखो छे. आपनो लेख पण छे. प्रो. नलिनी बलबीर अने विदेशी विद्यार्थीनीनी नोंधो तथा अहेवाल अने सूचनो आदि छे आ बधुं ज वांचीने अंदरथी हली जवायुं. केवी छे करुण नियति ! केवा प्रतिभासंपन्न पण्डित ! जैनधर्मपरम्परा, जैनोलोजी अने संशोधनना क्षेत्रे एमनी जे कामगीरी हती ओ जोतां लागे के केटली मोटी खोट पडी छे जैन संघने ने आगळ वधीने कही शकीओ, जराय अतिशयोक्ति विना के देश-विदेशमां पण आ दिशामां संशोधनरत ने आ दिशानी प्रतिभा धरावनारा जूज, अथी देश-विदेशमांय जब्बर खोट ! अमना विशे मने आ लेखोथी, घणुं जाणवानुं - समजवानुं मळ्युं छे. आ बधा ज लेखो महाराजश्री प्रति उंडा स्नेहभावथी लखाया छे. ओमां अकाळे थयेला ओमना आवा अकस्मातनों अवसाद पण जोई शकाय छे. विदेशी विद्यार्थिनीनो लेख आपणने विचार करता पण करी दे छे के आपणे क्यां छीओ ? ओक विराट व्यक्तिमत्ताने साचववी जोईओ ओ ना थई शक्युं जे परिबळो, अकस्मातमां जे रीते निमित्त बन्यां से पुनः निमित्त ना बने ओवी गांठ पण बंधावी जोइओ. अ ज साचुं तर्पण ने साचो पस्तावो !
-
+ ‘गूढार्थं दोहाओ....' शीर्षक अन्तर्गत डॉ. निरंजन राज्यगुरुनुं सम्पादन अने भूमिका वांची आनन्द थाय अ सहज बाबत छे. मजा पण आवी. दोहा आदिनी सरऴता प्रवाहिता अने लयमाधुर्यने कारणे वारंवारे वांचतो रह्यो . 'मरमी संत आनन्दघन....' लेखमां नगीनभाई शाहे जे रीते जैन परम्परा अने जैनचिंतनधाराना व्यापक परिप्रेक्ष्यमा आनन्दघननी ओक मरमी संतलेखे
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१०
अनुसन्धान ५१
दार्शनिक भूमिका हती, अ स्पष्ट करी आपी छे. आनन्दघनजीना अनेकान्तवादनुं अहीं सरस विश्लेषण छे. जैनदर्शन स्वयं अक दृष्टि छे अने बधी दृष्टिओनो समन्वय छे ओ समजाव्युं छे जे आजना समयसन्दर्भे अत्यन्त प्रस्तुत छे. तुलनावादी अभिगमनी वात पण गमी ने ओ पण जरूरी ज छे. अन्यना मतोना सन्दर्भमां जैनदर्शन आदिनी चर्चा रसप्रद रही. गंभीर विषयनी मावजत रसाळ रही.
श्री हसु याज्ञिकनो लेख पण खूब ज गम्यो.
+ अर्धमागधी भाषानाना उद्भव अने विकास विशेनो प्रो. सागरमल जैननो लेख अनेक अर्थमां मूल्यवान छे. भाषाविज्ञानना सन्दर्भमां घणी गूंचो दूर करनारो छे. वळी प्राकृत, पालि, मागधी, अर्धमागधी आदि अंगेनी भ्रामकता पण दूर करनारो लेख छे. ओमणे विकासक्रमना अ युगना परिबळो आदिना सन्दर्भमां अर्धमागधीनी जे विशद् चर्चा करी छे से विस्मित करी दे ओवी छे. शिलालेखो, पालि त्रिपिटक, अशोकना अभिलेखो, अर्धमागधी आगम, आदिनो आ सन्दर्भमां ओमणे विचार विनियोग कर्यो छे. ओमनो बीजो लेख 'कया आर्यावती' जैन सरस्वती है ?' लेख पण आवो ज गंभीर छे. चित्र तथा अभिलेख वडे थयेली चर्चा प्रभावक छे. बन्नेमांथी उभी थती जब्बर संशोधक तरीकेनी श्री सागरमलजीनी भूमिका वन्दनीय छे.
+ डॉ. अनिताबहेन बोथरानो लेख 'हिन्दु और जैनव्रत...' बहु ज गम्यो. घणी बाबतो जाणवा मळी. आवी रीते आपणे भाग्ये ज जोईओ छीओ. बे दृष्टि, बे शैली, बे परम्परा ने बेमां साम्य ने जुदापणुं या व्यावर्तक बाबतो आदिनी चर्चा रसप्रद रही. संशोधन प्रवृत्ति अने संशोधन माटेनी सज्जता पाछळ रहेली महेनत अहीं जोई शकाय छे.
अन्य लेखोय वांच्या ज ने गम्या ज छे.
‘जैन तर्कभाषा' ग्रन्थना सन्दर्भमां भुवनचन्द्रजीनी चर्चा गमी. आजकाल थता सम्पादनोमां कशीय सम्पादकीय सूझ प्रगट ना थई होय, छतां नाम आवे, वळी पूर्वसम्पादकनी जगाओ ओ आवे, त्यारे सम्पादकनी भूमिका शी ? ओवो मुद्दो चिन्त्य छे. आ बधाथी अलग पडीने चोक्कस सम्पादकीय सूझ साथे थयेला आ ग्रन्थनी सराहना यथार्थ ज.
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+ बे-त्रण अंग्रेजी लेखो वांचवाना बाकी छे. Dr. Nalini Josh नो लेख
वांच्यो. ओ बधाय वांचीश ज. + आरंभे श्री हेमचन्द्राचार्यने अन्ते स्व. मुनिराज श्री जम्बूविजयजी महाराजनी
अत्यन्त प्रभावक तथा ज्ञानतेजथी देदीप्यमान तस्वीर जोया ज करवानुं मन थाय अवो सुन्दर तस्वीर उपक्रम सराहनीय छे ! ओकमां चहेरामां झळहळतुं स्मित तेज ने बीजामां बोलतुं स्मित !
आपनी निश्रामां थयेलुं आ सम्पादन साचे ज, साचा अर्थमां अभिनन्दनपात्र छे.
आभार सह.
७-४-२०१०
आपनो
सिलास पटेलिया
इ-११, सूर्या फ्लेट - बी, निझामपुरा, वडोदरा-३९०००२
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अनुसन्धान ५१
Bhattakāle upatthite: An Example of a “Mistranslation” in the Pāli Canon
Yajima Michihiko
The phrase from the Pāli canon to be considered here was once the subject of some discussion in the debate surrounding H. Oldenberg's “Akhyāna theory.” To be more precise, the discussion was not about the interpretation of the phrase per se, but concerned, so to speak, its contextual congruity. In the following, I will first briefly review Oldenberg's and R.O. Francke's arguments and then offer a fresh perspective for the solution of a yet unresolved problem.
The Pāli Jātakas preserve ancient Indian prosimetric literature in its ancient form, and it goes without saying that they served as important evidence in support of Oldenberg's Ākhyāna theory. But the prose sections preserved in the commentaries are quite late in origin and do not preserve the original prose of the early Akhyānas. This was self-evident to Oldenberg, but Francke refused to accept this temporal gap between the verse and prose of the Jātakas, and considered the relationship between the two to be quite close. As an example illustrative of this close relationship, he cites two Jātakas (5 539: Mahājanaka-jataka and J 507: Mahāpolabhana-jataka) which both contain the phrase with which we are here concerned.
In J 5391 the Mahāsatta enters the town of Thūņa, begging for alms, and comes to the house of an arrow-maker. This section is in prose, and it is followed by a verse (v. 163), the first line of which reads: "In the house of an arrow-maker (kotthake usukārassa) when mealtime had arrived (bhattakāle upatthite).” This would appear to be a subordinate clause, but there is no main clause, and it does not constitute a proper sentence. It was this "incompleteness” with which Francke took issue, In the case of J 507,2 on the other hand, the phrase
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bhattakāle upatthite forms together with the foregoing words (so tassa geham pāvekkhi), a complete sentence (“When mealtime had arrived, he entered his house”). Francke, upon comparing the two, concluded that the incomplete line in the former has in fact its main clause not in the verse but in the preceding prose words (pavisitvā ...gehadvāram patto). He asserts, moreover, that this is an example of an element belonging to the prose being wrongly placed in the verse and represents clear proof that Jātaka verses were influenced by the existing prose of the Jātakas.
Oldenberg,4 on the other hand, argues that the problematic phrase in J 539 was not misplaced as a result of prose influence, and he makes the following points. First, the ascetic, according to the customs of the Indian ascetics, arrived at the arrow-maker's house “to beg for food." Therefore, even though the expression may be incomplete, there is nothing unnatural about its presence in the verse. Furthermore, the fact that a brahmin or samaņa goes to beg of a householder “when mealtime has arrived” is also mentioned in the Suttanipāta (Sn 130), and it is indeed quite probable that this phrase derives from the well-known words of the “Vasala-sutta” in the latter and was applied to a similar situation in the Jātakas. He suggests that this incomplete expression is the result of its having been adduced from another work.
Such are the arguments of the two scholars. First, there can be no doubt that Francke's views have potential importance when considering the secondary character of Jātaka verses, for verses are sometimes modified in conjunction with changes to the narrative, and in such cases the verses can be said to be clearly under the influence of the prose. But is this so in the present case? Oldenberg, on the other hand, convinced of the more recent origins of the Jātaka prose, rejects Francke's hypothesis, but his explanation lacks somewhat in persuasiveness, and his method of seeking the reason for the
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said phrase's incompleteness in its having been borrowed from the well-known words of an early verse is not entirely convincing.
Now, grammatically speaking, the phrase in question (bhattakale upatthite) is made up of two words both in the locative case, and together they form a locative absolute construction which might be translated as "when mealtime has arrived/come." Neither Francke nor Oldenberg questions the interpretation of the phrase itself, and their arguments are premised on this shared understanding of its meaning. It is true that there would appear to be no problems with this interpretation, and it would in fact seem to be the one and only possible interpretation. But this is only so if one considers it within the confines of "Pāli." What would happen if we were to remove this limitation? This question has never been posed in the past, but in the present case it is, I believe, an extremely important question to ask for resolving the point at issue.
In a note accompanying his response to Francke, Oldenberg makes the following comment:" "I note in passing that this description seems to have suffered while being handed down. Before or after the hemistich kotthake, etc., there will have been a hemistich to which kotthake structurally belongs say, with an atṭhāsi, as the Commentary has it." One is, of course, at liberty to posit any such extra element. But even if there originally was such an element, there is no way of ascertaining this, and it is in the end nothing more than pure speculation. That being so, could it not be said to be more realistic to abandon any search for some such lost element and to instead consider the possibility that the incompleteness of the said phrase is, for instance, due to an error—that is, a "mistranslation"- that occurred in the course of its translation
into Pali?
In his study of the language of the original Buddhist canon, H. Lüders lists various instances of the apparent misinterpretation of the nominative singular -e when it was
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transposed from an eastern language into Pāli.? In the present case too it should be quite possible to regard the word upatthite as an example of the nominative singular -e in an eastern language having been mistaken for a locative and so mistranslated into Pāli. In other words, the final -e was originally a nominative singular, but it was misinterpreted as a locative and hence the form upatthite has survived. If we assume that this was the case, then the phrase bhattakāle upatthite beomes a “complete” sentence meaning "he arrived at the house of an arrow-maker] at mealtime," and the apparent incompleteness of this expression can be explained in a quite reasonable fashion.
That this use of the past participle of the verb upa-sthā in an active sense is fundamental to the said expression can in fact be readily ascertained from extant sources. For instance, with regard to Sn 130, alluded to by Oldenberg, the commentary Paramatthajotikā mentions the variant reading upatthitam (“arrived'). Not only is this reading logical in terms of sentence structure, but its validity is also supported by the corresponding Chinese translations. All previous translations of the Suttanipāta, including the relatively recent translation by K.R. Norman, have followed the reading upatthite, but this verse should probably be translated in accordance with the variant given in the Paramatthajotikā as follows: “Whoever...a brahman or a samaņa who has arrived at mealtime...” If the word in question was originally an accusative in -am, from where then would the reading -e in the Suttanipāta have come? It is probable that the borrowing occurred in the direction opposite to that posited by Oldenberg. That is to say, it is the secondary form -e in the Suttanipāta that was borrowed from a verse in the Jātakas or some other work or else “rewritten” by the author who happened to call it to mind.
It should be noted in passing that statements to the effect that a mendicant “arrived” (past particle of upa-sthā) at mealtime are also found in Jaina scriptures.10 What is more, their metre
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(śloka), position (uvatthie/uvatthio take up the final four syllables of a pāda), and so on coincide with the situation in Pāli, thus hinting at the antiquity of this expression.
In the above I have presented my views on a phrase once discussed in the context of the debate about Akhyāna, and if the above hypothesis is correct, the material adduced in order to refute Oldenberg's ākhyāna hypothesis turns out to have been completely wide of the mark. At the same time, Oldenberg's theory ends up being even more firmly vindicated.
NOTES 1. J No. 539 (Vol. VI): Pavisitvā ca pana Mahāsatto piņdāya
caranto usukārassa gehadvāram patto,... V. 163 kotthake usukārassa bhattakāle upatthite
tatra ca so usukāro ekañ ca cakkhu niggayha
jimham ekena pekkhati. 2. J No. 507 (Vol. IV), v. 19:
ath' ettha isi-m-āgañchi samuddam upar ūpari,
so tassa geham pāvekkhi bhattakāle upatthite. 3. ZDMG63, no. 13. 4. H. Oldenberg, “The Prose-and-Verse Type of Narrative and
the Jātakas” (“The Akhyāna Type and the Jātakas”; “Two Essays on Early Indian Chronology and Literature” [trans. from German], Part II), JPTS 1912, pp. 19-50, esp. pp. 23
26. 5. Sn 130; yo brāhmaṇam vā samaņam vā bhattakāle upatthite
roseti vācā na ca deti, tam jaññā ‘vasalo' iti. 6. JPTS 1912, p.25, n.2. 7. H. Lüders, Beobachtungen über die Sprache des
buddhistischen Urkanons (Berlin, 1954), $$12-19 (Nom. Sg. auf -e falsch aufgefaßt).
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१७ 8. Pj: bhattakāle upatthite ti bhojanakālejāte; upatthitan ti pi
pātho. bhatta-kāle āgatan ti attho. 9. (1) 沙門婆羅門如法来乞求
阿責而不与当知領群特 (Taisho II, No. 102, p. 29a) (2) 沙門及与婆羅門貧窮气匈請向家 不与飲食亦不施 如是亦名陀羅
(Taisho II, No. 268, p. 468a) 10. Utt 12.3cd: bhikkhatthā bambhaijjammi jannavāde uvatthio
Utt 25.5cd: Vijayaghosassa jannammi bhikkhatthā uvatthie
1142, Yamagawa-cho Ashikaga-shi 326002
(JAPAN)
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माहिती :
नवां प्रकाशनो १. धर्माभ्युदयमहाकाव्यम् - कर्ता : श्रीउदयप्रभसूरि. सं. मुनिश्रीचतुरविजयजीपुण्यविजयजी. प्र. सिंघी ग्रन्थमाला, ई. १९४९. । नूतन संस्करण : सं. साध्वी चन्दनबालाश्री, प्र.भद्रंकर प्रकाशन, अमदावाद, ई. २०१०
गुजरातना महामन्त्री संघपति वस्तुपालना चरित्रवर्णनात्मक आ महाकाव्यनी रचना मन्त्रीना जीवनकाल दरम्यान ज थई हती, अने तेनी प्रथम नकल स्वयं वस्तुपाले स्वहस्ते लखी हती, जे खम्भात-भण्डारमा आजे पण विद्यमान छे. आमां मुख्यत्वे संघपति तरीके वस्तुपाले करेल संघयात्राना प्रसंगे, श्रीऋषभदेव (शत्रुञ्जय) अने श्रीनेमिनाथ (उज्जयन्त)नां चरित्रो विषे तेमनी जिज्ञासाना जवाबमा थयेल विस्तृत वर्णन करवामां आवेल छे. प्रान्तभागे त्रणेक परिशिष्टो तो पूर्वसम्पादको द्वारा अपायां ज छे, उपरांत नवीन सम्पादिका द्वारा वधु सातेक परिशिष्टो मूकवामां आव्यां छे.
२. धर्मकल्पद्रुममहाकाव्यम् - कर्ता : उदयधर्मगणि. सं. शास्त्री जेठालाल हरिभाई, प्र. जैन धर्मप्रसारक सभा, भावनगर, ई. १९२८ नूतन संस्करण : सं. साध्वी चन्दनबालाश्री, प्र.भद्रंकर प्रकाशन, अमदावाद, ई. २०१०
धर्मनुं माहात्म्य वर्णवतो काव्यग्रन्थ. पूर्व प्रकाशनने यथावत् राखी, तेमां केटलांक नवां परिशिष्टो उमेरीने थयेल पुनः प्रकाशन. प्राचीन प्रकाशित पण हाल दुर्लभ्य बनेल ग्रन्थोना पुनः प्रकाशननो आ उपक्रम अनुमोदनीय छे. विशेषता ए छे के पूर्व-संस्करणनी प्रस्तावना वगेरे आमां पण जेमनां तेम राखवामां आवेल छे. पूर्वना सम्पादकोने अन्याय न थाय तेवी आ पद्धति इच्छवा योग्य छे.
३. प्राचीनश्रुतसमुद्धारपद्ममाला - ग्रन्थो १ थी २७ (प्रथम सम्पुट). श्री दशवैकालिकसूत्र वगेरे विविध पूर्व-प्रकाशित जैन आगमो - प्रत-आकारे,तथा १ ग्रन्थ पुस्तकाकारे.
विशेषता : विदेशथी खास मेळववामां आवेला किंमती अने टकाऊ
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कागळो पर पूर्वे प्रकाशित ग्रन्थोनुं यथावत् झेरोक्स - ओफसेट पद्धतिथी थयेखें पुनर्मुद्रण. मोंघो कागळ ए ज आ प्रकाशननी विशेषता. वधुमां पूर्व प्रकाशनना प्रकाशक तेमज सम्पादक-संशोधकोनां नामो सगवडपूर्वक काढी नाखवामां
आव्यां छे, ते बीजी विशेषता. पैसा खरचनारने आ प्रकारनी हरकत करवानी विशेष छूट मळी शके छे, ते आ प्रकाशनो (पोथीओ) जोवाथी समजी शकाय. प्रत्येक प्रतमां प्रेरकनुं नाम, आर्थिक सहयोगदाता तथा तेना प्रेरक - प्रेरिकानां नाम, संस्थानी योजनाना अन्वये धनदान आपनार - अपावनाराओनां पानां भरीने नामो - आ बधुं ज निरांते छापी शकायुं छे. परन्तु जे ते ग्रन्थना सम्पादकनुं नाम शोध्युं पण जडतुं नथी ! हा, प्रकाशकीय निवेदनोमां संस्कृत भाषामां पूर्व प्रकाशक संस्थाओगें नाम नोंधवामां आव्युं छे जरूर. ते निवेदनोमां 'संशोधनपुरस्सरमिदं प्रकाश्यते' एवो सर्वत्र उल्लेख छे; पण ते संशोधन शुं हशे? तेनी कल्पना ज करवी पडे. वळी तेना (अने आ प्रकाशित ग्रन्थना पण) संशोधक-कोण हशे ? तेनी पण कल्पना ज करवी पडे.
ग्रन्थश्रेणिना प्रकाशक : जिनशासन आराधना ट्रस्ट, मुम्बई, प्रेरक - आ. हेमचन्द्रसू., वि.सं. २०६४.
४. विचाररत्नाकर - कर्ता : उपा. कीर्तिविजयजी (जगद्गुरु श्रीहीरसूरि शिष्य अने उपा. विनयविजयजीना गुरु) सं. - साध्वी चन्दनबालाश्रीजी, प्र. - भद्रंकर प्रकाशन - अमदावाद, ई. २०१०
अनेक जिज्ञासाओनां समाधान अने अनेक चर्चाओनां निराकरण करनारा आगमादि पाठोनो संकलनात्मक ग्रन्थ. जैनधर्मना मन्तव्यो तथा साधु-श्रावकजीवनना विधिनिषेधोनां मूळ जाणवा माटेनो अतीव उपयोगी ग्रन्थ. आ ग्रन्थ ई. १९२७ मां देवचन्द्र लालभाई-जैनपुस्तकोद्धार संस्था तरफथी प्रताकारे प्रकाशित थयो हतो, जेनुं संशोधन आ. श्रीदानसूरिजी म.ए कर्यु हतुं. तेनुं आ पुनःसम्पादन साध्वी श्रीचन्दनबालाश्रीजीए कर्यु छे. तेओए विस्तृत विषयानुक्रम अने ९ परिशिष्टो पण उमेर्यां छे. उत्तम सम्पादन-मुद्रण. ५. धर्मविधिप्रकरणम् (सटीक) - कर्ता : श्रीप्रभसूरिजी (१३मो सैको), टीका - उदयसिंहसूरिजी (कांना प्रशिष्य), सं. - चन्दनबालाश्रीजी, प्र. -भद्रंकर प्रकाशनअमदावाद - ई. २००९
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धर्मनी परीक्षा, धर्मना गुणो व. वर्णवतो आ ग्रन्थ टीका सहित, हंसविजयजी फ्री लायब्रेरी - अमदावादथी ई. १९२४मां प्रताकारे प्रकाशित थयो हतो. तेनुं विषयानुक्रम, ७ परिशिष्ट व. साथे, शुद्धीकरणपूर्वक आ नवीन संस्करण पुस्तकाकारे प्रकाशित थयुं छे. सम्पादन, मुद्रण वगेरे उत्तम छे. एक बे सूचनो करवा जेवां लागे छ :
नवा संस्करण वखते ग्रन्थने एक वार हस्तलिखित प्रतिओ साथे मेळवी लेवामां आवे ते इच्छनीय छे. खास करीने सम्पादक साध्वीजीए जणाव्युं छे तेम "प्रथमावृत्तिमां अमुक पृष्ठ पर अक्षरो बराबर छपाया न होवाथी, ते अक्षरो समजाता न होवाथी क्षतिओ रही गई होय..." एवी परिस्थितिमां हस्तलिखित प्रतिओनो सहारो अवश्य लाभदायक बने.
बीजूं, परिशिष्टो आपवानो उपक्रम आवकारदायक ज छे. पण ए परिशिष्टो केवल संख्यापूरक न बनी रहेतां उपयोगी पण होय तेवो आग्रह अवश्य राखवो जोईए. नानकडी प्रशस्तिना श्लोकोनो अकारादिक्रम पण परिशिष्ट तरीके आपवो बिनजरूरी लागे छे.
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श्रद्धांजलि तेरापन्थ धर्मसंघना जैनाचार्य आचार्य श्री महाप्रज्ञजीनो समाधिपूर्ण | स्वर्गवास ताजेतरमां सरदार शहेर (राजस्थान)मां थयो छे, तेथी भारतीय तथा ।
जैन विद्याजगतने एक प्रज्ञावन्त विद्यापुरुषनी खोट पडी छे. तेमनां संशोधनकार्यो, विद्या-कार्यो तथा आगम-सम्पादनो थकी तेओ जैन जगतमां हमेशां याद
रहेशे. तेमना आत्माने शान्ति तथा धर्मशासननो लाभ हो ! - -- - - - - - - - - - - - - - - - - - - - -
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सूचि
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सूचिओनो अनुक्रम
(सम्पादनखण्ड)
१. प्राकृत-पद्य-रचना (९२)
स्तोत्रात्मक (६०) (अकारादिक्रमे) वर्णनात्मक (३२) (अकारादिक्रमे)
आदिपदानुक्रम (९२) २. प्राकृत-गद्य-रचना (४)
कृति (अकारादिक्रमे)
आदिवाक्य ३. संस्कृत-पद्य-रचना (१०१)
स्तोत्रात्मक (६९) (अकारादिक्रमे) वर्णनात्मक (३२) (अकारादिक्रमे)
आदिपदानुक्रम (१०१) ४. संस्कृत-गद्य-रचना (३५)
कृति (अकारादिक्रमे)
आदिवाक्य ५. उत्तरकालीन-अपभ्रंश, गुजराती व. भाषानी पद्य-रचना (१७९)
कृति (अकारादिक्रमे)
आदिपदानुक्रम ६. उत्तरकालीन-अपभ्रंश, गुजराती व. भाषानी गद्य-रचना (१०)
कृति (अकारादिक्रमे)
आदिवाक्य ७. कृतिओनी (४२१) कर्ता प्रमाणे अनुक्रमणिका
निश्चितकर्तृक (३३७) अज्ञातकर्तृक (८४)
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१.
२.
५.
१.
२.
३.
४.
लेख (१४०) गुज. / हिन्दी (१०३)
५.
६.
संशोधनात्मक (७०)
प्राचीन ग्रन्थोना स्वाध्याय - परिचयात्मक (१६)
अंजलिलेख (१७)
अंग्रेजी (३७)
ट्रंकनोंध (९२)
३. सूचि व. (१०)
४.
लेखनखण्ड
गुज. / हिन्दी (८०)
अंग्रेजी (१२)
शब्दचर्चा (१४०) (अकारादिक्रमे)
विहंगावलोकन (३०)
माहिती व. (२०)
महत्त्वनां पत्रो (३०)
प्रकाशनपरिचय
आवरणचित्र
अवसाननोंध
अनुसन्धाननी तवारीख
प्रकीर्णखण्ड
२३
१०२
१०२
१०७
१०८
११०
११३
११८
११९
१२०
१२६
१२७
१२८
१२९
१५२
१५४
१५५
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अनुसन्धान ५१
सम्पादनखण्ड - कृतिओमां भाषाविभाग अने पद्य-गद्यविभाग प्राधान्यने अनुलक्षीने करवामां
आव्यो छे. पूर्वकालीन-अपभ्रंश भाषानी कृतिओने प्राकृतविभागमां अने
उत्तरकालीन-अपभ्रंश भाषानी कृतिओने गुजरातीविभागमा समावाई छे. - ते ते कृतिने लगती अन्य विगत अनु. ना ज कोईक अंकमां प्रकाशित
थई होय तो ते अनु. क्रमांक अने पृष्ठांक टिप्पणीमां नोंधवामां आव्या छे. (दा.त. २१.४७ = २१मां अनु. नुं ४७मुं पार्नु) आमां पत्रोनो समावेश नथी कर्यो, पण पत्रो साथे ज ते शेना विशे छे ते जणावी दीधुं छे. आ उपरान्त ते ते कृति जे अनु.मां होय ते अनु.नुं विहंगावलोकन अवश्य जोवू. आ
प्रमाणे अन्य खण्डोमां पण जाणवू. - जे कृतिनी बाजुमां * संज्ञा करेली छे, ते कृतिओ अन्यत्र पण प्रकाशित
थई होवानुं पछीथी जाणवा मळ्युं छे. ५० अंकोमा कुल मळीने ४३२ कृतिओ सम्पादित-प्रकाशित थई छे. तेमां १० कृतिओ अनवधानवश बे वखत छपाई छे. (अनु.मां 'पाण्डवचरित्र' सिवाय जे कृतिनो स्थाननिर्देश बे वार को होय ते बे वखत छपाई होवानुं समजवू.) लाभोदयरासनी एक वार खण्डितवाचना अने बीजीवार पूर्णवाचना छपाई छे. आम कुल ११ अंक बाद करतां ४२१ कृति सम्पादित थई छे. ३६३ पाखण्डी स्वरूपस्तोत्र एकवार मूळमात्र अने बीजीवार अवचूरि साथे छपायुं होवाथी अलग गणेल छे.
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अनु.
पृष्ठ
२२
२७
१. प्राकृत-पद्य-रचना (९२)
स्तोत्रात्मक (६०) कृति
कर्ता
सम्पादक ३६३ पाखण्डीस्वरूपस्तोत्र
कल्याणकीर्तिविजयजी ३६३ पाखण्डीस्वरूपस्तोत्र - सावचूरि
कल्याणकीर्तिविजयजी अणहिलपुर-रथयात्रास्तवन
रत्नसिंहसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी आज्ञास्तोत्र
जिनप्रभसूरिजी कल्याणकीर्तिविजयजी आदिनाथस्तोत्र
रत्नकीर्तिविजयजी
कल्याणकीर्तिविजयजी आदिस्तव (ते धन्ना...)
प्रद्युम्नसूरिजी ऋषभदेवविज्ञप्तिका
रत्नसिंहसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी ऋषभप्रभुस्तव'-सावचूर्णि (अष्टभाषामय) जिनप्रभसूरिजी कल्याणकीर्तिविजयजी कुलमण्डनसूरिविज्ञप्ति
कल्याणकीर्तिविजयजी गुणरत्नसूरिविज्ञप्ति
कल्याणकीर्तिविजयजी गौतमगणधरस्तव
जिनेश्वरसूरिजी विनयसागरजी चतुर्मुखमहावीरस्तवन
धर्मशेखर पण्डित कल्याणकीर्तिविजयजी (१) २५.१०८ (२) ४०.८३
२१
२६
२१
३०
२५
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देवभद्रसूरिजी
४०१
२६
मोदमन्दिर गणी सज्जन श्रावक
सज्जन श्रावक
चतुर्विंशतिजिनस्तोत्राणि चन्द्रप्रभस्तव (षड्भाषाबद्ध) जिनपतिसूरिपंचाशिका जिनप्रबोधसूरि-जिनचन्द्रसूरि-चन्द्रायणा जिनप्रबोधसूरि-नाराचबन्धछन्द जिनेश्वरसूरि-कुण्डलिया ज्ञानसागरसूरिविज्ञप्ति तीर्थमालास्तव त्रिलोकस्थितजिनगृहस्तव धर्मसूरिगुणस्तुतिषट्त्रिंशिका धर्मसूरिछप्पय धर्मसूरिदेशनागुणस्तुति नेमिनाथरास नेमिनाथस्तव नेमिनाथस्तव नेमिनाथस्तव नेमिनाथस्तव (१) ४५.१०६
विनयसागरजी कल्याणकीर्तिविजयजी भंवरलाल नाहटा भंवरलाल नाहटा भंवरलाल नाहटा भंवरलाल नाहटा कल्याणकीर्तिविजयजी शीलचन्द्रसूरिजी कल्याणकीर्तिविजयजी शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी रमणीक शाह शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी
मुनिचन्द्रसूरिजी रविसिंह रत्नसिंहसूरिजी रत्नसिंहसूरिजी रत्नसिंहसूरिजी' सागरचन्द्र मुनि रत्नसिंहसूरिजी रत्नसिंहसूरिजी रत्नसिंहसूरिजी रत्नसिंहसूरिजी
४४ ४४
४४
४४
४४
४४
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नेमिनाथस्तोत्र
१५ ३३
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४४
रत्नसिंहसूरिजी यशोविजय प्र.
५०(१) ५०(२)
४४
५५
३३
नेमिनाथस्तोत्र नेमिसूरीश्वरस्तुति (त्रिभाषामयी) पंचपरमेष्ठिस्तव (प्रश्नगर्भ) पार्श्वजिनस्तवन पार्श्वजिनस्तुति (शंखेश्वर) पार्श्वनाथस्तव (नवफणा-अष्टभाषामय) पार्श्वनाथस्तवन (उवसग्गहरं-समस्यापूर्ति) पार्श्वनाथस्तवन (शंखेश्वर) पार्श्वनाथस्तवन (शंखेश्वर) पार्श्वनाथस्तवन (शंखेश्वर) पार्श्वनाथस्तवन (शंखेश्वर) पार्श्वनाथस्तव पार्श्वनाथस्तव पार्श्वनाथस्तोत्र
रत्नकीर्तिविजयजी कल्याणकीर्तिविजयजी शीलचन्द्रसूरिजी कल्याणकीर्तिविजयजी नलिनी बलबीर शीलचन्द्रसूरिजी धुरन्धरविजयजी कल्याणकीर्तिविजयजी शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी रत्नकीर्तिविजयजी कल्याणकीर्तिविजयजी शीलचन्द्रसूरिजी
रत्नसिंहसूरिजी यशोविजय उपा. कल्याणचन्द्रजी हर्षकल्लोल-शिष्य रत्नसिंहसूरिजी रत्नसिंहसूरिजी रत्नसिंहसूरिजी रत्नसिंहसूरिजी रत्नसिंहसूरिजी रत्नसिंहसूरिजी
४४
४४
४४
२७
४४ ४४ ४४ १५
३०
पुंडरीकगणधरस्तोत्र
रत्नसिंहसूरिजी
४४
४९
Page #32
--------------------------------------------------------------------------
________________
बावत्तरिजिनस्तवन (कुमरविहार) महत्तराचारित्रचूलाविज्ञप्ति महावीरस्तोत्र
मुनिमाला
मुनिसुव्रतस्तवन (भरुयच्छमंडण)
वीतरागविनति
शान्तिनाथस्तोत्र
शासनदेवीस्तोत्र
श्राविकाणां चतुर्विंशतिनमस्कार
साधारण जिनस्तवन
सीमन्धरस्वामिविज्ञप्ति
हीरविजयसूरिस्वाध्याय
हीरविजयसूरिस्वाध्याय
हीरविजयसूरिस्वाध्याय हीरविजयसूरिस्वाध्याय
रत्नसिंहसूरिजी
सकलचन्द्र उपा.
रत्नसिंहसूरिजी
रत्नसिंहसूरिजी
हरिभद्रसूरिजी
धर्मशेखर पण्डित
धर्मसागर उपा.
पद्मसागरजी
पद्मसागरजी
विजयचन्द्र-शिष्य
शीलचन्द्रसूरिजी कल्याणकीर्तिविजयजी
रत्नकीर्तिविजयजी
कल्याणकीर्तिविजयजी
शीलचन्द्रसूरिजी
शीलचन्द्रसूरिजी रसीला कडीआ
रत्नकीर्तिविजयजी
कल्याणकीर्तिविजयजी
शीलचन्द्रसूरिजी
शीलचन्द्रसूरिजी
शीलचन्द्रसूरिजी
कल्याणकीर्तिविजयजी
शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी
४४
x 2 5 m m x 2 5 m x 2
२१
१५
३३
३९
४४
३५
१५
३३
४४
३१
८
२२
२१
c oc oc oc
8
2 2 2 2 2 2 ≈ * &
५४
२९
३१
२४
१
५२
१
२८
२२
६५
६१
१००
१
३१
४८
५१
५२
५३
२८
अनुसन्धान ५१
Page #33
--------------------------------------------------------------------------
________________
वर्णनात्मक (३२)
रत्नसिंहसूरिजी
जून २०१०
४४ १४ ४८
२० ३८ १
३७
अप्पाणुसासणं अष्टमहाप्रातिहार्यवर्णन आणन्दादिदसउवासगकहाओ - सचूर्णि आत्महितचिन्ताकुलक आलोयणाविहाणं उपदेशकुलक उपधानप्रतिष्ठापंचाशक' कम्मबत्तीसी कामरूपपंचाशिका गणधरहोरा गुरुभक्तिमहिमाकुलक गुरुस्थापनाशतक 'चन्दप्पहचरियं'नी रूपककथा छन्दोनुशासनम् - सविवृति
पूर्णभद्र गणि रत्नसिंहसूरिजी जयसिंहसूरिजी रत्नसिंहसूरिजी अभयदेवसूरिजी भानुलब्धि मुनि
शीलचन्द्रसूरिजी प्रद्युम्नसूरिजी अमृत पटेल शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी प्रद्युम्नसूरिजी कल्याणकीर्तिविजयजी शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी विनयसागरजी सलोनी जोषी विनयसागरजी
9 ॐ & है -8
११
रत्नसिंहसूरिजी श्रीधर श्रावक हरिभद्रसूरिजी जिनेश्वरसूरिजी, वि.-मुनिचन्द्रसूरिजी यशोविजय प्र.
१४ ४७
७० १
कल्याणकीर्तिविजयजी
५०(१) ५४
धर्मरत्नदुर्लभत्वम् (१) ५.५२, ७.१०६, १७.१६१, ३०.६२
Page #34
--------------------------------------------------------------------------
________________
३७
१
७ ४४ ३६
१ ४४ १४
४४
३८
धूमावलीप्रकरण
हरिभद्रसूरिजी पंचकपरिहाणि
जयसिंहसूरिजी पट्टावलीविसुद्धि
उदयविजय उपा. पर्यन्तसमयाराधनाकुलक
रत्नसिंहसूरिजी बूटडिश्राविका-व्रतग्रहणविधि मनोनिग्रहभावनाकुलक
रत्नसिंहसूरिजी यतिशिक्षापंचाशिका*
पृथ्वीचन्द्रसूरिजी राणीश्राविकागृहीत-द्वादशव्रतवर्णन' लखमसिरीश्राविका-व्रतग्रहणविधि ललितांगचरित्र (रासकचूडामणि)
ईसरसूरि वज्रस्वामीचरित
जिनप्रभसूरिजी व्यंग्यहीयाली शतपंचाशितिकासंग्रहणी - सस्तबक
उत्तम ऋषि श्रुतास्वादः
सकलचन्द्र उपा. संवेगचूलिकाकुलक
रत्नसिंहसूरिजी सामुद्रिकशास्त्रलक्षणानि (भुवनसुन्दरीकथायां वर्णितानि) विजयसिंहसूरिजी हितशिक्षाकुलक
रत्नसिंहसूरिजी (१) ३०.६२ (२) ७.१२९
सूर्योदयसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी प्रद्युम्नसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी विमलकीर्तिविजयजी शीलचन्द्रसूरिजी हरिवल्लभ भायाणी रमणीक शाह भंवरलाल नाहटा धर्मकीर्तिविजयजी शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी
२३
१
१६ ४४
२८ २४
अनुसन्धान ५१
Page #35
--------------------------------------------------------------------------
________________
आदिपदानुक्रम (९२)
कृतिनाम गौतमगणधरस्तव साधारणजिनस्तवन
अनु.
आदिपद अक्खीणमहाणसिचारुचारअगुलिदलाभिरामं
पृष्ठ १८
जून २०१०
१००
१४
७०
२६
३६
अस्थि अ लोयब्भंतरभूयंमि अमियमऊहं नेमिं सुररायअरिहंतं भगवंतं सव्वन्नं असारे इत्थ संसारे असुरसुरखयरनरनमियपयपंकयं असुरिंदसुरिंदाणं अस्सेयकोमलतले कमलोदराभे ।
५० (१)
५४
'चंदप्पहचरियं'नी रूपककथा नेमिनाथस्तोत्र तीर्थमालास्तव धर्मरत्नदुर्लभत्वम् त्रिलोकस्थितजिनगृहस्तव धूमावलीप्रकरण सामुद्रिकशास्त्रलक्षणानि (भुवनसुन्दरीकथायां वर्णितानि) हीरविजयसूरिस्वाध्याय शतपंचाशितिकासंग्रहणी-सस्तबक गुणरत्नसूरिविज्ञप्ति जिनेश्वरसूरि-कुण्डलिया
२८
५२
६७
इह विमलधम्मसायरउसभ अजिओ संभव गंगजलसच्छतवगच्छसिरिमंडणं चउविह धम्मु चलणु जसु धीरह
३
Page #36
--------------------------------------------------------------------------
________________
चउवीसंपि जिणिदे वंदिय
चउवीसंपि जिणिंदे वोलीणेचिंतसु उवायमेसं संसारे
इ जीव ! तुझ सम्मं जय जय नेमि जिणिंद !
जय जय नेमि जिणिदपहु
जय जय पईव ! कुंतलकलाव !
जय जय पास ! सुहायर !
जय जय भुवणदिवायर ! जय जय संखेसरतिलय देव जय जोगिंदमुणिचंद-देविंदपवंदिय
जय भवतिमिरदिवायर !
जयइ जिणसासणमिणं
जयइ स जएक्कदीवो वीरो जयउ सो सामी वीरजिणंदो
शासनदेवीस्तोत्र
बावत्तरिजिनस्तवन (कुमरविहार)
उपदेशकुलक
हितशिक्षाकुलक
नेमिनाथस्तव
नेमिनाथस्तव
आदिनाथस्तोत्र
पार्श्वजिनस्तवन
ऋषभदेवविज्ञप्तिका
पार्श्वनाथस्तवन (शंखेश्वर) पार्श्वजिनस्तुति (शंखेश्वर )
वीतरागविनति
यतिशिक्षापंचाशिका धर्मसूरिगुणस्तुतिषट्त्रिंशिका
महावीरस्तोत्र
X XX XX X XX
४४
४४
४४
४४
४४
४४
१५
३३
४४
४४
४४
३३
तम न्
≈ 5 m x = m
३५
१३
४४
१५
६५
५४
४५
२४
२९
३०
२८
२१
५५
१८
३३
५८
३
१३
३३
३१
३४
३२
अनुसन्धान ५१
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________________
४८
१
२२४
जून २०१०
४३
५२
३८
३६
४७
जस्स पयनहपहाभरपंजर
आणंदादिदसउवासगकहाओ-सचूर्णि जाइ (जइया ?) सहीहिं भणिया व्यंग्यहीयाली जीवाजीवाइ पए(य)त्थ
गणधरहोरा जु वीरनाह पाय पट्टभत्तिचंगजुगवरो जिनप्रबोधसूरि-नारचबन्धछन्द तिहुयणजणमणलोयण
मुनिसुव्रतस्तवन (भरुयच्छमंडण) तुंगु वट्टलु मसिणु थुड-नालु अष्टमहाप्रातिहार्यवर्णन तं निसुणेविणु चिंतियं ।
नेमिनाथरास नमवि जिणवर निज्जियाणंग वज्रस्वामीचरित नमिउ(ऊ)ण महावीरं
उपधानप्रतिष्ठापंचाशक नमिउं गुरुपयपउमं
गुरुभक्तिमहिमाकुलक नमिउं सिरिसिरिभवणं
हीरविजयसूरिस्वाध्याय नमिऊण छन्दलक्खणधेj छन्दोनुशासनम्-सविवृति नमिऊण महावीरं गोयमसामि आलोयणाविहाणं नमिऊण महावीरं दसण
बूटडिश्राविका-व्रतग्रहणविधि
लखमसिरीश्राविका-व्रतग्रहणविधि नमिरसुरमउडमाणिक्कतेय- गुरुस्थापनाशतक नमो महसेननरेन्द्रतनु(नू)ज ! चन्द्रप्रभस्तव (षड्भाषाबद्ध)
३४
४१
५१
३६ ३६ ३८
१४ १९ १
२५
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--------------------------------------------------------------------------
________________
३४
३९ २५
नयगमभंगपहाणा विराहिआनारीण बाहिरंगे जह दिढे नियगुरुपायपसाया नाउं निरवधिरुचिरज्ञानम् पंचजन्नि आउरिय संख जिणि
आज्ञास्तोत्र संवेगचूलिकाकुलक आत्महितचिन्ताकुलक ऋषभप्रभुस्तव-सावचूर्णि (अष्टभाषामय) नेमिनाथस्तोत्र
३६
२२
५३
१
४८
पढममुणिवर जणमणाणंद पढमं पढमजिणिंदं पणमिअ जिणवरवसहं पणमिअ पासजिणिंदं पणमिअ वीरजिणं(णिं)दं पणमिअ सुरवरपूइअपणमिय पढमजिणिंदं सीसं परिसिद्धिकए सिरिरिसहनाह ! पिंगियसंजमं नेमि प्रणमदिन्द्रशिरोमणिरुग्भरो बालत्तणिमि सामिय
श्राविकाणां चतुर्विंशतिनमस्कार ललितांगचरित्र (रासकचूडामणि) हीरविजयसूरिस्वाध्याय पट्टावलीविसुद्धि हीरविजयसूरिस्वाध्याय पार्श्वनाथस्तवन (उवसग्गहरं-समस्यापूर्ति) पुंडरीकगणधरस्तोत्र चतुर्विंशतिजिनस्तोत्राणि नेमिसूरीश्वरस्तुति (त्रिभाषामयी) पार्श्वनाथस्तव (नवफणा-अष्टभाषामय) आदिस्तव (ते धन्ना...)
६२
४९
६३
५० (१)
३७
१०
अनुसन्धान ५१
१
Page #39
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________________
३२
११ ५० (२)
जून २०१०
७३
९२
मंगलवरतरुकंदं सुहभावरागिमिहुणं व रत्तं रेहाहि को तहिं ? को विणय- वंदहु निम्मलनाणनिहि वंदिअ सिद्धसमिद्धं पण?विमलचारित्तपरिकलियवरदेहओ विमलविउलतवगच्छगयणवीससेण-अइरादेविनंदण
पार्श्वनाथस्तव जिनपतिसूरिपंचाशिका पंचपरमेष्ठिस्तव (प्रश्नगर्भ) जिनप्रबोधसूरि-जिनचन्द्रसूरि-चन्द्रायणा मुनिमाला ज्ञानसागरसूरिविज्ञप्ति कुलमण्डनसूरिविज्ञप्ति शान्तिनाथस्तोत्र
५
२८
२२
६३
३१
२९
६०
श्रीधम्मसूरिचंदो सो नंदउ धर्मसूरिछप्पय श्रीसीमंधरदेव देवनरदाणवनायग सीमन्धरस्वामिविज्ञप्ति संखतुषारसमाणभूरिगुणकलियसुदेहा महत्तराचारित्रचूलाविज्ञप्ति संखपुरेसरि वंदहु देउ
पार्श्वनाथस्तवन (शंखेश्वर) संखेसरि पुरि संठियह
पार्श्वनाथस्तवन (शंखेश्वर) संपत्तसंसारसमुद्दतीरं
राणीश्राविकागृहीत-द्वादशव्रतवर्णन सयलतियलोक्कतिलयं
नेमिनाथस्तवन सामि सामलय तणु कंति पार्श्वनाथस्तोत्र
६०
१५
४७
३०
Page #40
--------------------------------------------------------------------------
________________
सिद्धत्थसुयं सिद्धं बुद्धं सिद्धाण नमुक्कारं अट्ठकम्माण सिद्धि सहयार - मायावणि
सिरि संखेसरसंठिय
सिरिचरिमतित्थनाहं
सिरिधम्मसूरिपहुणो
सिरिधम्मसूरिसुगुरुं
सिरिनेमिनाह ! सामिय !
सिरिपास ! तिजयसुंदर !
सिरिमंदिरसुंदरकायजाय सिरिवज्जसेणपणयं
सिरिसिलसूरिगुरुगणहरह सुहिओ वा दुहिओ वा थोवं सो जयउ जस्स सयलं
श्रुतास्वादः
कम्मबत्तीसी
पंचकपरिहाणि
पार्श्वनाथस्तवन (शंखेश्वर)
अणहिलपुर - रथयात्रास्तवन मनोनिग्रहभावनाकुलक
अप्पाणुसासणं
नेमिनाथस्तव
पार्श्वनाथस्तवन
चतुर्मुखमहावीरस्तवन
३६३ पाखण्डीस्वरूपस्तोत्र
३६३ पाखण्डीस्वरूपस्तोत्र - सावचूरि
धर्मसूरिदेशनागुणस्तुति पर्यन्तसमयाराधनाकुलक
कामरूपपंचाशिका
३३
m m σ 990
२३
२१
३७
४४
४४
४४
४४
४४
४४
२१
२१
२२
४४
४४
१३
२३
१
३५
१
५९
५०
३८
२०
३१
२८
३०
३३
२७
५६
४४
१
३६
अनुसन्धान ५१
Page #41
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________________
नाम
नाटिकानुकारि षड्भाषामयं पत्रम् 'पढमाणुओग' नी उपलब्ध वाचना प्राकृतशब्दाः संस्कृते नानार्थाः विज्ञप्तिपत्र
नाटिकानुकारि षड्भाषामयं पत्रम्
२. प्राकृत- गद्य-रचना ( ४ )
कर्ता
रूपचन्द्र उपा.
निम्हण कवि
जयशेखर पण्डित
विज्ञप्तिपत्र
आदिवाक्य
स्वस्तिश्रीसिद्धसिद्धान्ततत्त्वबोधा (ध) विधायिने ।
पढमाणुओगनी उपलब्ध वाचना
ते काणं तेणं समएणं भगवं वीरे वद्धमाणे. प्राकृतशब्दाः संस्कृते नानार्थाः
इक्कम्मि पए पयडत्थसंगए बहुलअत्थसंदोहं ।
स्वस्तिश्रीवरवर्णिनी प्रियतमं विश्वत्रयैकाधिपं.
सम्पादक
विनयसागरजी
शीलचन्द्रसूरिजी
शीलचन्द्रसूरिजी
विनयसागरजी
२७.१
६.१
५.४
३३.८
अनु. पृष्ठ
२७
६
५
३३
oo 20
१
१
४
८
जून २०१०
३७
Page #42
--------------------------------------------------------------------------
________________
३. संस्कृत-पद्य-रचना (१०१)
स्तोत्रात्मक (६९) कर्ता हेमहंस उपा. धर्मकीर्तिविजयजी रविसागर
धुरन्धरविजयजी
सम्पादक
कृति आदिनाथस्तवन (अकारान्तपदात्मक) आदिनाथस्तवन (सुखभक्षिकानामगर्भित)
अनु.
८ २३
पृष्ठ ८१ ८५ २१
आदिनाथस्तुति (कुटुम्बनामगर्भित)
भक्तिसागर
धुरन्धरविजयजी
३३
आदिनाथस्तोत्र (कोट्टदुर्गमण्डन) आदिनाथस्तोत्र (भक्तामर-पादपूर्ति) आनन्दलहरी (सौन्दर्यलहरी-पादपूर्ति)
ज्ञानप्रमोद उपा. विवेकचन्द्र गणि रत्नसिंह
४० ५० (१)
३७
४६
३८
विनयसागरजी विनयसागरजी सुयशचन्द्रविजयजी, सुजसचन्द्रविजयजी अमृत पटेल शीलचन्द्रसूरिजी अमृत पटेल कल्याणकीर्तिविजयजी शीलचन्द्रसूरिजी
14
२३
ऋषभजिनस्तोत्र - सावचूरि (रघुवंश-पादपूर्ति) ऋषभदेववंशवर्णन (रघुवंशरीत्या) ऋषभदेवस्तोत्र - सटिप्पण (भक्तामर- पादपूर्ति) ऋषभशतक कमलपंचशतिकास्तोत्र - सटिप्पण
0
रत्नसिंह रविसागर गणि महीसागर गणि हेमविजय पण्डित हर्षकुल गणि
१९
३८ २९ १५
अनुसन्धान ५१
३२
Page #43
--------------------------------------------------------------------------
________________
गिरिनारवर्णन (कुमारसम्भवरीत्या )
गुरुवर्णन (जिनशतकमहाकाव्य- प्रथमपरिच्छेदाद्यपद)
गुरुस्तुति
गौतमगणधरस्तव चतुर्विंशतिजिननमस्कारकाव्यानि चतुर्विंशतिजिनस्तवन
चतुर्विंशतिजिनस्तुति (वर्धमानाक्षरा) चतुर्विंशतिजिनस्तोत्र
चतुर्विंशतिजिनस्तोत्र
चतुर्हारावलीचित्रस्तव - सवृत्ति
जिनकुशलसूरिछन्दः जैनतीर्थावलीद्वात्रिंशिका
तीर्थकरस्तवन
नन्दीश्वरादिस्तुतयः (१) ३२.८९
रविसागर गणि रविसागर गणि
सूरप्रभसूरिजी
भुवनहिताचार्य' लक्ष्मीकल्लोल गणि
दीप्तिविजयजी
जयतिलकसूरिजी ज्ञानतिलक
क्षमाकल्याण उपा.
शीलचन्द्रसूरिजी
शीलचन्द्रसूरिजी
भुवनचन्द्रजी
विनयसागरजी
शीलचन्द्रसूरिजी
विनयसागरजी
विनयसागरजी
الله الله په * * *
२३
शीलचन्द्रसूरिजी रत्नकीर्तिविजयजी
२३
३९
३१
१३
२५
३४
सुयशचन्द्रविजयजी,
सुजसचन्द्रविजयजी सुयशचन्द्रविजयजी, ४८
सुजसचन्द्रविजयजी शीलचन्द्रसूरिजी
विनयसागरजी
४८
२०
४८
सुयशचन्द्रविजयजी, ४९
सुजसचन्द्रविजयजी
२०
१५
≈≈ 3 1 8 m - 5
३३
४२
२३
१८
१९
५३
१
३५
४०
१
४८
९८
९६
२७
जून २०१०
३९
Page #44
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________________
नाभेयजिनस्तवन
नाभेयस्तवन
मिजिनस्तुति (रैवतकमण्डन)
नेमिजिनस्तोत्र (उज्जयन्तालङ्कार)
नेमिनाथस्तवन (नानाछन्दोमय)
नेमिनाथस्तोत्र
नेमिराजीमतीवर्णन (मेघदूतरीत्या)
पार्श्वजिनलघुस्तवन पार्श्वनाथ-महादण्डक-स्तुति
पार्श्वनाथगीत
पार्श्वनाथफागुकाव्य (नवखण्डा)
पार्श्वनाथलघुस्तवन
पार्श्वनाथस्तवन (मंगलपुरीय- नवपल्लव) पार्श्वनाथस्तवन (मगसी-कुटुम्बनामगर्भित)
पार्श्वनाथस्तुति (चारूपमण्डन)
पार्श्वनाथस्तोत्र (करहेटक)
पार्श्वनाथस्तोत्र (गवडी)
यशोविजय उपा.
हीरसूरिजी ऋषिवर्धनसूरिजी
जिनपतिसूरिजी
रत्नसिंहसूरिजी
रविसागर गणि
रूपचन्द्र
सहजकीर्ति उपा.
चन्द्रोदय आनन्दमाणिक्य
रविसागर
सोमतिलकसूरिजी ज्ञानतिलक
शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी
शीलचन्द्रसूरिजी
विनयसागरजी
विमलकीर्तिविजयी
शीलचन्द्रसूरिजी
शीलचन्द्रसूरिजी
शीलचन्द्रसूरिजी
प्रद्युम्नसूरिजी
जिनसेनविजयजी
प्रद्युम्नसूरिजी धर्मकीर्तिविजयजी
धुरन्धरविजयजी
धुरन्धरविजयजी
पुण्यविजयजी मुनिचन्द्रसूरिजी
विनयसागरजी
3
३
४९
३१
२३
४४
२३
११
१२
१८
६
७
८
८
२३
११
१४
४८
१२
५
११५
१६
२४
३२
३५
६४
८१
x x 。 i â â â x i
१०२
४३
८३
८४
८४
२०
१
४०
अनुसन्धान ५१
Page #45
--------------------------------------------------------------------------
________________
२८ ४०
पार्श्वनाथस्तोत्र (तिमिरीपुरीश्वर) पार्श्वनाथस्तोत्र (रतलामभूषण) पार्श्वनाथस्तोत्र (शंखेश्वर) पार्श्वनाथस्तोत्र (सुन्दरीछन्द) पार्श्वनाथस्तोत्र
जून २०१०
श्रीवल्लभोपाध्याय ज्ञानप्रमोद उपा. रत्नसिंहसूरिजी श्रीवल्लभोपाध्याय रत्नसिंह
३३ ३७ ६१ २९
२८
४०
१२
बन्धकौमुदी भारतीस्तोत्र महावीरजिनस्तोत्र (संसारदावा-पादपूर्ति) महावीरस्तोत्र (सुजैत्रपुरमण्डन)
५१
विनयसागरजी विनयसागरजी शीलचन्द्रसूरिजी विनयसागरजी सुयशचन्द्रविजयजी, सुजसचन्द्रविजयजी शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी अमृत पटेल सुयशचन्द्रविजयजी, सुजसचन्द्रविजयजी विनयसागरजी अमृत पटेल धुरन्धरविजयजी
नृसिंह कवि रत्नसिंहसूरिजी ज्ञानसागरसूरिजी रत्नसिंह
४३
३८
मेदपाटतीर्थमाला वीतरागस्तोत्र - सावचूरि (रघुवंश-पादपूर्ति) वीरजिनस्तोत्र (सुखाशिकानामगर्भित)
हरिकलश यति रत्नसिंह नेमिसागर
८
30
८६
हीरसूरिजी
धुरन्धरविजयजी
११
६७
वीरस्तुति (चतुरर्थी-सावचूरि) (१) ४५.१०६
Page #46
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________________
२६
११६ ६५ २८ ६६
३८ __ १५
७१
शत्रुजयचैत्यपरिपाटिकास्तोत्रम् शम्भवजिनस्तोत्र (पावकपर्वतमण्डन) शान्तिजिनस्तोत्र (आनन्दानन्द-पादपूर्ति) शारदागीत सप्तदलं लेखकमलम् समवसरणस्तोत्र समस्तजिनस्तुति (पद्धडीछन्द) सरस्वतीस्तोत्र सरस्वतीस्तोत्र* सरस्वतीस्तोत्र सर्वजिनस्तोत्र
२७
अरविन्दसूरिजी विवेकरत्नसूरि-शिष्य शीलचन्द्रसूरिजी ज्ञानसागरसूरिजी अमृत पटेल यशोविजय उपा. शीलचन्द्रसूरिजी लावण्यसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी
अरविन्दसूरिजी रूपचन्द्र
शीलचन्द्रसूरिजी
रत्नकीर्तिविजयजी बप्पभट्टिसूरिजी रत्नकीर्तिविजयजी ज्ञानतिलक विनयसागरजी रत्नसिंह
सुयशचन्द्रविजयजी,
सुजसचन्द्रविजयजी सकलचन्द्र उपा. शीलचन्द्रसूरिजी
शीलचन्द्रसूरिजी यशोविजय उपा. धुरन्धरविजयजी
५
५ ___४८ ___ ४३
६३ २७ २४ ४६ ४४
३
१०
सीमन्धरजिनस्तवन सुप्रभातं-स्तवन सुविधिपार्श्वजिनस्तव (अपूर्ण) (१) १७.१६४ (२) १७.१६०
३३
१
अनुसन्धान ५१
Page #47
--------------------------------------------------------------------------
________________
वर्णनात्मक (३२)
कर्ता
अनु.
जून २०१०
कृति अनुमानमातृका-सावचूरि अभयाभ्युदयमहाकाव्य
पृष्ठ ८५ १
मुनिदेवसूरिजी
४६
५८
१८ ४४
१४
जगन्नाथ पण्डित रत्नसिंहसूरिजी रत्नसिंहसूरिजी समुच्चय मुनिसोम गणि
४४
१६
४३
सम्पादक कल्याणकीर्तिविजयजी सुयशचन्द्रविजयजी, सुजसचन्द्रविजयजी नीलांजना शाह शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी विनयसागरजी धर्मकीर्तिविजयजी प्रद्युम्नसूरिजी धर्मकीर्तिविजयजी धर्मकीर्तिविजयजी सुयशचन्द्रविजयजी, सुजसचन्द्रविजयजी भुवनचन्द्रजी विनयसागरजी
१ १७
अश्वधाटीकाव्य - सानुवाद आत्मतत्त्वचिन्ताभावनाचूलिका आत्मानुशास्ति आनन्दसमुच्चयः (योगशास्त्रम्) कल्पसूत्रलेखनप्रशस्ति चित्रकाव्यानि ज्ञानभण्डारप्रशस्ति दृष्टान्तशतक-१ दृष्टान्तशतक-२ बीबीपुरस्थित-श्रीचिन्तामणिपार्श्वनाथ-चैत्यप्रशस्ति
४७
3३
४७
११
१४
११
१४ ४५
सत्यसौभाग्य गणि
भवनभूषण-भूषणभवनकाव्य (अपूर्ण) भावप्रदीपः (प्रश्नोत्तरकाव्य)
साधुहर्ष उपा. हेमरत्न
५० (१)
३९
४३ ७६
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________________
मातृकाप्रकरण
अक्षयचन्द्र उपा.
१२
१
१०१
श्रीवल्लभोपाध्याय मेघविजय उपा.
मातृकाश्लोकमाला राणभूमीशवंशप्रकाशः लघुकर्मविपाक - सस्तबक विज्ञप्तिकालेखः विज्ञप्तिपत्री (महादण्डकाख्या) विज्ञप्तिपत्र षड्दर्शनपरिक्रम' (गुर्जर-अवचूरि सह)* संशयगरलजांगुलीनाममाला सारस्वतोल्लासकाव्य सिद्धमातृकाप्रकरण
२६ २५
८ १६ १६ ३५
८९ १ ५
धनहर्ष-शिष्य समयसुन्दर उपा. विनयवर्धन जिनदत्तसूरिजी महेश्वरकवि रत्नमण्डन सिद्धसेनसूरिजी
शीलचन्द्रसूरिजी, हरिवल्लभ भायाणी विनयसागरजी कल्याणकीर्तिविजयजी धर्मकीर्तिविजयजी शीलचन्द्रसूरिजी विनयसागरजी रत्नकीर्तिविजयजी कल्याणकीर्तिविजयजी शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी, धुरन्धरविजयजी शीलचन्द्रसूरिजी अमृत पटेल नीलांजना शाह
सुभाषितसंचय सूक्तमाला सूक्तावली
नरेन्द्रप्रभसूरिजी
अनुसन्धान ५१
१) १८.२८१
२) १६.२४०
३) २८.९८
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________________
३३
२८
४१
सेवालेखः स्याद्वादकलिका* हयाटाखाटकाव्य - सटीक हाल्लारदेशचरित्र
जून २०१०
३७
११
आदिपद ...बमानमेखलाभिरामदामअङ्कादृतक्षितिजमङ्कानभिज्ञअथाऽभ्यर्च्य विधातारम् अन्तःकुण्डलिनिप्रसुप्तभुजगाकारअब्धिलब्धिकदम्बकस्य अविनाभूताल्लिङ्गाद्विज्ञानम् अस्त्यत्र भूयःशिखराअहं विभुर्विश्वशिरोवतंसआनन्दनम्रविबुधाधिपमौलिकोटीकल्याणकेलिसवनाय नमो कल्याणवल्लीवनवारिवाहम् कल्याणशस्यपाथोदम्
मेघविजय उपा. शीलचन्द्रसूरिजी राजशेखरसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी
कल्याणकीर्तिविजयजी
धर्मकीर्तिविजयजी आदिपदानुक्रम (१०१) कृतिनाम सुविधिपार्श्वजिनस्तव (अपूर्ण) अश्वधाटीकाव्य-सानुवाद ऋषभजिनस्तोत्र-सावचूरि (रघुवंश-पादपूर्ति) सरस्वतीस्तोत्र गौतमगणधरस्तव अनुमानमातृका-सावचूरि गिरिनारवर्णन (कुमारसम्भवरीत्या) सिद्धमातृकाप्रकरण पार्श्वनाथस्तोत्र (रतलामभूषण) पार्श्वनाथस्तोत्र महावीरजिनस्तोत्र (संसारदावा-पादपूर्ति) आत्मतत्त्वचिन्ताभावनाचूलिका
Page #50
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________________
कश्चिज्जनो लज्जितहृज्जडिम्ना
कश्चित् प्रत्यानयति मनुजो कोऽयं नाथ ! जिनो भवेत्तव
चञ्चच्चामीकराभप्रवरवरतनुचतुर्विंशतिं तीर्थनाथान् प्रणम्य चिदानन्दं नत्वा विशदविधिनाजय जनतारक हे ! जगदाधारक जय जय जनतारक हे जगदाधारक जय जय वागीशे जयदात्रि
जय वीतमोह ! जय वीतदोष !
जयकरजन्तुकृपालय
जयति विजयलक्ष्मीवासवेस्मा (वेश्मा)जयसि साकर मोदक हेशसी
जिनकुशलं सूरीशम् जिनवरेन्द्र ! वरेन्द्रकृतस्तुते ! जैनं मैमांसकं बौद्धं साङ्ख्यम्
सारस्वतोल्लासकाव्य नेमिराजीमतीवर्णन (मेघदूतरीत्या)
सूक्तावली
शान्तिजिनस्तोत्र (आनन्दानन्द-पादपूर्ति) मेदपाटतीर्थमाला
आनन्दलहरी (सौन्दर्यलहरी - पादपूर्ति)
पार्श्वजिनलघुस्तवन
पार्श्वनाथगीत
सरस्वतीस्तोत्र
समस्तजिनस्तुति
आदिनाथस्तुति (कुटुम्बनामगर्भित )
राणभूमीशवंशप्रकाशः
वीरजिनस्तोत्र (सुखाशिकानामगर्भित)
जिनकुशलसूरिछन्दः पार्श्वनाथस्तोत्र
षड्दर्शनपरिक्रम (गूर्जर - अवचूरि सह )
3 ≈ 2 1 ∞ w 2 2 u I
१५
२३
१४
३८
३७
४३
११
१८
४८
८
322 20
२३
२५
८
२३
४८
२८
१४
१
३५
९२
२८
३८
४६
६४
१०२
* * * w 2 x 2 o
४६
६३
८८
१८
४४
८६
२२
४८
२९
१
४६
अनुसन्धान ५१
Page #51
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________________
तमालनीलच्छविपिच्छिलाङ्गः तीर्थेश्वरश्रीयुतविद्यमान
तुभ्यं नमः शुभसुजैत्रपुरावतार ! तेजोऽत्युग्रमपि द्रव्याभावे त्रिभुवनप्रभुताभवनक्रमो देवा भाग्यवतां क्षे
धर्ममहारथसारथिसारम् नन्दीश्वरद्वीपमितैर्जिनानाम्
नमस्कृत्य सरस्वत्याः
नमस्तस्मै नृहरये
नमस्ते सदानन्दसन्दोहकारिन् ! नम्रेन्द्रचन्द्र ! कृतभद्र ! नम्रेन्द्रमण्डलमणीमयमौलिमालानाभिनामनरनाथचन्दनम् निःप्रत्यूहमुपासतां कृतधियः पुरा पुरे राजगृहे प्रसेनप्रणमताऽनर्गलज्ञानसञ्जीविनीम् प्रणिपत्य परं ज्योति-र्नानाप्रतिजन्म भवेत्तेषाम्
पार्श्वनाथस्तुति (चारूपमण्डन) जैनतीर्थावलीद्वात्रिंशिका महावीरस्तोत्र (सुजैत्रपुर - मण्डन )
दृष्टान्तशतक - १ नाभेयस्तवन
दृष्टान्तशतक - २
पार्श्वनाथलघुस्तवन
नन्दीश्वरादिस्तुतयः
हाल्लारदेशचरित्र
बन्धकौमुदी सर्वजिनस्तोत्र
आदिनाथस्तोत्र (भक्तामर - पादपूर्ति) शत्रुंजयचैत्यपरिपाटिकास्तोत्र
आदिनाथस्तवन (अकारान्तपदात्मक)
बीबीपुरस्थित-चिन्तामणिपार्श्वनाथ चैत्यप्रशस्ति
अभयाभ्युदयमहाकाव्य
शारदागीत
सूक्तमाला लघुकर्मविपाक-सस्तबक
~ ∞ 2 x x 6 ~ ± ≈ 6 ± ± 6 2 w 2 ∞ ∞
४९
४३
१४
३
१४
१५
४३
५० (१)
२६
४५
४६
४०
८
१
९८
४३
११
५
१९
८३
२७
३७
१२
४४
३७
११६
८१
१
१
६६
२१
८९
जून २०१०
४७
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________________
१९
प्रथमजिनवर ! प्रथमजिनवर ! प्रबोधमाधातुमशाब्दिकानाम् प्राकृतः संस्कृतो वाऽपि बुद्ध्यर्थोऽयमभियोगः, प्रभुपादब्रह्माण्डमण्डलविबोधविरोचनाय भक्तामरप्रभुशिरोमणिमौलिमालामहाप्रातिहार्यश्रिया शोभमानम् मूर्तयस्ते क्व नेक्ष्यन्ते श्रीनेमे ! मेऽघं । स्याऽर्हन् । नोऽजाः । यः सन्तापं गाङ्ग सन्त्यन्ययत्र वित्रासमायान्ति तेजांसि यन्नामस्मृतिरप्यशेषयस्त्रैलोक्यगतं ततं गुरुयुगादौ जगदुद्धा, यौ युग्मरम्यं ते वरनाम वामवदने लक्ष्मीवन् कृतकु(कू)रसू रणदहीलोकान्तरसुखं पुण्यम् वाग् प्रसन्नमुखी भूया [त्] विज्ञानपारगत ! बालकवीरमान
चतुर्विंशतिजिननमस्कारकाव्यानि संशयगरलजांगुलीनाममाला आत्मानुशास्ति मातृकाप्रकरण सीमन्धरजिनस्तवन ऋषभदेवस्तोत्र-सटिप्पण (भक्तामर-पादपूर्ति) शम्भवजिनस्तोत्र (पावकपर्वतमण्डन) नेमिनाथस्तोत्र चतुर्विंशतिजिनस्तुति (वर्धमानाक्षरा) सुभाषितसंचय आनन्दसमुच्चयः (योगशास्त्रम्) भारतीस्तोत्र पार्श्वनाथस्तोत्र (शंखेश्वर) चतुर्विंशतिजिनस्तवन भवनभूषण-भूषणभवनकाव्य (अपूर्ण) चित्रकाव्यानि वीतरागस्तोत्र-सावचूरि (रघुवंश-पादपूर्ति) ऋषभदेववंशवर्णन (रघुवंशरीत्या) वीरस्तुति (चतुरर्थी)
५० (१)
४३
३८
१७
अनुसन्धान ५१
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________________
जून २०१०
विदितनिखिलभावसद्भूतभूतविपुलमङ्गल-मण्डलदायकम् विश्वप्रभुं प्रणतनाकिकिरीटरत्नव्याख्यास्तु यस्य रदनद्युतयोऽसिताशाश्वतलक्ष्मीवल्लीदेवम् श्रीदेवार्चितं देवं, सेव्यम् श्रीनवपल्लवपार्श्वजिनेशम् श्रीनाभिनन्दन जिनेषु कुरुष्व शान्ते श्रीनाभिनन्दनजिनोऽजितसम्भवेशम् श्रीनाभिसूनो ! जिनसार्वभौम ! श्रीनिर्वृतिकमलदृशः करकमलश्रीपार्श्वनाथजिनपं तमहं स्तवीमि श्रीमगसीपुरमण्डनशम्भो
पार्श्वनाथ-महादण्डक-स्तुति पार्श्वनाथफागुकाव्य (नवखण्डा) आदिनाथस्तोत्र (कोट्टदुर्गमण्डन) नेमिजिनस्तोत्र (उज्जयन्तालङ्कार) पार्श्वनाथस्तोत्र (गवडी) चतुर्विंशतिजिनस्तोत्र पार्श्वनाथस्तवन (मंगलपुरीय-नवपल्लव) गुरुस्तुति सुप्रभातं-स्तवन चतुर्हारावलीचित्रस्तव-सवृत्ति कमलपंचशतिकास्तोत्र-सटिप्पण पार्श्वनाथस्तोत्र (तिमिरीपुरीश्वर) पार्श्वनाथस्तवन (मगसी-कुटुम्बनामगर्भित)
२३ ३९ २३
भावप्रदीपः (प्रश्नोत्तरकाव्यम्) गुरुवर्णन (जिनशतकमहाकाव्य-प्रथमपरिच्छेदाद्यपद) ज्ञानभण्डारप्रशस्ति नाभेयजिनस्तवन
२० ७६ ४२
श्रीमते विश्वविश्वकभास्वते शाश्वतश्रीमद्यत्पादजाताः प्रबलबलभृतः श्रीमन्महे महेभ्यश्रेणिसमृद्धे श्रीविमलाचलमण्डण गतदूषण ए
१२
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________________
श्रीशान्तिं प्रणिपत्य नित्यमनघम् श्रीशारदां सद्वरदां प्रणम्य । श्रीशैवेयं शिवश्रीदं, छन्दोभिः श्रीसंघे वर साकर
मातृकाश्लोकमाला चतुर्विंशतिजिनस्तोत्र नेमिनाथस्तवन (नानाछन्दोमय) आदिनाथस्तवन (सुखभक्षिकानामगर्भित)
षड्द्रव्यज्ञं जिनं नत्वा सकलविमलशाश्वतस्वस्तिसत्केवलज्ञानमहाप्रभाभिः समुल्लसद्भक्तिसुराः सर्वज्ञवाणी जयतात् सुपर्ववेलिवर्धिष्णुसुरकिन्नरनागनरेन्द्रनुतम् स्वस्ति श्रीः प्रसभं सभासु भगवत्स्वस्ति श्रीभृगुकच्छमच्छनगरम् स्वस्ति श्रीमति यत्र मित्रमहसि स्वस्ति श्रीशं देवाधीशम् स्वस्तिश्रीकरिणी यदीयविलसत्स्वामिन् ! नमन्नर-सुरा-ऽसुरमौलिहयाटाखाट-सिंहाटागोटाजाटा
स्याद्वादकलिका विज्ञप्तिपत्री (महादण्डकाख्या) समवसरणस्तोत्र नेमिजिनस्तुति (रैवतकमण्डन) सरस्वतीस्तोत्र कल्पसूत्रलेखनप्रशस्ति तीर्थकरस्तवन सेवालेखः सप्तदलं लेखकमलम् ऋषभशतक विज्ञप्तिपत्र विज्ञप्तिकालेखः पार्श्वनाथस्तोत्र (करहेटक) हयाटाखाटकाव्य-सटीक
१४ ३७
४२ १६
अनुसन्धान ५१
Page #55
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________________
जून २०१०
नाम
सम्पादक
३०
१०
२०
अर्हत्प्रवचनसूत्र-सविवरण आत्मसंवादः ऋषभतर्पण कर्मप्रकृतिसंक्षेपविवरण गायत्रीमन्त्रवृत्ति चतुर्दशस्वरस्थापनवादस्थलम् जातिविवृत्तिः जिनस्तुति
जैनसन्ध्याविधि न्यायसिद्धान्तमंजरीटिप्पनक पंचसूत्रावचूरि पत्र-खरडो परीहार्यमीमांसा प्रणम्यपदसमाधानम् प्रमाणसारः बृहच्छान्तिस्तोत्र (१) २७.६७
४. संस्कृत-गद्य-रचना (३४) कर्ता
___ अनु. पृष्ठ शीलचन्द्रसूरिजी
८८ यशोविजय उपा.
शीलचन्द्रसूरिजी
शीलचन्द्रसूरिजी यशोविजय उपा.
शीलचन्द्रसूरिजी शुभतिलक उपा. रत्नकीर्तिविजयजी
१७३ श्रीवल्लभोपाध्याय
विनयसागरजी गुणविजयजी
शीलचन्द्रसूरिजी जगच्चन्द्रसूरिजी ८ जिनसेनविजयजी
१७ सिद्धिचन्द्र उपा.
कल्याणकीर्तिविजयजी १४ मुनिसुन्दरसूरिजी
शीलचन्द्रसूरिजी यशोविजय उपा. शीलचन्द्रसूरिजी
६५ नेमिसूरिजी, सागरानन्दसूरिजी -
४१ १२ सूरचन्द्र उपा.
विनयसागरजी ३३६९ मुनीश्वरसूरिजी
शीलचन्द्रसूरिजी २५ १८ शान्तिसूरिजी
शीलचन्द्रसूरिजी __१५ ९४
३० २३ १२५ १६६
५०
४७
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________________
३८
२७
6
भक्तामरस्तववृत्ति
शान्तिसूरिजी भक्तामरस्तवसुखबोधिकावृत्ति मङ्गलवादः
सिद्धिचन्द्र उपा. मूर्तिपूजायुक्तिबिन्दुः
विजयोदयसूरिजी मूर्तिमन्तव्यमीमांसा
विजयोदयसूरिजी मेघदूतखण्डना (अपूर्ण)
मानसागर पण्डित मेघदूतप्रथमपद्यस्याऽभिनवत्रयोऽर्थाः समयसुन्दर उपा. रघुवंशद्वितीयसर्गटीका
विजयनेमिसूरिजी ललितविस्तरः - लिपिशालासन्दर्शनपरिवर्तः-सानुवाद - विबुधपदविज्ञप्ति
हीरसूरिजी शत्रुजययात्रावृत्तान्त
सोमतिलकसूरिजी शब्दसंचयः शब्दार्थचन्द्रिका
हंसविजयजी सप्तनयविवरण सिद्धचक्रयन्त्रोद्धारविधिव्याख्या
चन्द्रकीर्तिसूरिजी स्तम्भनपार्श्वनाथद्वात्रिंशत्प्रबन्धोद्धारः स्तम्भनाधीशप्रबन्धसंग्रह
मेरुतुंगाचार्य हर्मन जेकोबीना पत्रनो उत्तर
नेमिसूरिजी, सागरान्दसूरिजी हर्मन जेकोबीनो पत्र
हर्मन जेकोबी
२१७
शीलचन्द्रसूरिजी ५० (१) शीलचन्द्रसूरिजी ५० (१) शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी विनयसागरजी धर्मकीर्तिविजयजी प्रीतम सिंघवी महाबोधिविजयजी प्रद्युम्नसूरिजी धर्मकीर्तिविजयजी धर्मकीर्तिविजयजी शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी ९ शीलचन्द्रसूरिजी
४१ ४१
- 08 :
00
३९
१०
१२
२३
६१
२२ २०
अनुसन्धान ५१
Page #57
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________________
जून २०१०
५३
आदिवाक्य • अर्हत्प्रवचनसूत्र-सविवरण ५.८८
अथातो अर्हत्प्रवचनं व्याख्यास्यामः । तद् यथा । • आत्मसंवादः २०.३०
इह खलु ‘ज्ञान-क्रियाभ्यां मोक्षः' इति जैनाः । ऋषभतर्पण २१.१०
ॐ नमः श्रीपरमात्मने आदिपुरुषाय.... • कर्मप्रकृतिसंक्षेपविवरण २२.४
ऐन्द्रश्रेणिनतं नत्वा ...। सिद्धं सिद्धार्थसुतम्... • गायत्रीमन्त्रवृत्तिः १७.१७३
चिदात्मदर्शसङ्क्रान्त-लोकालोकविहायसे । • चतुर्दशस्वरस्थापनवादस्थलम् ४५.३०
श्रीसिद्धी भवतान्तरां भगवतीभास्वत्प्रसादोदयाद्.... __ जातिविवृतिः ३४.२३
___श्रीमहावीरमर्हन्तं प्रणिपत्य विधीयते । जिनस्तुति ८.१२५
कु ख गों घ ङ च छो जा जैनसन्ध्याविधि १७.१६६
अथ सन्ध्या उपदेश - आचमनं - ॐ ह्रीं सम्यग्दर्शनाय नमः
स्वाहा । न्यायसिद्धान्तमंजरीटिप्पनक १४.५०
श्रीसर्वज्ञं नमस्कृत्य, सिद्धिचन्द्रेण धीमता । • पंचसूत्रावचूरिः ११.४७
इह पापप्रतिघात-गुणबीजाधानादिपञ्चसूत्र्याः क्रमोऽयम्• पत्र-खरडो ६.६५
स्वस्ति श्रीमद् यदीयक्रमकमल..... • परीहार्यमीमांसा ४१.१२
येनाऽक्षालि सुभव्यमानसतमोलेपः सुधासोदेरैः....
Page #58
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________________
अनुसन्धान ५१
• प्रणम्यपदसमाधानम् ३३.६९
प्रणम्य परमाधीशं, सूरचन्द्रेण साधुना । प्रमाणसार: २५.१८
ब्रूमः श्रिये तं वरिवस्य सार्वं रहस्यमुद्दिश्य विशेषदृष्टीन् । बृहच्छान्तिस्तोत्र १५.९४
भो भो भव्यलोका इह हि भारते समस्ततीर्थकृतां..... भक्तामर-स्तववृत्ति ५०(१).१
वृत्तिं भक्तामरादीनां स्तवानां वच्मि यथोदितम् । • भक्तामरस्तवसुखबोधिकावृत्ति ५०(१).२४
भक्तामर-| यः समिति । अस्य व्याख्या-किलेत्यव्ययं पदं... • मङ्गलवादः १०.१
शवेश्वरपुराधीशं श्रेयोवल्लीनवाम्बुदम् । मूर्तिपूजायुक्तिबिन्दुः ३१.१
प्रणम्य श्रीमहावीरं नेमिसूरिं गुरुं तथा । मूर्तिमन्तव्यमीमांसा ३१.७
प्रणम्य श्रीमहावीरं नेमिसूरिं गुरुं तथा । मेघदूतखण्डना (अपूर्ण) ३२.३८
प्रसादो रविवद्यस्यास्तमःसंहारकारणे । • मेघदूतप्रथमपद्यस्याऽभिनवत्रयोऽर्थाः ३२.२७
कश्चित्कान्ताविरह... । श्रीकालिदासकृतमेघदूतकाव्यप्रथमवृत्तस्य...। • रघुवंशद्वितीयसर्गटीका २६.१
अथ प्रजानामधिपः.... । अथेति । अथ कुलपतिनिर्दिष्टपर्णशालायां.... ललितविस्तर:-लिपिशालासन्दर्शनपरिवर्तः - सानुवाद १६.२१७
देवदेवो ह्यतिदेवः, सर्वदेवोत्तमो विभुः । विबुधपदविज्ञप्ति ५.३९
संवत् १६४० वर्षे पौषासित १० गुरौ श्रीहीरविजयसूरिभिर्लिख्यते । शत्रुजययात्रावृत्तान्त १०.१०
एकदा श्रीतपागच्छाधिराज श्रीसोमतिलकसूरयो महता श्रीसंघेन समं....
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________________
जून २०१०
♦ शब्दसंचयः ४९.१
•
•
शब्दाम्भोधिसमुल्लास-रसिकं श्रीजिनं सदा
शब्दार्थचन्द्रिका ५.१२
ॐ नमः सिद्धिसन्तान - दायिने परमात्मने । सप्तनयविवरण २१.१
स्यात्कारमुद्रिता भावा, नित्यानित्यस्वभावकाः । सिद्धचक्रयन्त्रोद्धारविधिव्याख्या ३६.२३
गयणमित्यादि । अत्र गगनादिसंज्ञा मन्त्र
स्तम्भनपार्श्वनाथद्वात्रिंशत्प्रबन्धोद्धारः ९.६१
श्रीस्तम्भनपार्श्वस्य मूर्तिः । शक्रेण कारिता । स्तम्भनाधीशप्रबन्धसंग्रह ९.१
सर्वभीतिविनाशार्थं, सर्वसौख्यैककारणम् ।
हर्मन जेकोबीना पत्रनो उत्तर ४१.२२
राजनगरतो मुनिनेमविजयानन्दसागराभ्यां....
हर्मन जेकोबीनो पत्र ४१.२०
५५
श्री श्री श्री १०५ श्रीमुनिनेमिविजयानन्दसागरावाचार्यशिरोमणी.......
Page #60
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________________
५. उत्तरकालीनअपभ्रंश - गुजराती व भाषानी पद्यरचना ( १७९)
कर्ता
कनकमाणिक्य गणि
कृति
अनन्तहंसगणि-स्वाध्याय अपभ्रंशदोहा
अभयकुमारचौपाई
अभयकुमारस्वाध्याय
अमृतधुन
अरणकस्वाध्याय
आचार्यजीना बार मसवाडा
आदिनाथ-बाललीला आदिनाथवीनती-पूजा आदिनाथवीनती
आरती
आराधनाध्यांनभास
उपदेशकुशलकुलक ऋषभदेवस्तुति १ (शत्रुंजय)
कीर्तिसुन्दर गण
मानदत्त
मेघा
गंगदास
अनन्तहंस
मेघा
मुनीचन्द्रनाथ
श्रीब्रह्म
विजयतिलकसूरिजी
सम्पादक
विनयसागर
भुवनचन्द्रजी
धर्मकीर्तिविजयजी
समयप्रज्ञाश्रीजी
शीलचन्द्रसूरिजी
समयप्रज्ञाश्रीजी
सुयशचन्द्रविजयजी,
सुजसचन्द्रविजयजी
शीलचन्द्रसूरिजी
रसीला कडीआ
रसीला कडीआ
समयप्रज्ञाश्रीजी
शीलचन्द्रसूरिजी
दीप्तिप्रज्ञाश्रीजी
भुवनचन्द्रजी
अनु. पृष्ठ
४२
४२
६८
२६
५९
६
3222%
४७
३५
२०
३५
४९
४०
२७
२९
३५
३५
२४
५
९८
६१
१०८
३९
६३
५८
६१
२५
७९
४०
५६
अनुसन्धान ५१
Page #61
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________________
मानदत्त
३५ २४
६५ ९८
कलयुगस्वाध्याय कृष्ण-बलभद्र-गीत खिमापंचावन्नी गांगजीऋषिभास
जून २०१०
लब्धिविजयजी शिवजी ऋषि
४३
४९
मुनीचन्द्रनाथ
३५ ५० (२)
९ १९
२९
५ ७६ १३४
समयप्रज्ञाश्रीजी रसीला कडीआ कल्याणकीर्तिविजयजी सुयशचन्द्रविजयजी, सुजसचन्द्रविजयजी शीलचन्द्रसूरिजी निरंजन राज्यगुरु जिनसेनविजयजी जिनसेनविजयजी शीलचन्द्रसूरिजी धर्मकीर्तिविजयजी जिनसेनविजयजी शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी महाबोधिविजयजी शीलचन्द्रसूरिजी
गीत गूढार्थ-दोहाओ गौतमगणधर-भास गौतमगणधर-भास गौतमस्वामिच्छन्दांसि गौतमस्वामीनी सज्झाय गौतमस्वामीनुं स्तवन* गौतमस्वामीरास गौतमस्वामीरास गौतमस्वामीरास चतुर्दशपूर्वपूजा चोत्रीसअतिशय-स्तवन चोवीशजिननमस्कार (अष्टमीमाहात्म्य)
५६
मेरुनन्दन गणि लक्ष्मीविजयजी धीरविजयजी रत्नशेखरसूरिजी रायचन्द ऋषि शान्तिदास चारित्रनन्दी कान्ह मुनि यशोविजयजी
१८ १९
४ ४९
७ ३५ ३५
१०३ १३२
५६ ११९ ५१ ३१ ४९
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________________
चोवीस जिनगीतो जगजीवनऋषिभास
तत्त्वविजयजी महानन्द ऋषि
११ ४३
११ ५३
जगजीवनऋषिभास
महानन्द ऋषि
५४
६८
हरसूर
६७
६७
६८ ६२
जिनसेनविजयजी सुयशचन्द्रविजयजी, सुजसचन्द्रविजयजी सुयशचन्द्रविजयजी, सुजसचन्द्रविजयजी कान्तिभाई शाह विनयसागरजी विनयसागरजी विनयसागरजी विनयसागरजी समयप्रज्ञाश्रीजी विनयसागरजी कल्याणकीर्तिविजयजी शीलचन्द्रसूरिजी कल्याणकीर्तिविजयजी निरंजन राज्यगुरु भुवनचन्द्रजी शीलचन्द्रसूरिजी
जगडूसाहछन्द जयकेसरीसूरिगीत जयकेसरीसूरिभास जयकेसरीसूरिभास जयकेसरीसूरिभास जिनप्रतिमापूजा-स्वाध्याय जिनसागरसूरिगीतानि (१५ गीत) जिनस्तवना (विविधनामगुम्फित) जिनानां पंचकल्याणकानि (दिगम्बरमतानुसारी) जीभसज्झाय जोगमायानो सलोको तपागच्छगुर्वावली-स्वाध्याय तीर्थस्थापनाभास
३५
५० (२)
३३
आस कवि हरसूर मानदत्त हर्षनन्दन उपा. रामविजयजी रूपचन्द्रजी लावण्यसमय उदयरत्नजी विनयसुन्दर मुनीचन्द्रनाथ
२७
5
५५
अनुसन्धान ५१
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________________
तेजबाई-व्रतग्रहण-सज्झाय
५० (१)
१०१
जून २०१०
४७
५८
२४ ४२ १२
६५ ४६ ४९
त्रणचउवीसी-विहरमाणजिनस्तवन त्रणमित्रउपनय-सज्झाय त्रम्बावती-तीर्थमाल (सूचि, निष्कर्ष व. साथे) दशार्णभद्रराजर्षि-श्लोक दानसूरिभास दामन्नककुलपुत्रकरास देवसूरिभास देवसूरिभास दोधकबावनी धरणविहार-चतुर्मुखस्तव धर्मसूरिबारमासा नवगीतिका (९ गीतो) नारीस्वरूपप्ररूपण-स्वाध्याय निजआराधभावनाभास निशालगरj निह्नवविचारसज्झाय
देवचन्द्र मुनि सुयशचन्द्रविजयजी,
सुजसचन्द्रविजयजी लक्ष्मीसागरसूरि-शिष्य कल्याणकीर्तिविजयजी नयसुन्दर उपा. कल्याणकीर्तिविजयजी ऋषभदास
भुवनचन्द्रजी गुणविजयजी कल्याणकीर्तिविजयजी भीम कवि
विनयसागर ज्ञानधर्म
कल्पना शेठ सिद्धिविजयजी विनयसागरजी सिद्धिविजयजी विनयसागरजी जशराज
दीप्तिप्रज्ञाश्रीजी विशालमूर्ति-शिष्य विनयसागर
रमणीक शाह मेरु मुनि
भुवनचन्द्रजी ऋद्धिविजयजी कल्याणकीर्तिविजयजी मुनीचन्द्रनाथ शीलचन्द्रसूरिजी
धर्मकीर्तिविजयजी सुकवि
कल्याणकीर्तिविजयजी
२
२४ ३५ १५ २४
६९ ४४ ४७ २७ ६८
५६
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________________
२६ ४७ ४७ १५ १५ ४२
११९ ५७ ६२ ९२ ९१ ३९
पद
नेम-राजुल-लेख
रूपविजयजी रसीला कडीआ नेम-राजुलना बारमास
विजयशेखर उपा. समयप्रज्ञाश्रीजी नेमगीत
विजयशेखर उपा. समयप्रज्ञाश्रीजी नेमनाथगीत (ऊना)
विनयचन्द
शीलचन्द्रसूरिजी नेमनाथगीत (गिरनार)
विनयचन्द
शीलचन्द्रसूरिजी नेमिनाथभास
सिद्धिविजयजी विनयसागर नेमिनाथभास
सिद्धिविजयजी विनयसागर
मुनीचन्द्रनाथ शीलचन्द्रसूरिजी पन्नरतिथि (आगमसारउद्धार)
मुनीचन्द्रनाथ शीलचन्द्रसूरिजी पाण्डवचरित्र-बालावबोध-१
मेरुरत्नउपाध्याय-शिष्य हरिवल्लभ भायाणी पाण्डवचरित्र-बालावबोध-२
मेरुरत्नउपाध्याय-शिष्य हरिवल्लभ भायाणी पार्श्वगीत (चिन्तामणि)
मानदत्त
समयप्रज्ञाश्रीजी पार्श्वजिनब्रह्मस्तवन
मुनीचन्द्रनाथ शीलचन्द्रसूरिजी पार्श्वनाथगीत (अजारा)
विनयचन्द
शीलचन्द्रसूरिजी पार्श्वनाथगीत (नवपल्लव-मंगलपुर)
विनयचन्द शीलचन्द्रसूरिजी पार्श्वनाथछन्द (अन्तरीक) ।
भावविजय उपा. रसीला कडीआ पार्श्वनाथप्रतिष्ठा-स्तवन (चिन्तामणि-कोठारीपोल) विवेकविजय-शिष्य रसीला कडीआ
३५ २९ ४ ६ ३५
२९ २३ ६८ १०१ ६३
20
१५
९०
१५
९१
अनुसन्धान ५१
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________________
८
८
७ ७ २३ ७
८९ ९३ ६० ९५
जून २०१०
मोहनविजय यति मोहनविजय यति मुनिचन्द्रसागरजी नयप्रमोद गुणविजयजी धर्ममंगल-शिष्य सहजकीर्ति उपा. उत्तमविजयजी
८ ८
८
पार्श्वनाथस्तवन (गोडीजी-उर्दूभाषा) पार्श्वनाथस्तवन (गोडीजी-उर्दू भाषा) पार्श्वनाथस्तवन (चिन्तामणि-कोठारीपोल) पार्श्वनाथस्तवन (शंखेश्वर-उर्दूभाषा) पार्श्वनाथस्तवन (शंखेश्वर-श्लोकबन्ध) पार्श्वनाथस्तोत्र (अजपुर) पार्श्वनाथस्तोत्र (अठोतरसो नामें) पिस्तालीसआगम-पूजा पुण्यबत्रीसी पुष्पमालाचिंतवणी' प्रमोदचन्द्रभास बलदेवमुनिनी सज्झाय बलभद्रऋषिसज्झाय
४३
७ २४
१५
भुवनचन्द्रजी भुवनचन्द्रजी रसीला कडीआ भुवनचन्द्रजी कल्याणकीर्तिविजयजी शीलचन्द्रसूरिजी भुवनचन्द्रजी । शीलचन्द्रसूरिजी भुवनचन्द्रजी शीलचन्द्रसूरिजी विनयसागर रसीला कडीआ कल्याणकीर्तिविजयजी जयन्त कोठारी शीलचन्द्रसूरिजी कान्तिभाई शाह रसीला कडीआ
करमसीह
५० (२)
४८ ३० २३ २४ १७ ३५ २८ २४
१ ५६ ११ ५७ ४९ १४२ १५ ४२ ९६
सालिग श्रावक जयवन्तसूरिजी आनन्दघन लक्ष्मीमूर्ति केसर पण्डित
बारभावनासज्झाय
बारभावना भवस्थितिस्तवन भाणवडनगर-प्रतिष्ठा-स्तवन
(१) ४९.१४१
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________________
भावलक्ष्मीसाध्वीजी-धुलबन्ध
मुकुन्द मुनि
५० (२)
३६
भीमछन्द मल्लिनाथनो रास महावीरजिनस्तवन महावीरपारणा-स्तवन
बिल्ह कवि ऋषभदास ऋषभदास माल मुनि
१४ ५० (१)
२६ ४७
४८ १११ १२२ ५३
मुनीचन्द्रनाथ मुनीचन्द्रनाथ
सुयशचन्द्रविजयजी, सुजसचन्द्रविजयजी भंवरलाल नाहटा दीप्तिप्रज्ञाश्रीजी शीलचन्द्रसूरिजी सुयशचन्द्रविजयजी, सुजसचन्द्रविजयजी शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी प्रद्युम्नसूरिजी कल्याणकीर्तिविजयजी रसीला कडीआ विनयसागरजी विनयसागरजी शीलचन्द्रसूरिजी रसीला कडीआ शीलचन्द्रसूरिजी
३५ ३५
२६ २८
७५
१५
५२
माहाज्ञांनआराधभास माहापर्मपदसिधआराधनाभास मुनिचन्द्रसूरिगुरुगुण-गहुंली मुनिवरसुरवेली मेघकुमारगीत मेघागणिनिर्वाणभास (अपूर्ण) मेघागणिनिर्वाणभास मेवाडको कवित रतनगुरुरास रागमाला-शान्तिनाथस्तवन
५८
सकलचन्द्र उपा. पूनपाल विमलहंस गणि विमलहंस गणि जिनेन्द्र मुनि
४९ ४९ २० २३
१२४ १२२ ९९ ६३
अनुसन्धान ५१
सहजविमल
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________________
लाभोदयरास
दयाकुशल
शीलचन्द्रसूरिजी
२५
६२
जून २०१०
५१ १५ २६ ९३ ८७
लेखशृंगार (विज्ञप्तिपत्र) वसुदेवचुपइ वासुपूज्यजिन-पुण्यप्रकाश-स्तवन वासुपूज्यस्वामी-प्रतिष्ठाविधिसूचक-स्तवन विजयदेवसूरिगीत विजयप्रभसूरि-बारमास विजयवल्लीरास विजयसेनसूरिगीत विजयसेनसूरिगीत विज्ञप्तिपत्र विषयत्यागगीत वीशस्थानकनाम-स्वाध्याय व्रतविचाररास शान्तिनाथश्लोक शान्तिनाथस्तवन (सप्तदशपूजा)
पुण्यहर्ष हर्षकुल सकलचन्द्र उपा. प्रेमविजयजी विनयचन्द प्रेमविजयजी शंकर मुनि पुण्यहर्ष विनयचन्द मनरूपविजयजी मानदत्त गुणविजयजी ऋषभदास गुणविजयजी श्रीसार
महाबोधिविजयजी रसीला कडीआ
२८ शोभना शाह
३० दीप्तिप्रज्ञाश्रीजी १३ शीलचन्द्रसूरिजी १५ शीलचन्द्रसूरिजी १५ शीलचन्द्रसूरिजी धुरन्धरविजयजी शीलचन्द्रसूरिजी __ १५ त्रैलोक्यमण्डनविजयजी ५० (१) समयप्रज्ञाश्रीजी ३५
३५ कल्याणकीर्तिविजयजी शीलचन्द्रसूरिजी
१९ कल्याणकीर्तिविजयजी सुयशचन्द्रविजयजी, ४५ सुजसचन्द्रविजयजी
९२
६५
२४
४८
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________________
२८
५ ३५
२४
शाहवीराना सुकृतवर्णननी प्रशस्ति-चउपइ शीलस्वाध्याय श्रावकना पांत्रीसगुणनी सज्झाय श्रावकविधिरास श्रेयांसजिनस्तवन (आडीसर) संघयात्रानां ढालियां संसारस्वरूपसज्झाय सत्तरभेदीपूजा-सस्तबक
५० (१)
३८ ३१ २४ ३९
३४ २१ ५१ ३९
प्रद्युम्नसूरिजी मानदत्त
समयप्रज्ञाश्रीजी गुणविजयजी कल्याणकीर्तिविजयजी गुणाकरसूरिजी विनयसागरजी विशेषसागर भुवनचन्द्रजी देवचन्द्र श्रावक शीलचन्द्रसूरिजी पद्मकुमार मुनि कल्याणकीर्तिविजयजी सकलचन्द्र उपा. दीप्तिप्रज्ञाश्रीजी स्त.-सुखसागर, जीवविजयजी हेमविजयजी कल्याणकीर्तिविजयजी दीपविजयजी शीलचन्द्रसूरिजी गुलाबविजयजी शीलचन्द्रसूरिजी
रसीला कडीआ सुयशचन्द्रविजयजी,
सुजसचन्द्रविजयजी भूधर मुनि शीलचन्द्रसूरिजी दयासूरिजी
दीप्तिप्रज्ञाश्रीजी मानदत्त
समयप्रज्ञाश्रीजी
समतासज्झाय समुद्रबन्धचित्रकाव्य समेतशिखरगिरिरास सम्भवनाथकलश सम्यक्त्वस्तवन
सरस्वती-बारमासा सरस्वतीस्तोत्र साधारणजिनस्तवन
अनुसन्धान ५१
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________________
सिद्धस्वरूप-स्वाध्याय सिलोकानन्दकवित्व
सीमन्धरजिन- चन्द्राउला
सीमन्धरजिनस्तवन (चोत्रीसअतिशय )
सीमन्धरस्वामी - लेख
सीलचूनडी सीलसज्झाय
गणत्
धर्म गणधर भा
धर्म गणधर भा
सुधर्मस्वामीनो रास
सुभटस्वाध्याय
सुभद्रासतीचतुष्पदिका सुमति-कुमतिवाद-गीत
सुमतिनाथ
सूक्तिद्वात्रिंशिका - सटीक
सूतकचोपाई स्तवनचोवीशी
विनयसागर जयवन्तसूरिजी
कमलसागर
जयवन्तसूरिजी
हीर मुन
देवसूरिजी
घु
पुण्यरत्नसूरिजी
धर्म
लाल विनोदी
मानदत्त
सारंग
पुण्यसागरसूरिजी हीरसागर
कल्याणकीर्तिविजयजी
शीलचन्द्रसूरिजी जयन्त कोठारी
महाबोधिविजयजी
प्रद्युम्नसूरिजी
समयप्रज्ञाश्रीजी
समयप्रज्ञाश्रीजी
समयप्रज्ञाश्रीजी
जिनसेनविजयजी
जिनसेनविजयजी
दीप्तिप्रज्ञाश्रीजी
भुवनचन्द्रजी कनुभाई ठ
समयप्रज्ञाश्रीजी
समयप्रज्ञाश्रीजी
अमृत पटेल
कल्याणकीर्तिविजयजी जिनसेनविजयजी
88%8
२४
७४
४९ ११७
७२
४६
१०९
५५
५४
१८
७६
१३३
७८
१८
३८
१८
४८
४८
३२
९
१९
९
४१
२
४८
३५
३७
३२
१९
३२
७८
५१
६२
२०
२३
११३
जून २०१०
६५
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________________
७८
स्तवनचोवीसी स्थूलिभद्रनुं चोमासु स्थूलिभद्रबारमासा हंसराजपोसाल-धुलबन्ध
२५ ४७
१५ ५० (२)
७२
४९
१०६
१०६
हरियाली हरियाली हरियाली हरियाली हरियाली हरीआली हितशिक्षाबोलसज्झाय हीरगीत हीरविजयसूरिनी सज्झाय हीरविजयसूरिसज्झाय हीरविजयसूरिसज्झाय हीरसूरिगीत हीरसूरिस्वाध्याय
मुक्तिसौभाग्य उपा. अभय दोशी विजयशेखर उपा. समयप्रज्ञाश्रीजी तत्त्वविजयजी शीलचन्द्रसूरिजी मुकुन्द मुनि सुयशचन्द्रविजयजी,
सुजसचन्द्रविजयजी कान्तिविजयजी भुवनचन्द्रजी जिनहर्ष पण्डित भुवनचन्द्रजी पार्श्वचन्द्रसूरिजी भुवनचन्द्रजी मेघचन्द्रगणि-शिष्य भुवनचन्द्रजी मेघराज मुनि
भुवनचन्द्रजी तत्त्वविजयजी शीलचन्द्रसूरिजी हंस साधु
कल्याणकीर्तिविजयजी पुण्यहर्ष
धुरन्धरविजयजी जयविमल
महाबोधिविजयजी
विनयसागर विशालसुन्दर विनयसागर हंसराज
भुवनचन्द्रजी कुशलवर्द्धन विनयसागरजी
४९ ४९ ४९ १५ २४
१०४ १०७ १०५ ७५ ५३
७
९७
४२ ३९
५१ २३ १२५
अनुसन्धान ५१
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________________
पृष्ठ
जून २०१०
५६
१४
३५
५३
२५
२१
४५
आदिपद ...तुम माइबीउ सिखिन्न म(स?) हुत्त ...नउं । अवररायजय मगउं यह अक्षर शार हे ॐ नमो देवाधिदेवं, तास ॐ विजया शान्तिकरा देवी अंधकारु गमिले प्रगट प्रगासे अट्ठ छंद दस दूहडा अब मि पायोरी परम अरिहंत मुखकजवासिनी आंबाडालें सुडली तस पंख ज आज घरि घरिइं वधामणां आदरि समरी आदिभवानी आदिलप्रमुख श्रीजिनवरा ऊठि घुटि घणउं चेतना नारि ऊलट अंगि अपार कामिनि करउ ऋषभ अजित संभव जिनो ऋषभ जिणंद मया करी रे
आदिपदानुक्रम (१७९) कृतिनाम गौतमस्वामीरास भीमछन्द दोधकबावनी सरस्वती-बारमासा सरस्वतीस्तोत्र नवगीतिका गौतमस्वामिच्छन्दांसि विजयदेवसूरिगीत सत्तरभेदीपूजा-सस्तबक हरियाळी जयकेसरीसूरिभास दशार्णभद्रराजर्षि-श्लोक विजयवल्लीरास सिद्धस्वरूप-स्वाध्याय जयकेसरीसूरिगीत वासुपूज्यजिन-पुण्यप्रकाश-स्तवन चोवीस जिनगीतो
do
३९
४९
१०६ ६७
४३
२४
६५
७४
३०
६७
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१९
११३
३८
३४
६१ १०६
८७
५९
१५
४७
५७
ऋषभजिणेसर साहिब सांभलो ऋषभजिन मंगलकरण एक दिन अरणक जाम गोचरी एक नारीने बे पुरुषे झाली ओश वंश गगनि चंद कर्म समानो बलियो को नही रे कागद कहु धुंकइं सिकरी लषीइ काहेकू नेम रीसाना कुंकुम कज्जल केवडो गुण गाउ गोतमतणा, लबधितणा गुणवंता गुरु गांगजी रे गोतम प्रश्न कीयो भलोजी गोरी रे गुणवंति गुणि आगली रे गौतम नामे ठामो ठामे गौरी पास गरीबनिवाज गदा चरण कमल रे प्रणमी गुरु तणा चालि सही गुरु वंदीइ चालो चालो चंतामण पास रे चेतन छांडो हो यह रीति
स्तवनचोवीशी श्रेयांसजिनस्तवन अरणकस्वाध्याय हरियाळी विजयसेनसूरिगीत अभयकुमारस्वाध्याय नेमनाथगीत (गिरनार) नेम-राजुलना बारमास पुण्यबत्रीसी गौतमरास गांगजीऋषिभास कलयुगस्वाध्याय हरियाळी गौतमस्वामीनी सज्झाय पार्श्वनाथस्तवन (गोडीजी-उर्दूभाषा) शीलस्वाध्याय जयकेसरीसूरिभास पार्श्वनाथस्तवन (चिन्तामणि-कोठारीपोल) सुमति-कुमतिवाद-गीत
५० (२)
४९
११९
४३
४९
३५
६५
१०७
१०३
९३ ६० ६८
४३
अनुसन्धान ५१
६०
५१
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७८
४७
जून २०१०
३५ ४२
३५
४१
२४
जं फलु होइ गया गिरनारे जगगुरु प्रणमुं वीरजिन जय जय जिनदेवा ज० जय जिणशासण-गयणचन्द जाकी रख्या करे एक भगवंतजी जिनशासनि जे अछइ सभट जिह जिणधम्म न जाणीयइ जीव भणइ सुणि जीभडली रे जेहने उपमा देत है कवि ज्ञानादिक गुणखाणि ज्ञानादिक गुणखाणी राजगृही तिहुयणमणि-चूडामणिहि तुं जिनवदनकमलनी देवी तुम सुणज्यौ हो ब्रह्मचारी ते विण सरग-नरग नहीं त्रिभुवनजिन आणंदा रे त्रिभुवनपति जिनपय नमी थूलिभद्रतणइं विरह किं देव निरंजननें आराहो रे
सुभद्रासतीचतुष्पदिका अभयकुमारचौपाई आरती अनन्तहंसगणि-स्वाध्याय गीत सुभट-स्वाध्याय अपभ्रंशदोहा जीभसंज्झाय पुष्पमालाचिंतवणी सुधर्मगणधर-भास सुधर्मगणधरभास धर्मसूरिबारमासा मुनिवरसुरवेली सीलसज्झाय हरियाळी निशालगरj भवस्थितिस्तवन स्थूलिभद्रबारमासा माहापर्मपदसिधआराधनाभास
५६ १३३
७६
१५
५२
४८
५४
४९
१५
१०४ ६८ ४२
१५
७२
३५
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________________
देवल एसा देख लें देवी देव मनावतां रे
द्वारिका बलती नीकल्या द्वारिका हूंती नीकल्या धरनपरधुकतधरसमरधुरनादधुः ध्रुव वस्तु निश्चल सदा
नारी रे में दीठी एक आवती रे
नेम दीजइं सुरंगी चूनरी
पंडित कहयो अर्थ विचारी
पणमवि पंच परमगुरु गुरुजन पणमिय नाभिनरेसर नन्दन पणमिय पास जिणिन्द देव परणकुं नेमि मनाया तब पहिलउं पणमिअ देव पहेलो गणधर वीरनो रे
पाय वंदिओ रे श्री महावीर
पायपउम पणमेवि, चउवीसहं पास जिनेस्वर पूजी
पास संखेसर सकल राधणपुर
पद
विषयत्यागगीत
बलभद्रऋषिसज्झाय
कृष्ण-बलभद्र-गीत
अमृतधुन
बारभावना
हरियाळी
नेमगीत
हरिआली
जिनानां पंचकल्याणकानि
धरणविहार-चतुर्मुखस्तव
सूरस्वाध्याय
नेमिनाथभास
ऋषभदेवस्तुति (शत्रुंजयमण्डन)
गौतमस्वामीनुं स्तवन चोत्रीसअतिशय-स्तवन
श्रावकविधिरास
व्रतविचाररास
पार्श्वनाथस्तोत्र (अठोतरसो नामें )
३५
३५
२४
२४
२०
३५
४९
४७
१५
४०
४५
४९
४२
५
१९
३५
=
५० (१)
१९
२४
२९
६५
४९
९८
९८
१५
१०५
६२
७५
४४
५८
१२५
३९
४०
१३२
४९
९३
१
8
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२४
१५
जून २०१०
४२
३५
२५
لبه
بر
)
पुर हत्थिणाउर कुरु देश माहि पूजउ जीउ पारसनाथ दयार पूजउ पासजिनेसर देव पेस करो मन चरयम कादर प्रणमी सन्ति जिणेसर राय प्रणमुं संयम पास जिण प्रथम जिणेसर माहरि प्रीतिने बलदेव महामुनि तप तपइ वनि बावन अक्षरमां ठकार बलीओ बेनी चालो गुरुगुण गावा के बैद न कोई असो देख्यो ब्रह्मानी धूआ देवी ब्रह्माणी भगत भाइ ! भगवंत भजि भद्रेसर कणयग्गिरि नामह मंगलकारणि सइंहथइ मन धर माता भारती मनि आणी जिनवाणी प्राणी मुंनिध्येय नमो, सुरगेय नमो मेघमहामुनि वरतणा सखी गावहे
शान्तिनाथश्लोक पार्श्वनाथगीत (अजारा) पार्श्वनाथगीत (नवपल्लव-मंगलपुर) पार्श्वनाथस्तवन (गोडीजी-उर्दूभाषा) हीरविजयसूरिसज्झाय चतुर्दशपूर्वपूजा स्तवनचोवीसी बलदेवमुनिनी सज्झाय जोगमायानो सलोको मुनिचन्द्रसूरिगुरुगुण-गहुंली पार्श्वगीत (चिन्तामणि) पार्श्वनाथस्तवन (शद्धेश्वर-श्लोकबन्ध) सूक्तिद्वात्रिंशिका-सटीक जगडूसाहछन्द जिनसागरसूरिगीतानि मेवाडको कवित नारीस्वरूपप्ररूपण-स्वाध्याय जिनस्तवना (विविधनामगुम्फित) मेघागणिनिर्वाणभास
२५
२४
३७
१०
५० (२)
२०
४७ २७
३३
४९
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२३
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५० (२)
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७६
३३
१५
0:00
२४ १८
रतनगरु गुण मीठडा रे राज काज गुण आगलो राजगृही रलियामणी जिहां राजगृही रलियामणी जिहां रे जिनेस्वर साहिबा माहरी वंछितपूरण मनोहरूं वंदउ श्रीविजयसेनसूरिराय वरसइ पुक्खरावरं तसु मेहा विजयवंत पुष्कलावती रे विणजारा रे सरसति करउ पसाउ वीर जिणंद वखाणियोजी वीर जिणंद समोसर्याजी वीर जिणेसर थया केवली वीरजिननइं करुं प्रणाम वीरविजणेसर त्रिभुवनि चंद वीरा सुत....सोल सोलत्तरइ वृषभलंछन आदि जिणंद शासनदेवति नमउं तुम्ह शीतलनीर समीर ससिच्छवि
रतनगुरुरास गूढार्थ-दोहाओ गौतमगणधर-भास गौतमगणधरभास साधारणजिनस्तवन रागमाला-शान्तिनाथस्तवन विजयसेनसूरिगीत
उपदेशकुशलकुलक सीमन्धरजिन-चन्द्राउला दानसूरिभास जिनप्रतिमापूजा-स्वाध्याय मेघकुमारगीत निह्नवविचारसज्झाय सुधर्मस्वामीनो रास हीरविजयसूरिनी सज्झाय शाहवीराना सुकृतवर्णननी प्रशस्ति-चउपइ चोवीशजिननमस्कार (अष्टमीमाहात्म्य) भावलक्ष्मीसाध्वीजी-धुलबन्ध सिलोकानन्दकवित्व
४२
४६
३५
६२
२७
५८
६००
९७
५
५ ५० (२)
४४
३६ ११७
अनुसन्धान ५१
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५८ ४२
जून २०१०
१०२ ११
३०
३५ 3५
३५
२४
श्रीअरिहन्त अनन्त गुण श्रीआदिनाथ अवधारि करि प्रसादु श्रीगुरुचरणे नमी करि श्रीचिन्तामणि स्वामि सुणो एक श्रीजिन पय प्रणमी करी रे लाल श्रीजिन पास जिणेशरा श्रीजिनराजनें चरणे नमीजे रे श्रीजिनशासन ध्यावो रे श्रीजिनशासन पामीइ श्रीजिनशासन पूजीए श्रीजिनशासन भासन भाणू श्रीजिनशासन सुंदरुं श्रीजिनशासनसामीया श्रीजीराउलि पास पूरई रे मनची श्रीवासुपूज्यजिणंदने, प्रणमुं श्रीशंखेश्वर तुझ नमुं श्रीसंखेश्वरपासजी समरि श्रीसरसतिनइं करूं प्रणाम श्रीसरसतीदेवी समरु माय
महावीरपारणा-स्तवन
४७ आदिनाथवीनती
२९ खिमापंचावन्नी
२४ पार्श्वनाथ प्रतिष्ठा-स्तवन (चिन्तामणि-कोठारीपोल)२४ प्रमोदचन्द्रभास पार्श्वजिनब्रह्मस्तवन तीर्थस्थापनाभास आराधनाध्यांनभास त्रणमित्रउपनय-सज्झाय निजआराधभावनाभास
३५ हीरविजयसूरिसज्झाय माहाज्ञांनआराधभास पन्नरतिथि जयकेसरीसूरिभास वासुपूज्यस्वामी-प्रतिष्ठाविधिसूचक-स्तवन १३ त्रम्बावती-तीर्थमाल संघयात्रानां ढालियां ग-सज्झाय
५० (१) सूतकचोपाई
३२
२७
४२
३५
२९ ४३
६२
३१
२१
१०१
२३
861
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सकल मनोरथ सिद्धिकर सकल सुबोध प्रदायनी, प्रणमुं
सकल सुरासर सेवित पाय
सदानंदि वंदु जुगादीस देव समकितदायक वीरना, पदपंकज समुद्रबंध आसीस, सबपें
समुद्रबीजइ सुत नयनइ देखे
सरस वदन सुखकारं
सरस सकोमल सुदरी सरस-वचनदायक सरसती सरसति चरणि नमाडी सीस सरसति मति अतिनिरमली
सरसति शुभमति मुझ दिउजी सरसति सरसति वाणी सरसति सांमणि पहलां प्रणमी
सरसति सांमणि विनवुं, माहरा
सरसति सांम्यणि पाइ नमुं
वसुदेवचुप
आचार्यजीना बारमसवाडा
तपागच्छगुर्वावली-स्वाध्याय
सीमन्धरजिनस्तवन (चोत्रीस अतिशय )
सम्यक्त्वस्तवन
समुद्रबन्धचित्रकाव्य
नेमनाथगीत (ऊना)
पार्श्वनाथस्तवन (गोडीजी-उर्दूभाषा)
मल्लिनाथनो रास
गौतमस्वामीरास
श्रावकना पांत्रीसगुणनी सज्झाय लाभोदयरास
मेघागणिनिर्वाणभास
बारभावनासज्झाय
जगजीवनऋषिभास-१
जगजीवनऋषिभास-२
महावीर जिनस्तवन
२८
४९
३९
३८
४५
२२
१५
७
५० (१)
७
२४
२५
२७
४९
१७
४३
४३
२६
५१
१०८
२०
४६
५४
७
९२
९५
१११
५१
७२
६२
२७
१२२
१४२
५३
५४
१२२
७४
अनुसन्धान ५१
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________________
सरसति सामिणि माइ पाय
सरसति सामिणी वीनवउं ए सरसती मात मया करी
सरसती मातादेवी, चरणकमल शेवि
सरसती सामनि वीनवु सहगुरु आव्या मइं सुण्या रे
सहि गुरुचरण नमी करीजी सांवलिया श्रीपासजी पणमवि
सारदमाता वीनवुं रे, मागुं सारयससिसम कायमाय सुखकर साहिब सेवीइं सुगण बूढापो आवियौ
सुगुरु नमी सुररयण समान सुणउ मेरी बहिनी काह करीजइ
सुणि जीव पहिलउं उपशम सुणि सुणि जीवडा कहिउं रे
सुणी सेजा सिहरि शृंगार हार
पाण्डवचरित्र - बालावबोध
त्रणचउवीसी - विहरमाणजिनस्तवन पार्श्वनाथछन्द (अन्तरीक )
आदिनाथ-बाललीला
भाणवडनगर प्रतिष्ठा-स्तवन
देवसूरिभास
समतासज्झाय
समेतशिखरगिरिरास
विजयप्रभसूरि- बारमास पार्श्वनाथस्तोत्र (अजपुर)
पिस्तालीसआगम-पूजा
वीशस्थानकनाम-स्वाध्याय नेमिनाथभास
हितशिक्षाबोलसज्झाय
संसारस्वरूपसज्झाय
आदिनाथवीनती-पूजा
४
६
५
२९
४०
२४
४३
२४
२२
१५
७
2 x x x x x 2
१५
३२
२४
४२
२४
२४
२७
६८
१०१
४७
६४
३९
९६
५८
५४
४१
८७
४३
७६
१८
७१
∞
४१
५३
५१
६३
जून २०१०
७५
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सुन्दर पाडलीपुर सिरोमणि सुमरो जिनराज सुमतिदाता सुरसति मात नमी करी सोलमो जिनवर सेवी(वि) येजी
स्वस्ति श्रीऋषभं जिनम् स्वस्ति श्रीपुंडरगिणी स्वस्ति श्रीमंगलकरण, प्रणमी
स्वस्ति श्रीरैवतगिरें, वाह्ला स्वस्ति श्रीवरनाभिनन्दनजिनम् स्वस्तिश्रियां मन्दिरमिन्द्रवन्द्य हीर हीर हीर रंगीलो
हीरजी, तंबोले सोहइ नवरस रंगा जी सील सुरंगडी
स्थूलिभद्रनुं चोमासुं
सुमतिनाथ
देवसूरिभास
शान्तिनाथस्तवन (सप्तदशपूजा) लेखशृंगार (विज्ञप्तिपत्र)
सीमन्धरस्वामी-लेख
दामन्नककुलपुत्रकरास नेम-राजुल-लेख
विज्ञप्तिपत्र
सम्भवनाथकलश
हीरगीत
रसूरिगीत सीलचूनडी
25358 ~ ~ ~ @ 2 v♡♡♡ ŏ
४७
३५
४३
४५
१०
१८
१२
२६
५० (१)
२७
८
३९
४८
६१
६२
६१
४८
५०
१०९
४९
११९
६५
५०
८७
२३
५५
७६
अनुसन्धान ५१
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६. उत्तरकालीनअपभ्रंश-गुजराती व. भाषानी गद्य-रचना (१०)
जून २०१०
कृति
कर्ता
अनु.
७ २७
पृष्ठ २१ १३
भोज
सम्पादक १०१ बोलसंग्रह
यशोविजय उपा. शीलचन्द्रसूरिजी कल्पव्याख्यानमांडणी
देवाणन्द मुनि शीलचन्द्रसूरिजी चारध्यानविचारलेश
मालती शाह जिनपूजाविधि
शीलचन्द्रसूरिजी टीपर
प्रेमविजयजी भुवनचन्द्रजी पंचसूत्रस्तबक
वेलजी भारमल शीलचन्द्रसूरिजी पट्टक
विजयमानसूरिजी महाबोधिविजयजी भोजनविच्छित्तिः
समयप्रज्ञाश्रीजी सिद्धाचलतीर्थ-चैत्यपरिपाटी
मालजी नागजी शीलचन्द्रसूरिजी हाटग्रहणकखतपत्र
रसीला कडीआ
आदिवाक्य • १०१ बोलसंग्रह ७.२१
सर्वज्ञशतकादिग्रंथ माहिला विरुद्ध बोल जे धर्मपरीक्षा ग्रंथमांहि १) २८.९४ (२) ७.१०७
२२
६ ४२ १० ४९
१८ ५०(२)
३२ ७१
१ ४४ १३१ ११७ ४५
७७
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कल्पव्याख्यानमांडणी २७.१३
सर्वो जनः सुखार्थी, तत् सौख्यं धर्मतः स च ज्ञानात् । चारध्यानविचारलेश २३.४७
हिवइ चारि ध्यान कहइ छइ । तिहां ध्यानरा ४ भेद छइ । • जिनपूजाविधि २२.३२
पूजानी विधि लिखिइ छइ । पूरवदिसि बइसी अंघोलि कीजि । • टीप ६.७१
परमगुरु विजयमान भट्टारिक श्री...श्री...श्री... हीरविजयसूरिगुरुभ्यो नमः । • पंचसूत्रस्तबक ४२.१ ।।
नमो वीयरागाणं.... | नमस्कार हो वीतरागोनइं सर्वज्ञोनइं.... । • पट्टक १०.४४
संवत् १७४४ वर्षे कार्तिक सुदि १० शुक्रे । भ. श्रीविजयमानसूरिनिर्देशात् । • भोजनविच्छित्तिः ४९.१३१
मांड्यो उत्तंग तोरण मांडवउं, तुरत बैसवानो नवो । • सिद्धाचलतीर्थ-चैत्यपरिपाटी १८.११७
श्री जंबुधीपमध्ये दखणात भरतक्षेत्रे श्रीसोरठदेसमधे सीधखेत्रे.... • हाटग्रहणकखतपत्र ५०(२). ४५
स्वस्ति श्रीमन्नृप विक्रमाऽर्क सितमातीत (समयातीत) । संवत् (त) १७३० वर्षे शाके १५(९५)
अनुसन्धान ५१
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जून २०१०
७९
७. कृतिओनी (४२१) कर्ता प्रमाणे अनुक्रमणिका
निश्चितकर्तृक (२१४ कर्ता - ३३७ कृति) अक्षयचन्द्र उपा. [पार्श्वचन्द्रसूरिजी (पार्श्वचन्द्रगच्छस्थापक) → रामचन्द्र
उपा. → अक्षय०]* मातृकाप्रकरण १२.१* अनन्तहंस [लक्ष्मीसागरसूरिजी → जिनमाणिक्यसूरिजी → अनन्त०] आदिनाथवीनती-पूजा (गच्छपति रत्नशेखरसूरिना काले) २७.६३ अभयदेवसूरिजी [नवांगीटीकाकार] उपधानप्रतिष्ठापंचाशक ४.३४ आनन्दघनजी-लाभानन्द बारभावना ३५.१५ आनन्दमाणिक्य [हेमविमलसूरिजी (१६मा सैकानो उत्तरार्द्ध) → आनन्द०] पार्श्वनाथफागुकाव्य (नवखण्डा) ६.४३ आनन्दसागरसूरिजी परीहार्यमीमांसा (वि. १९५४) ४१.१२ जेकोबीना पत्रनो उत्तर ४१.२२ आस कवि जयकेसरीसूरिभास ४३.६७ ईश्वरसूरिजी-देवसुन्दर [सण्डेरकगच्छ, शान्तिसूरिजी → ईश्वर०] ललितांगचरित्र / रासकचूडामणि (वि. १५६१) ८.१ उत्तमऋषि शतपंचाशितिकासंग्रहणी (वि. १६८९) ४४.६७ उत्तमविजयजी [यशोविजय उपा. → गुणविजय → सुमतिविजय →
उत्तम०] पिस्तालीसआगम-पूजा (वि. १८३४) १५.७६ उदयरत्नजी [शिवरत्नसूरिजी (रत्नशाखा) → उदय०] जोगमायानो सलोको (वि. १७७०) ३२.१ + आ विवरण कृति के तेनी संपादकीय भूमिकाना आधारे लखायुं छे. ★ आ संख्या अनु.क्रमांक अने पृष्ठांक देखाडे छे. जेमके १२.१ = १२मा अनु.नुं प्रथम पृष्ठ
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८०
उदयविजय उपा. पट्टावलीविसुद्धि ७.१ उदयसूरिजी [नेमिसूरिजी मूर्तिपूजायुक्तिबिन्दुः ३१.१
ऋद्धिविजयजी [मेरुविजयजी पं. ऋद्धि० ] नारीस्वरूपप्ररूपण-स्वाध्याय २४.४७
ऋषभदास कवि
त्रम्बावती - तीर्थमाल
उदय० ] मूर्तिमन्तव्यमीमांसा ३१.७
(वि. १६७३ ) ८.६२
मल्लिनाथनो रास (वि. १६८५) ५० (१). १११ महावीरजिनस्तवन (वि. १६६६) २६.१२२
व्रतविचाररास (वि. १६६६) १९.१ ऋषिवर्धनसूरिजी [यशकीर्तिसूरिजी ऋषि०] नेमिजिनस्तुति (रैवतकमण्डन) ४९.११५
कनकमाणिक्य गणि [सुमतिसाधुसूरिजी कनक०] अनन्तहंसगणि-स्वाध्याय ४२.४२
अनुसन्धान ५१
कमलसागर [विजयदानसूरिजी हर्षसागर उपा. → कमल०] सीमन्धरजिनस्तवन ( चोत्रीस अतिशय ) (वि. १६६६) ३८.४६ करमसीह [पार्श्वचन्द्रगच्छ, जयचन्द्रसूरिजी → प्रमोदचन्द्र उपा. करम०]
प्रमोदचन्द्रभास (वि. १७४५) ३०.११
कल्याणचन्द्रजी [खरतरगच्छ, कीर्तिरत्न कल्याण० ]
पार्श्वनाथस्तव (नवफणा ) ३७.१०
कान्तिविजयजी
हरियाली ४९.१०६
कान्ह मुनि [जीवर्षि गणिमल्ल गणिवर कान्ह ]
चोत्रीसअतिशय-स्तवन (वि. १६५२ ) ३५.४९
कीर्तिसुन्दर-कान्हजी [खरतरगच्छ, विमलकीर्ति → विमलचन्द्र विजयहर्ष → धर्मवर्धन उपा. कीर्ति०] अभयकुमारचौपाई (वि. १७५९) ४७.२६
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जून २०१०
कुशलवर्धन [हीरविजयसूरिजी → कुशल०] हीरसूरिस्वाध्याय ४९.१२५ केसर पण्डित [क्षमासूरिजी → दयासूरिजी → केसर] भाणवडनगर-प्रतिष्ठा-स्तवन (वि. १७९५) २४.९६ क्षमाकल्याण उपा. [अमृतधर्म गणि → क्षमा०] जैनतीर्थावलीद्वात्रिंशिका ४९.९८ गंगदास [लोंकागच्छीय] आचार्यजीना बारमसवाडा (वि. १६५९) ४९.१०८ गुणविजयजी [कनकविजयजी → गुण०] दशार्णभद्रराजर्षि-श्लोक २४.६५ पार्श्वनाथस्तवन (शंखेश्वर) २४.६८ वीशस्थानकनाम-स्वाध्याय २४.७१ शान्तिनाथश्लोक २४.६७ श्रावकना पांत्रीसगुणनी सज्झाय २४.७२ गुणविजयजी [सुमतिविजयजी → गुण०] जातिविवृतिः (हीरसूरिराज्ये) ३४.२३ गुणाकरसूरिजी [पद्मानन्दसूरिजी → गुणा०] श्रावकविधिरास (वि. १३७१) ५०(१).९३ गुलाबविजयजी [ऋद्धिविजय उपा. → भावविजयजी → मानविजयजी पं.
→ गुलाब०] समेतशिखरगिरिरास (वि. १८४७) २२.४१ चन्द्रकीर्तिसूरिजी [रत्नशेखरसूरिजी (१५मो सैको) → चन्द्र०] सिद्धिचक्रयन्त्रोद्धारविधिव्याख्या ३६.२३ चन्द्रोदय पार्श्वनाथगीत १८.१०२ चारित्रनन्दी उपा.-चुन्नीजी [निधिउदय उपा. → चारित्र० → चिदानन्दजी] चतुर्दशपूर्वपूजा (वि. १८९५) ३५.३१ जगन्नाथ पण्डित [तांजोरना मराठाराजा सरफोजी (ई. १७१२-१७२७)ना
राजकवि] अश्वधाटीकाव्य १८.५८
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________________
अनुसन्धान ५१
जयतिलकसूरिजी -जयशेखर [आगमिकगच्छ, चारित्रप्रभसूरिजी → जय०] चतुर्हारावलीचित्रस्तव २०.१ जयवन्तसूरिजी-गुणसौभाग्य [वडतपगच्छ - रत्नाकरशाखा, विनयमण्डन उपा.
→ जय०]
८२
बारभावनासज्झाय १७.१४२
सीमन्धरस्वामी - लेख १८.१०९
जय० ]
जयविमल [हर्षविमल हीरविजयसूरिनी सज्झाय ७.९७
जयशेखर पण्डित – जसराज [ खरतरगच्छ, सुमतिभक्ति जय० ] विज्ञप्तिपत्र (जिनमहेन्द्रसूरिने प्रेषित - वि. १८९७) ३३.८
सीमन्धरजिन – चन्द्राउला १८.७२
जयसिंहसूरिजी
आलोयणाविहाणं ३७.७ पंचकपरिहाणि ३७.१
जिनदत्तसूरिजी [वायडगच्छ]
षड्दर्शनपरिक्रम १४.१
जिनपतिसूरिजी [खरतरगच्छ, जिनदत्तसूरिजी जिनचन्द्रसूरिजी (मणिधारी) → जिन०, १३मो सैको ]
नेमिजिनस्तोत्र (उज्जयन्त) ३१.१६
जिनपतिसूरि-शिष्य [१३मो सैको]
जिनपतिसूरिपंचाशिका ११.३२
जिनप्रभसूरिजी [देवभद्रसूरिजी (आगमगच्छस्थापक - वि. १२५० ) जिन०]
वज्रस्वामीचरित ६.४७
जिनप्रभसूरिजी - शुभतिलक [जिनसिंहसूरिजी (लघुखरतरशाखा) जिन० (१४मो सैको)]
आज्ञास्तोत्र २१.३९
ऋषभप्रभुस्तव (अष्टभाषामय) ३९.९
गायत्रीमन्त्रवृत्तिः १७.१७३
जिनहर्ष गणि- जसराज [ शान्तिहर्ष उपा. (खरतरगच्छ - क्षेमकीर्ति शाखा) → जिन०] दोधकबावनी (वि. १७३०) ३५.५३
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जून २०१०
जिनहर्ष पण्डित
हरियाली ४९.१०६
जिनेन्द्र मुनि
मेवाडको कवित २०.९९
जिनेश्वरसूरिजी [खरतरगच्छना आदिपुरुष, १२मो सैको]
छन्दोनुशासनम् ४७.१
जिनेश्वरसूरिजी - वीरप्रभ [ खरतरगच्छ जिनपतिसूरिजी → जिने०, १३मो सैको]
८३
गौतमगणधरस्तव ३१.१८
जीवविजय पण्डित [दोलतविजय पं. जीव० ] सत्तरभेदीपूजा-स्तबक (वि. १८५४) ३९.३९
ज्ञानतिलक [खरतरगच्छ, विमलकीर्ति → विमलचन्द्र → विजयहर्ष → धर्मवर्धन उपा.→ ज्ञान०]
पार्श्वनाथस्तोत्र (गवडी) ४८.४५
जिनकुशलसूरिछन्द ४८.४८ सरस्वतीस्तोत्र ४८.४६ ज्ञानधर्म [खरतरगच्छ जिनचन्द्रसूरिजी
ज्ञान० ]
साधुरंग राजसार दामन्नककुलपुत्रकरास (वि. १७३५) १२.४९ ज्ञानप्रमोद उपा. [खरतरगच्छ सागरचन्द्रसूरिजी पुण्यसमुद्र → दयाधर्म शिवधर्म → ज्ञान०, १७मो सैको]
आदिनाथस्तोत्र (कोट्टदुर्ग ) ४०.३३ पार्श्वनाथस्तोत्र (रतलाम) ४०.३७
मतिसार सुमतिसागर →
धर्मरत्नसूरिजी हर्षहंस → रत्नधीर
ज्ञानसागरसूरिजी
महावीरजिनस्तोत्र (संसारदावा- पादपूर्ति) ३८.२५
शान्तिजिनस्तोत्र (आनन्दानम्र - पादपूर्ति) (वि. १५६३ पूर्वे) ३८.२८
तत्त्वविजयजी [ यशोविजय उपा→ तत्त्व०]
चोवीस जिनगीतो ११.११
हरिआली १५.७५
स्थूलभद्रबारमासा १५.७२
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८४
अनुसन्धान ५१
दयाकुशल पण्डित [मेघविजय → कल्याणकुशल पं. → दया०] लाभोदयरास (वि. १६४९) २५.६२, २७.२७ दयासूरिजी [क्षमासूरिजी → दया०, १८मानो उत्तरार्ध] सरस्वतीस्तोत्र २१.२० दीपविजय कविराज [आणसूरगच्छ] समुद्रबन्धचित्रकाव्य (वि. १८७७) २२.७ दीप्तिविजयजी [तेजविजयजी → मानविजयजी → दीप्ति०] चतुर्विंशतिजिनस्तोत्र ४८.४० देवचन्द्र मुनि तेजबाईव्रतग्रहण-सज्झाय (वि. १६८२) ५०(१).१०१ देवचन्द्र श्रावक [शुभवीर गुरुना श्रावक] संघयात्रानां ढाळियां (वि. १९२७) ३१.२१ देवभद्रसूरिजी चतुर्विंशतिजिनस्तोत्राणि (वि. १५५० पूर्वे) ४०.१ देवसूरिजी [तपगच्छपति] सीलसज्झाय ४८.५४ देवाणन्द [विनयचन्द्रसूरिजी (सिद्धान्तीगच्छना आदिपुरुष) → शुभचन्द्रसूरिजी
→ नाणचन्द्रसूरिजी → अजितचन्द्रसूरिजी → सोमचन्द्रसूरिजी
→ देवसुन्दरसूरिजी → देवा०] कल्पव्याख्यानमांडणी (वि. १५७०) २७.१३ धनहर्ष-शिष्य विज्ञप्तिकालेखः (सेनसूरिजी पर) १६.१ धर्म मुनि सुभद्रासतीचतुष्पदिका २.७८ धर्ममंगल-शिष्य पार्श्वनाथस्तोत्र (अजपुर) (वि. १५६३) ७.४३ धर्मशेखर पण्डित [१५मो सैको] चतुर्मुखमहावीरस्तवन २१.३० सीमन्धरस्वामीविज्ञप्ति २१.३१
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जून २०१०
धर्मसागर उपा.
हीरविजयसूरिस्वाध्याय ४.४८
धीरविजयजी [सिंहसूरिजी (तपगच्छपति ) → धीर०]
गौतमस्वामीनुं स्तवन १९.१३२
नयप्रमोद [ खरतरगच्छ ]
पार्श्वनाथस्तवन (शंखेश्वर) ७.९५
नयसुन्दर उपा. [वडतपगच्छ, देवसुन्दरसूरिजी विजयसुन्दरसूरिजी
भानुमेरु → नय० ]
त्रणमित्रउपनय सज्झाय २४.५८
नरेन्द्रप्रभसूरिजी [मलधारी ]
सूक्तमाला ४०.२१
निम्हण कवि
प्राकृतशब्दाः संस्कृते नानार्थाः ५.४ नृसिंह कवि
बन्धकौमुदी ७.१२
नेमिसागर उपा. [धर्मसागरजी उपा. लब्धिसागर नेमि०] वीरजिनस्तोत्र (सुखाशिकानामगर्भित) ८.८६, २३.२२
मिसूरिजी [बूटेरायजी वृद्धिचन्दजी नेमि०] परीहार्यमीमांसा (वि. १९५४) ४१.१२ रघुवंशद्वितीयसर्गटीका २६.१ हर्मन जेकोबीना पत्रनो उत्तर (वि. १९५६) ४१.२२ पद्मकुमार मुनि
संसारस्वरूपसज्झाय २४.५१
पद्मसागरजी [धर्मसागर उपा. पद्म० ]
हीरविजयसूरिस्वाध्याय ४.५१ हीरविजयसूरिस्वाध्याय ४.५२
पार्श्वचन्द्रसूरिजी [पार्श्वचन्द्रगच्छना आदिपुरुष ]
हरियाली ४९.१०४
पुण्यरत्नसूरिजी [अंचलगच्छ, सुमतिसागरसूरिजी गजसागरसूरिजी
८५
पुण्य०]
सुधर्मस्वामीनो रास (वि. १६४०) ९.७८
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________________
८६
अनुसन्धान ५१
पुण्यसागरसूरिजी [अंचलगच्छ] सूतकचोपाई (वि. १९०६) ३२.२३ पुण्यहर्ष लेखशृंगार (वि. १६४२) १०.५० विजयसेनसूरिगीत ८.८७ हीरगीत ८.८७ पूनपाल मेघकुमारगीत २७.५८ पूर्णभद्रगणि [खरतरगच्छ, जिनपतिसूरिजी → पूर्ण०] आणन्दादिदसउवासगकहाओ (वि. १३०९ पूर्वे) ४८.१ पृथ्वीचन्द्रसूरिजी यतिशिक्षापंचाशिका १३.१३ प्रेमविजयजी [विमलहर्ष उपा. → प्रेम०] टीप (वि. १६३९) ६.७१ प्रेमविजयजी [देवसूरिजी → दर्शनविजय पं. → प्रेम०] विजयप्रभसूरि-बारमासा १५.८७ प्रेमविजयजी [सौभाग्यलक्ष्मीसूरिजी → प्रेम०] वासुपूज्यस्वामी-स्तवन (प्रतिष्ठाविधिसूचक) (वि. १८४३) १३.२६ बप्पभट्टिसूरिजी-भद्रकीर्ति सरस्वतीस्तोत्र ५.२४ बिल्ह कवि भीमछन्द (१४मो सैको) १४.४८ भक्तिसागर पण्डित [धर्मसागर उपा. → लब्धिसागर उपा. → भक्ति०] आदिनाथस्तुति (कुटुम्बनामगर्भित) ८.८८, २३.१८ भानुलब्धि [पूर्णलब्धि उपा. → भानु०] कम्मबत्तीसी २१.३५ भावविजय उपा. [देवसूरिजी → भाव०] पार्श्वनाथछन्द (अन्तरीक) (वि. १७५०) २९.६४ भीम कवि दानसूरिभास (वि. १६१२) ४२.४६
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जून २०१०
भुवनहिताचार्य [खरतरगच्छ जिनचन्द्रसूरिजी भुवन०, १५मानो पूर्वार्ध ] चतुर्विंशतिजिनस्तवन २५.५३
भूधर [ जसराज → भधर]
सरस्वती - बारमासा २५.५९
भोज
चारध्यानविचारलेश (वि. १७९९ ) २३.४७
मनरूपविजय पण्डित [ खुशालविजयजी पद्मविजयजी मन० ] विज्ञप्तिपत्र (वि. १८६२) ५० (१).६५
महानन्द ऋषि [भीम ऋषि महा०, १९मो सैको ] जगजीवनऋषिविज्ञप्तिभास ४३.५३ जगजीवनऋषिविज्ञप्तिभास ४३.५४ महीसागर गणि [लक्ष्मीसागरसूरिजी सोमजयसूरिजी मही० ] ऋषभदेवस्तोत्र (भक्तामर - पादपूर्ति) ३८.१९
महेश्वर कवि
संशयगरलजांगुलीनाममाला १०.१२
मानदत्त [विजयगच्छ ( वीजामत), सरूप मान० ]
अभयकुमारस्वाध्याय ३५.५९
जिनप्रतिमापूजा-स्वाध्याय ३५.६३
विषयत्यागगीत ३५.६५
साधारणजिनस्तवन ३५.६४
मानसागर पण्डित [हीरसूरिजी मेघदूतखण्डना ३२.३८
कलयुगस्वाध्याय ३५.६५ पार्श्वगीत (चिन्तामणि ) ३५.६३
शीलस्वाध्याय ३५.६०
सुमतिनाथगीत ३५.६२ बुद्धिसागर पं.
मान० ]
मालजी नागजी [कच्छी]
सिद्धाचलतीर्थ-चैत्यपरिपाटी (वि. १९०८) १८.११७
८७
माल मुनि [लोंकागच्छ]
महावीरपारणा-स्तवन ( १८ मानो पूर्वार्ध) ४७.५३
मुकुन्द मुनि [वृद्धतपागच्छ, रत्नसिंहसूरिजी → उदयधर्म उपा.
भावलक्ष्मी - धुलबन्ध ५० (२).३६
हंसराजपोसाल-धुलबन्ध
मुक्तिसौभाग्य उपा० स्तवनचोवीशी २५.७८
मुकुन्द० ] ५० ( २ ).३९
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अनुसन्धान ५१
मुनिचन्द्रसागरजी [शान्तिसागरसूरिजी → प्रमोदसागर पं. → मुनि०] पार्श्वनाथस्तवन (चिन्तामणि- कोठारीपोल) (वि. १८८८ पछी) २३.६० मुनिचन्द्रसूरिजी [सर्वदेवसूरिजी
यशोभद्रसूरिजी
मुनि० (सौवीरपायी)]
छन्दोनुशासनविवृति ४७.१ मुनिचन्द्रसूरिजी [१४मो सैको]
तीर्थमालास्तवः ३६.१
मुनिदेवसूरिजी [वादिदेवसूरिजी - परम्परा, मदनचन्द्रसूरिजी मुनि०, १४मो
८८
सैको]
अभयाभ्युदयमहाकाव्य ४६.१ मुनिसुन्दरसूरिजी [तपगच्छपति]
पंचसूत्रावचूरि : ११.४७
मुनिसोम गणि [खरतरगच्छ जिनभद्रसूरिपरम्परा] कल्पसूत्रलेखनप्रशस्ति (वि. १५०९) ४७.१७ मुनीचन्द्रनाथ-धर्मदत्तदेव [ बुधदेव
मुनी० ] गीत ३५.२९
निजआराधभावनाभास ३५.२७ पन्नरतिथि-आगमसारउद्धार २९.२३
आराधनाध्यानभास ३५.२५
तीर्थस्थापनाभास ३५.२४
पद ३५. २९
पार्श्वजिनब्रह्मस्तवन ३५.३०
माहापर्मपदसिधआराधनाभास ३५.२८
मुनीश्वरसूरिजी [वृद्धगच्छ, १५मा सैकानो उत्तरार्ध ]
प्रमाणसारः २५.१८
मेघचन्द्रगणि-शिष्य
हरियाली ४९.१०७
मेघराज मुनि
माहाज्ञानआराधभास ३५.२६
हरियाली ४९.१०५
मेघविजय उपा.
राणभूमीशवंशप्रकाशः २५.४४ सेवालेखः (विजयप्रभसूरिजी पर) ३३.२८
मेघा
अरणकस्वाध्याय ३५.६१
आरती ३५.६१
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जून २०१०
८९
मेरु मुनि [खरतरगच्छ, कमलसंयम उपा. → मेरु] नवगीतिका ४५.४४ मेरुतुंगाचार्य स्तम्भनाधीशप्रबन्धसंग्रहः (वि. १४१३) ९.१ मेरुनन्दन उपा. गौतमस्वामिच्छन्दांसि ६.५६ मेरुरत्नोपाध्याय-शिष्य पाण्डवचरित्रबालावबोध ४.६८, ६.१०१ मोदमन्दिर गणि जिनप्रबोधसूरि-जिनचन्द्रसूरि-चन्द्रायणा ९.९२ मोहनविजय यति पार्श्वनाथस्तवन (गोडीजी) ७.९१ पार्श्वनाथस्तवन (गोडीजी) ७.९३ यशोविजय उपा. [हीरसूरिजी → कल्याणविजय उपा. → लाभविजय
उपा. → नयविजय उपा. → यशो०] आत्मसंवादः २०.३०
१०१ बोलसंग्रह ७.२१ कर्मप्रकृतिसंक्षेपविवरण २२.४ चोवीशजिननमस्कार (अष्टमीमाहात्म्यगर्भ) ५.४४ नाभेयजिनस्तवन ३.१२
पत्रखरडो ६.६५ पार्श्वजिनस्तुति (शंखेश्वर) ३३.३ शारदागीत १५.६६ सुविधिपार्श्वजिनस्तव ३३.१ यशोविजय प्रवर्तक [नेमिसूरिजी → यशो०] धर्मरत्नदुर्लभत्वम् ५०(१).५४ नेमिसूरीश्वरस्तुति (त्रिभाषामयी) ५०(१).६३ रघुपति पाठक-रुघपति [जिनसुखसूरिजी → विद्यानिधान → रघु०,
१९मानो पूर्वार्ध] सुगुणबत्तीशी ३२.१८ रत्नमण्डन [नन्दिरत्न → रत्न०] सारस्वतोल्लासकाव्य १५.१
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अनुसन्धान ५१
रत्नशेखरसूरिजी गौतमस्वामीरास (वि. १४०५) ४.५६ रत्नसिंह [संघहर्ष → धर्मसिंह → रत्न०] आनन्दलहरी (सौन्दर्यलहरी-पादपूर्ति) ४३.४६ ऋषभजिनस्तोत्र (रघुवंशपादपूर्ति) ३८.११ पार्श्वनाथस्तोत्र ४३.४० महावीरस्तोत्र (सुजैत्रपुर) ४३.४३ वीतरागस्तोत्र (रघुवंशपादपूर्ति) ३८.१७ सर्वजिनस्तोत्र ४३.४४ रत्नसिंहसूरिजी-पद्मनाभ [धर्मसूरिजी(चन्द्रगच्छ) → रत्न० → देवेन्द्रसूरिजी
→ कनकप्रभसूरिजी (लघुन्यासकर्ता)] अणहिलपुर-रथयात्रास्तवन ४४.५० अप्पाणुसासणं (वि.१२३९) ४४.२० आत्मतत्त्वचिन्ताभावनाचूलिका ४४.१४ आत्महितचिन्ताकुलक ४४.३६ आत्मानुशास्ति ४४.१६ ।
उपदेशकुलक ४४.४५ ऋषभदेवविज्ञप्तिका ४४.१८ गुरुभक्तिमहिमाकुलक ४४.४१ धर्मसूरिगुणस्तुति (वि. १२३७ पछी) ४४.३३ धर्मसूरिछप्पय ४४.६३ धर्मसूरिदेशनागुणस्तुति ४४.५६ नेमिनाथस्तव ४४.२९ नेमिनाथस्तव ४४.३०
नेमिनाथस्तव ४४.३१ नेमिनाथस्तव ४४.४७
नेमिनाथस्तोत्र ४४.२६ नेमिनाथस्तोत्र ४४.३२
पर्यन्तसमयाराधनाकुलक ४४.४४ पार्श्वजिनस्तवन ४४.५५
पार्श्वनाथस्तव ४४.२७ पार्श्वनाथस्तव ४४.२८
पार्श्वनाथस्तवन (शंखेश्वर) ४४.५९ पार्श्वस्तवन (शंखेश्वर) ४४.५८ पार्श्वनाथस्तवन (शंखेश्वर) ४४.६० पार्श्वनाथस्तवन (शंखेश्वर) ४४.६० पार्श्वनाथस्तोत्र (शंखेश्वर) ४४.६१ पुंडरीकगणधरस्तोत्र ४४.४९ बावत्तरिजिनस्तवन ४४.५४ भारतीस्तोत्र ४४.५१
मनोनिग्रहभावनाकुलक ४४.३८ मुनिसुव्रतस्तवन (भरुच) ४४.५२ शासनदेवीस्तोत्र ४४.६५ संवेगचूलिकाकुलक ४४.२५ हितशिक्षाकुलक ४४.२४
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जून २०१०
रविसागर गणि [हर्षसागर उपा. राजपालगणि ( राजसागर) पं.
रवि०]
आदिनाथस्तवन (सुखभक्षिकानामगर्भित ) ८.८५, २३.२१ ऋषभदेववंशवर्णन (रघुवंशरीत्या ) २३.४० गिरिनारवर्णन (कुमारसम्भवरीत्या) २३.३३ गुरुवर्णन (जनशतकरीत्या ) २३. ४२ नेमिराजीमतीवर्ण (मेघदूतरीत्या २३.३५ पार्श्वनाथस्तवन (कुटुम्बनामगर्भित) ८.८४, २३.२० रवि सिंह
त्रिलोकस्थितजिनगृहस्तव (वि. १६६७ पूर्वे) २१.४१ राजशेखरसूरिजी [मलधारी, १४मो सैको] स्याद्वादकलिका ४१.२४
रामविजयी
जिनस्तवना (विविधनामगुम्फित) ३३.२७ रायचन्द ऋषि
गौतमस्वामी रास (वि. १८३४) ४९.११९
रूपचन्द्र उपा.–रामविजय [खरतरगच्छ १८मो सैको, दयासिंह गणि
रूप०]
नाटिकानुकारि षड्भाषामयं पत्रम् २७.१
रूपचन्द्र
९१
↑
समस्तजिनस्तुति (पद्धडीछन्द) ११.६३ पार्श्वजिनलघुस्तवन ११.६४
रूपचन्द्र [ दिगम्बर ]
जिनानां पंचकल्याणकानि ४०.४४
रूपविजयजी [विनयविजय उपा. रूप०]
नेम - राजुल - लेख (वि. १८५६) २६.११९
लक्ष्मीकल्लोल गणि [आगममण्डनसूरिजी → हर्षकल्लोल गणि लक्ष्मी०, १७मानो पूर्वार्ध] चतुर्विंशतिजिनस्तुति (वर्द्धमानाक्षरा) ३४.१
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९२
लक्ष्मीमूर्ति [ सकलहर्षसूरिजी लक्ष्मी०, १७ मानो पूर्वार्ध ]
भवस्थितिस्तवन २८.४२
लक्ष्मीविजयजी
गौतमस्वामीनी सज्झाय १८.१०३
लक्ष्मीसागरसूरि-शिष्य [ रत्नशेखरसूरिजी → लक्ष्मी० ( तपगच्छपति), १६मो
सैको]
त्रणचउवीसी - विहरमाणजिनस्तवन ५.४७
लब्धिविजयजी
खिमापंचावन्नी २४.४२
लाल-विनोदी [ दिगम्बर ]
सुमति- कुमतिवाद - गीत ४८.५१
लावण्यसमय
जीभसज्झाय २४.५५ लावण्यसूरिजी [नेमिसूरिजी → लावण्य० ] सप्तदलं लेखकमलम् (वि. १९९३) १२.७१ विजयचन्द्र-शिष्य [हीरसूरिजी → विजय०] हीरविजयसूरिस्वाध्याय ४.५३ विजयतिलकसूरिजी [तपागच्छ, १७मो सैको] ऋषभदेवस्तुति (शत्रुंजय) ५.४०
विजयशेखर उपा. [ विवेकशेखर गणि
नेमगीत ४७.६२
स्थूलभद्रनुं चोमासुं ४७.६१
अनुसन्धान ५१
-
विजय० ]
नेम-राजुलना बारमास ४७.५७
विजयमानसूरिजी
पट्टक (वि. १७४४ ) ( लखनार लावण्यविजय) १०.४४
विजयसिंहसूरिजी [नागेन्द्रकुलीय ]
सामुद्रिकशास्त्रलक्षणानि (भुवनसुन्दरीकथागत) (शक ९७५ वि. ११०९)
१६.२८
विनयचन्द
नेमनाथगीत (गिरनार) १५.९१ नेमनाथगीत (ऊना) १५.९२
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जून २०१०
९३
पार्श्वनाथगीत (अजारा) १५.९० पार्श्वनाथगीत (नवपल्लव-मंगलपुर) १५.९१ देवसूरिगीत १५.९३
विजयसेनसूरिगीत १५.९२ विनयवर्धन [सिंहसूरिजी → विनय.] विज्ञप्तिपत्र (वि. १७०१) १४.३१ विनयसागर सिलोकानन्दकवित्व ४९.११७ विनयसुन्दर [हीरसूरिजी → विजयहंस पं. → विनय०] तपागच्छगुर्वावली-स्वाध्याय ३९.२० विमलहंस गणि [विजयहंस → मेघा गणि → विमल०] मेघागणिनिर्वाणभास ४९.१२२ मेघागणिनिर्वाणभास ४९.१२४ विवेकचन्द्र गणि [दानसूरिजी → सकलचन्द्र उपा. → सूरचन्द्र →
भानुचन्द्र उपा. → विवेक०, १७मो सैको] आदिनाथस्तोत्र (भक्तामर-पादपूर्ति) ५०(१).३७ विवेकरत्नसूरि-शिष्य शम्भवजिनस्तोत्र (पावकपर्वत) ११.६५ विवेकविजय-शिष्य [रामविजय उपा. → प्रतापविजय → विवेकविजय] पार्श्वनाथप्रतिष्ठास्तवन (चिन्तामणि-कोठारीपोल) (वि. १८४५) २४.१०२ विशालमूर्ति-शिष्य [देवसुन्दरसूरिजी → सोमसुन्दरसूरिजी → विशाल०] धरणविहार-चतुर्मुखस्तव ४५.५८ विशालसुन्दर [हीरसूरिजी → विशाल०] हीरविजयसूरिसज्झाय ४२.५१ विशेषसागर पण्डित [क्षमासूरिजी → दयासूरिजी → कुशलसागर →
___ उत्तमसागर → चतुरसागर → लाभसागर → विशेष०] श्रेयांसजिनस्तवन (आडीसर) (वि. १७९४) ३८.३४ वेलजी भारमल [कच्छ-कोडायरहीश] पंचसूत्रस्तबक (वि. १९५८) ४२.१ शंकर मुनि विजयवल्लीरास (वि. १६५१) २४.९
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अनुसन्धान ५१
शान्तिदास गौतमस्वामीरास (वि. १७३२) ७.५१ शान्तिसूरिजी [वादिवेताल, ११मो सैको] बृहच्छान्तिस्तोत्र १५.९४ शान्तिसूरिजी [खण्डेल्लकगच्छ] भक्तामरस्तववृत्ति ५०(१).१ शिवजी ऋषि [लखमसीजी → गांगजी → शिवजी] गांगजीऋषिभास (वि. १७७६) ४३.४९ शुभतिलक उपा. गायत्रीमन्त्रवृत्ति १७.१७३ श्रीधर श्रावक गुरुस्थापनाशतक ३८.१ श्रीब्रह्म [पार्श्वचन्द्रगच्छ, वि. १५६८-१६४६] उपदेशकुशलकुलक २४.७९ श्रीवल्लभोपाध्याय [खरतरगच्छ, १७मो सैको, रत्नचन्द्र उपा. → भक्तिलाभ
→ चारित्रसार → भानुमेरु → ज्ञानविमल → श्रीवल्लभ०] चतुर्दशस्वरस्थापनवादस्थलम् ४५.३० पार्श्वनाथस्तोत्र (तिमिरीपुरीश्वर) २८.३३ पार्श्वनाथस्तोत्र (सुन्दरीछन्द) २८.२९ मातृकाश्लोकमाला २६.१०१ श्रीसार [खरतरगच्छ, क्षेमशाखा, रत्नहर्ष गणि → श्रीसार] शान्तिनाथस्तवन (सप्तदशपूजागर्भित) (वि. १६४२) ४५.४८ सकलचन्द्र उपा. [दानसूरिजी → सकल०] मुनिमाला ३९.१
मुनिवरसुरवेली १५.५२ वासुपूज्यजिनस्तवन ३०.१५ श्रुतास्वादः २३.१ सत्तरभेदीपूजा ३९.३९
सीमन्धरजिनस्तवन ३.१० सज्जन श्रावक जिनप्रबोधसूरि-नाराचबन्धछन्द ९.९४ जिनेश्वरसूरि-कुण्डलिया (१४मा सैका पूर्वे) ९.९३
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जून २०१०
सत्यसौभाग्य गणि [ राजसागरसूरिनी परम्परामां, श्रीसौभाग्य → सत्य०] बीबीपुरस्थित-श्रीचिन्तामणिपार्श्वनाथ-चैत्यप्रशस्ति (वि. १६९७ ) ४५.१ सकलचन्द्र → समय० ]
समयसुन्दर उपा. [जिनचन्द्रसूरिजी मेघदूतप्रथमपद्यस्याऽभिनवत्रयोऽर्थाः ३२.२७ विज्ञप्तिपत्री (वि. १६५८) ३५.५
समुच्चय
आनन्दसमुच्चय ४३.१
सहजकीर्ति उपा. [खरतरगच्छ, रत्नसार रत्नहर्ष हेमनन्दन
सहज०] पार्श्वनाथ-महादण्डक-स्तुति (वि. १७८३) १२.८१
पार्श्वनाथस्तोत्र (अठोतरसो नामे) २४.४
सहजविमल [दानसूरिजी रागमाला-शान्तिनाथस्तवन ३३.६३
सागरचन्द्र [१२मो सैको, वर्धमानसूरिजी ( नागिलकुलीय) सागर०]
नेमिनाथरास १०.३६
साधुहर्ष उपा.
भवनभूषण-भूषणभवनकाव्य ५०(१).४३
जगराज पं. सहज० ]
सारंग [चन्द्रगच्छ-महडाहडीयशाखा, पद्मसुन्दर गणि सारंग ] सूक्तिद्वात्रिंशिका (वि. १६५०) ३७.२०
सालिग श्रावक
बलभद्रऋषिसज्झाय २४.४९
सिद्धसेनसूरिजी
सिद्धमातृका २५.१
सिद्धिचन्द्र उपा. [भानुचन्द्र उपा. सिद्धि०]
न्यायसिद्धान्तमंजरीटिप्पनक (वि. १७०६) १४.५० मङ्गलवादः १०.१ कनकविजयजी शीलविजयजी
सिद्धिविजयजी [हीरसूरिजी
सिद्ध. ]
देवसूरिभास ४३.५८ नेमिनाथभास ४२.३९
९५
देवसूरिभास ४३.६१ नेमिनाथभास ४२.४१
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अनुसन्धान ५१
सुकवि निह्नवविचारसज्झाय २४.५६ सुखसागर पण्डित सत्तरभेदीपूजा-स्तबक ३९.३९ सूरचन्द्र उपा. [खरतरगच्छ, जिनभद्रसूरिपरम्परा, वीरकलश उपा. →
सूर०, १७मानो उत्तरार्ध] प्रणम्यपदसमाधानम् ३३.६९ सूरप्रभसूरिजी [१३मो सैको] गौतमगणधरस्तव ३१.१८ सोमतिलकसूरिजी शत्रुजययात्रावृत्तान्त (वि. १३९१) १०.१० पार्श्वनाथस्तोत्र (करहेटक) १४.४२ हंसविजयजी
शब्दार्थचन्द्रिका ५.१२ हंस साधु (साधुहंस ?) हितशिक्षाबोलसज्झाय २४.५३ हंसराज हीरसूरिगीत ३९.२३ हरसूर जयकेसरीसूरिगीत ४३.६७ जयकेसरीसूरिभास ४३.६८ हरिकलश यति [राजगच्छ, धर्मघोषवंश] मेदपाटदेशतीर्थमाला (१४मो सैको) ३७.३८ हरिभद्रसूरिजी [याकिनीमहत्तरासूनु] साधारणजिनस्तवन ८.१००, २२.१ धूमावलीप्रकरण ५.१ हरिभद्रसूरिजी [वडगच्छ, श्रीचन्द्रसूरिजी → हरि०] रूपककथा (चन्दप्पहचरियं-गत) १४.७० हर्मन जेकोबी पत्र ४१.२०
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जून २०१०
हर्षकल्लोलोपाध्याय-शिष्य [आगममण्डनसूरिजी हर्ष ० ] पार्श्वनाथस्तवन (उवसग्गहरं - समस्यापूर्ति) ६.६२
हर्षकुल गणि [लक्ष्मीसागरसूरिजी सुमतिसाधुसूरिजी हेमविमलसूरिजी → कुलचरण → हर्ष०]
कमलपंचशतिकास्तोत्र १५.३२ वसुदेवचुपइ (वि. १५५७) २८.५१ हर्षनन्दन उपा. [खरतरगच्छ, समयसुन्दर उपा.
हर्ष०]
जिनसागरसूरिगीतानि ५० (२). २५
हर मुनि
सीलचूनडी ४८.५५
हीरसागर [खरतरगच्छ, जिनचन्द्रसूरिजी → हीर०]
स्तवनचोवीशी १९.११३
हीरसूरिजी [दानसूरिजी
नाभेयस्तवन ३.५
वीरस्तुति (चतुर्थी) ११.६७
हेमरत्न [पूर्णिमागच्छ, देवतिलकसूरिजी पद्मराज उपा. हेम०]
भावप्रदीपः (वि. १६२८) ३९.७६
हीर० ( तपगच्छपति)]
९७
विबुधपदविज्ञप्ति ५.३९
हेमविजय पण्डित [शुभविमल अमरविजय कमलविजय पं. हेम० ]
समतासज्झाय २४.५४ ऋषभशतक (वि. १६५६) २९.१
हेमहंस उपा.
आदिनाथस्तवन ७.८१
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अनुसन्धान ५१
अज्ञातकर्तृक (८४)
प्राकृत : २४ ३६३ पाखण्डीस्वरूपस्तोत्र-सावचूरि
२२.२७ ३६३ पाखण्डीस्वरूपस्तोत्र
२१.३३ अष्टमहाप्रातिहार्यवर्णन
१४.३८ आदिनाथस्तोत्र
१५.२८
३३.२१ आदिस्तव (ते धन्ना...)
२४.१ कामरूपपंचाशिका
१३.१ कुलमण्डनसूरिविज्ञप्ति (धर्मशेखर पण्डित ?) २१.२६ गणधरहोरा
११.४३ गुणरत्नसूरिविज्ञप्ति (धर्मशेखर पण्डित ?) २१.२८ चन्द्रप्रभस्तव (षड्भाषाबद्धः)
३३.२५ ज्ञानसागरसूरिविज्ञप्ति (धर्मशेखर पण्डित ?) २१.२५ नेमिनाथस्तोत्र
१५.२९,
३३.२३ पंचपरमेष्ठिस्तव (प्रश्नगर्भ)
५०(२).७३ पढमाणुओगनी उपलब्ध वाचना
६.१ पार्श्वनाथस्तोत्र
३३.२३ बूटडीश्राविका-व्रतग्रहणविधि
३६.१४ महत्तराचारित्रचूलाविज्ञप्ति (धर्मशेखर पण्डित ?) २१.२९ महावीरस्तोत्र
१५.३१,
३३.२४ राणीश्राविकागृहीत-द्वादशव्रतवर्णन
३.१५ लखमसिरीश्राविका-व्रतग्रहणविधि
३६.१९ वीतरागविनति
३५.१ व्यंग्यहीयाली
१६.२२४
१५.३०,
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जून २०१०
शान्तिनाथस्तोत्र
१५.२८, ३३.२२ ३१.६१
श्राविकाणां चतुर्विंशतिनमस्कार
संस्कृत : ३२ अनुमानमातृका-सावचूरि
७.८५ अर्हत्प्रवचनसूत्र-सविवरण
५.८८ ऋषभतर्पण
२१.१ गुरुस्तुति
३९.२३ चतुर्विंशतिजिननमस्कारकाव्यो
१३.१९ चतुर्विंशतिजिनस्तोत्र
४८.३५ चित्रकाव्यानि
३३.४७ जिनस्तुति
८.१२५ जैनसन्ध्याविधि
१७.१६६ ज्ञानभण्डारप्रशस्ति
११.६ तीर्थकरस्तवन
२०.९६ दृष्टान्तशतक-१
१४.११ दृष्टान्तशतक-२
१४.१९ नन्दीश्वरादिस्तुतयः
१५.२७ नेमिनाथस्तवन (नानाछन्दोमय)
२३.२४ पार्श्वनाथलघुस्तवन (-जयसार ?)
७.८३ पार्श्वनाथस्तवन (मंगलपुरीय-नवपल्लव) ८.८४ पार्श्वनाथस्तुति (चारूपमण्डन)
११.१ भक्तामरस्तवसुखबोधिकावृत्ति
५०(१).२४ लघुकर्मविपाक-सस्तबक
८.८९ ललितविस्तर-लिपिशालासन्दर्शनपरिवर्तः-सानुवाद १६.२१७ शत्रुजयचैत्यपरिपाटिकास्तोत्र
२६.११६ शब्दसंचय
४९.१ सप्तनयविवरण
२१.१
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________________
१००
अनुसन्धान ५१
१४.२७
५.२७
२०.९७ २८.१
समवसरणस्तोत्र सरस्वतीस्तोत्र सुप्रभातं-स्तवन सुभाषितसंचय सूक्तावली स्तम्भनपार्श्वनाथद्वात्रिंशत्प्रबन्धोद्धारः हयाटाखाटकाव्य-सटीक हाल्लारदेशचरित्र
१४.९२
९.६१ ३७.१६ ११.३७
गुजराती व. भाषा : २८ अपभ्रंशदोहा
६.६८ अमृतधुन
२०.९८ आदिनाथ-बाललीला (-सुधनहर्ष ?)
४०.३९ आदिनाथवीनती (-सुरेन्द्रसूरि ?)
२९.५८ कृष्ण-बलभद्र-गीत
२४.९८ गूढार्थ-दोहाओ
५०(२).५ गौतमगणधर-भास
९.७६ गौतमगणधर-भास
१९.१३४ जगडूसाहछन्द
१०.६८ जयकेसरीसूरिभास
४३.६३ जिनपूजाविधि
२२.३२ धर्मसूरिबारमासा
२.६९ निशालगरj (-सुर-सुरजी ?)
१५.६८ पुण्यबत्रीसी
५०(२).१ पुष्पमालाचिंतवणी
४८.५६ बलदेवमुनिनी सज्झाय (-सकल ?) २३.५७ भोजनविच्छित्तिः
४९.१३१ मुनिचन्द्रसूरिगुरुगुण-गहुंली
२५.७५ रतनगुरुरास
२३.६३
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________________
जून २०१०
१०१
शाहवीराना सुकृतवर्णननी प्रशस्ति-चउपइ सम्भवनाथकलश (-ज्ञान महोदय ?) सम्यक्त्वस्तवन (-पुण्य महोदय ?) सिद्धस्वरूपसज्झाय सुधर्मगणधर-भास सुधर्मगणधर-भास सुभटस्वाध्याय हाटग्रहणकखतपत्र हीरविजयसूरिसज्झाय
५.२८ २७.५ ४५.५४ २४.७४ ९.७६ १९.१३३ ४१.३२ ५०(२).४५ ४२.४९
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लेखनखण्ड
१०२
अनु.
पृष्ठ
१. लेख (१४०) गुजराती - हिन्दी
संशोधनात्मक (७०) नाम
लेखक हेमचन्द्राचार्ये आपेल त्रण उदाहरणो विशेष
हरिवल्लभ भायाणी थोडाक विशिष्ट शब्दो (अभिधानचिन्तामणि अने अनेकार्थसंग्रह गत) नारायण कंसारा थोडाक अपभ्रंश परम्पराना भाषाप्रयोगो
बलवन्त जानी सिद्धहेमशब्दानुशासन-प्राकृत अध्यायनां उदाहरणोना मूळ स्रोत हरिवल्लभ भायाणी ट्याश्रय-काव्यना एक पद्यनी शंकास्पद वृत्ति परत्वे विचारणा (न यथा कोऽपि १-१५) ।
शीलचन्द्रसूरिजी
१ १ २
१५ १८ २५
२
५०
(१) १. शमणे भयवं महावीले
२. जिण्णे भोयणमत्तेओ ३. सिंहपद-छन्दनुं उदाहरण
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५२ ५८ ४०
जून २०१०
१०
८६
गांगेयभंगप्रकरण-सस्तबक - कृतिना कर्ता विशे ऊहापोह (यशोविजयजी के पद्मविजयजी ?)
शीलचन्द्रसूरिजी
२ यतिदिनचर्या : वृत्तिनी गवेषणा
प्रद्युम्नसूरिजी
२ जैन तीर्थस्थान तारंगा : एक प्राचीन नगरी
रमणलाल महेता, कनुभाई शेठ हीरसौभाग्यम्-नी स्वोपज्ञवृत्तिमां प्रयुक्त तत्कालीन गुजराती-देश्य शब्दो प्रह्लाद पटेल सालिभद्र-धन्ना-चरित-ना कर्ता तथा एने अनुषंगे केटलुक जयन्त कोठारी घवळी १
खोडीदास परमार उवहाण-पइट्ठा-पंचासग-परथी फलित थतो एक मुद्दो
शीलचन्द्रसूरिजी उमास्वाति-आर्यसमुद्रनां नवप्राप्त पद्यो विशे
मधुसूदन ढांकी केटलाक कथाघटको (९)
हरिवल्लभ भायाणी अंगविज्जा-मां निर्दिष्ट भारतीय ग्रीककालीन अने क्षत्रपकालीन सिक्का हरिवल्लभ भायाणी प्रियतमा वडे प्रियतमनुं स्वागत
हरिवल्लभ भायाणी शत्रुजयमंडन-ऋषभदेवस्तुति-नी प्राप्त वधु हस्तप्रतो
भुवनचन्द्रजी
६ जैन-गुर्जर-कविओ (संशोधक-जयन्त कोठारी)नी प्रकाशन वेळाना त्रण लेखो - अखण्ड दीवानो विस्तरतो उजाश
प्रद्युम्नसूरिजी - कालजयी साहित्यकृतिना पुनरुद्धारक- अभिवादन । शीलचन्द्रसूरिजी
९ - समुद्धारयज्ञनी पूर्णाहुति
हरिवल्लभ भायाणी १. १७.१६२
६८
८३
८७
११४
९
९४ ९७ ९८
१०३
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७१ १०२
१०६
२४०
२००
२०३
९१
हस्तप्रतनी प्रशस्तिमां प्राप्त नगरो के गामो अंगेनी ऐतिहासिक सामग्री कनुभाई शेठ हरिभद्रसूरिविरचित समसंस्कृतप्राकृत जिनसाधरणस्तवन-नो आस्वाद पारुल मांकड पंचसूत्रना कर्ता कोण, चिरन्तनाचार्य के आ. हरिभद्र ?
शीलचन्द्रसूरिजी आजना विज्ञानयुगमां जैन जीवविचारणानी आहारक्षेत्रे प्रस्तुतता नारायण कंसारा कल्पसूत्र में भद्रबाहुप्रयुक्त ‘याग' शब्द
शीलचन्द्रसूरिजी सारस्वतोल्लास : एक दृष्टिपात
भुवनचन्द्रजी जैन परम्परामा परिचारणाभेदविचार
नगीन शाह कौशिक : एक अप्रसिद्ध वैयाकरण
नीलांजना शाह मध्यकालीन गुजराती साहित्यना इतिहासलेखननु स्वरूप बलवन्त जानी सिद्धशिला
मधुसूदन ढांकी वसुधारा धारणी अने 'वसो'नुं वसुधारामन्दिर
शीलचन्द्रसूरिजी आर्यवेद : जैनवेद
शीलचन्द्रसूरिजी स्त्रीतीर्थंकर मल्लिनाथनी प्रतिमाओ
शीलचन्द्रसूरिजी षट्प्राभृतमा दन्त्यनकारना प्रयोग
शोभना शाह षट्प्राभृतमा विभक्तिरहित शब्दरूप
शोभना शाह चाणक्यनुं एक दक्षिणी कथानक (वड्डाराधनागत)
शीलचन्द्रसूरिजी लिंगप्राभृत, शीलप्राभृत, बारस-अणुपेक्खा और प्रवचनसार की भाषा के कतिपय मुद्दों का तुलनात्मक अभ्यास
शोभना शाह
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१०३
४५
६९
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२८
३६
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3x
हसु याज्ञिक शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी विनयसागरजी शीलचन्द्रसूरिजी
जैन कथासाहित्य तरंगवती कथा तथा पादलिप्तसूरि : जैन के अजैन ? समयनो तकाजो : साम्प्रदायिक उदारता परमयोगीराज आनन्दघनजी महाराज अष्टसहस्री पढ़ाते थे संशोधन विरुद्ध कट्टरता : घेरी चिन्तानो विषय श्रीमद्भगवद्गीता के विश्वरूपदर्शन का जैन दार्शनिक
दृष्टि से मूल्यांकन सत्तरभेदीपूजा-सस्तबक : अवलोकन भिक्षाविचार : जैन तथा वैदिक दृष्टि से जैन और वैदिक परम्परा में वनस्पति विचार जैन आगम अने मांसाहार : ऐतिहासिक चर्चा हर्मन जेकोबीना लेखनो जवाब निगोदथी मोक्ष सुधी जय केसरियानाथजी प्राकृत-जैन-साहित्य में उपलब्ध 'धर्म' शब्द के
विशेष अर्थो की मीमांसा
नलिनी जोशी शीलचन्द्रसूरिजी अनीता बोथरा कौमुदी बलदोटा शीलचन्द्रसूरिजी गम्भीरविजयजी पद्मनाभ जैनी विनयसागरजी
अनीता बोथरा
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५०
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अंजना : वाल्मीकि और विमलसूरि के रामायणों में वर्णित कौमुदी बलदोटा पाली (बौद्ध) आगमोमां चातुयाम-संवर
पद्मनाभ जैनी पितर-संकल्पना की जैनदृष्टि से समीक्षा
अनीता बोथरा गूंगो गोळतणा गुण गाय (ज्ञानमंजरी-प्रस्तावना)
शीलचन्द्रसूरिजी जैन श्रावकाचार में पन्द्रह कर्मदान : एक समीक्षा
कौमुदी बलदोटा जैन श्रावकाचार में पन्द्रह कर्मादान : एक समीक्षा : इस पर कुछ विचार
कल्याणकीर्तिविजयजी मध्यकालीन गुजराती साहित्य : प्रतीक्षा, पडकार अने सम्प्राप्ति कान्तिभाई शाह आयुर्वेद तथा भगवान महावीर का गर्भापहरण
जगदीशचन्द्र जैन भगवान् महावीर का गर्भापहरण : एक वास्तविक घटना
शीलचन्द्रसूरिजी ध्यानदीपिका (- उपा. सकलचन्द्रजी) संग्रहग्रन्थ है
विनयसागरजी अर्धमागधी आगमसाहित्य में श्रुतदेवी सरस्वती
सागरमल जैन जैनधर्म में सरस्वती
सागरमल जैन चतुर्विंशतिजिनस्तुति के प्रणेता चारित्रसुन्दरगणि ही हैं
विनयसागरजी नारद के व्यक्तित्व के बारे में जैन ग्रन्थों में प्रदर्शित सम्भ्रमावस्था कौमुदी बलदोटा नारद के व्यक्तित्व के बारे में जैन ग्रन्थों में प्रदर्शित सम्भ्रमावस्था : इस लेख पर कुछ विचार
कल्याणकीर्तिविजयजी
.
४६
४७
७६
४८ ४८
६० ६९ १२७ १४४
४९
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५०(१) १४२
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जून २०१०
मरमी सन्त आनन्दघन अने तेमने परम्पराप्राप्त जैन चिन्तनधारा मौखिक अने लिखित परम्पराओ सन्दर्भ बोले बांधनारनी कथाओ अर्धमागधी भाषा का उद्भव एवं विकास । क्या 'आर्यावती' जैन सरस्वती है ? हिन्दु और जैन व्रत : एक क्रियाप्रतिक्रियात्मक लेखाजोखा वर्तमानकालीन संशोधन-सम्पादन युगना आद्य प्रवर्तक :
आगमप्रभाकर पू. मुनिराजश्री पुण्यविजयजी
नगीन शाह हसु याज्ञिक सागरमल जैन सागरमल जैन अनीता बोथरा
५०(२) ५२ ५०(२) ६१ ५०(२) ८४ ५०(२) ९५ ५०(२) १०३
जम्बूविजयजी
५०(२) २५८
१
प्राचीनग्रन्थोना स्वाध्याय-परिचयलेख (१६) नाम
लेखक सूडाबहोंतेरी / रसमंजरी (-रत्नसुन्दरसूरिजी) - परिचय
कनुभाई शेठ धर्मरत्नकरण्डक (-वर्धमानसूरिजी) - परिचय
मुनिचन्द्रसूरिजी स्याद्वादभाषा (-शुभविजयजी) - परिचय
नारायण कंसारा तारागण (-बप्पभट्टिसूरिजी) - परिचय
हरिवल्लभ भायाणी लोकतत्त्वनिर्णय (-हरिभद्रसूरिजी) - समीक्षात्मक अध्ययन
जितेन्द्र शाह योगदृष्टिसमुच्चय (-हरिभद्रसूरिजी) - महत्त्वनी लाक्षणिकताओ नगीन शाह ललितविस्तरा (-हरिभद्रसूरिजी) - दार्शनिक मतो
शीलचन्द्रसूरिजी
८ १३ १७
६३ १०२ ५० १९० १८८ ५३
२२
१०७
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प्रबन्धकोश (-राजशेखरसूरिजी) - नोंधपात्र वातो प्रबन्धचिन्तामणि (-मेरुतुंगसूरिजी) - ध्यानपात्र बाबतो पंचवस्तुक (-हरिभद्रसूरिजी) - ध्यानपात्र प्रयोगो धर्मलाभशास्त्र (-मेघविजयजी उपा.) - परिचय भुवनसुन्दरीकथा (-विजयसिंहसूरिजी) - विशिष्टवातो सप्तसन्धानकाव्य (-मेघविजयजी उपा.) - परिचय अष्टलक्षी (-समयसुन्दर उपा.) - परिचय निर्णयप्रभाकर (-बालचन्द्राचार्य, ऋद्धिसागरोपाध्याय) - परिचय आर्षभीविद्या - परिचय
शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी विनयसागरजी शीलचन्द्रसूरिजी विनयसागरजी विनयसागरजी विनयसागरजी विनयसागरजी
३६ ३६ ४८ ७४ ५०(२) १२३
नु.
पृष्ठ
अंजलिलेख (१७) नाम
लेखक मैं कभी भूलूंगा नहीं
राजाराम जैन भारतीय तत्त्वविद्याना अजोड विद्वानने स्मरणांजलि
शीलचन्द्रसूरिजी नखशिख विद्यापुरुष
भुवनचन्द्रजी एमां बे वात छे
हसु याज्ञिक विरल विद्यापुरुष
कुमारपाल देसाई
२०६ २०८ २२४
अनुसन्धान ५१
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२२९
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जून २०१०
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२६३ २६६
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विद्यानो मोजभर्यो व्यासंग
जयन्त कोठारी अगणित पंखीओना आश्रयरूप एक वडलो
जयन्त कोठारी अनेक दुर्घटनाओमांथी सर्जायेली घटना
उत्पल भायाणी वीसमी सदीना हेमचन्द्राचार्य
सुरेश दलाल अनन्य रसज्ञता-विद्वत्ताना स्वामी (- जन्मभूमिप्रवासी) भायाणीसाहेबनी चिरविदाय
शीलचन्द्रसूरिजी जयन्त-कोठारीनी पण चिरविदाय
शीलचन्द्रसूरिजी डो. भायाणीनुं मध्यकालीन-साहित्य-अभ्यासक्षेत्रे प्रदान
हसु याज्ञिक फ्रांस में जैन धर्म व साहित्य में स्वर्गीय प्रोफ़ेसर डाक्टर श्रीमती कौलेट काइया का योगदान
नलिनी बलवीर जम्बूविजयजी महाराजने स्मरणांजलि
शीलचन्द्रसूरिजी श्रुतधर-परम्पराना उज्ज्वल नक्षत्र
भुवनचन्द्रजी श्रद्धासुमन
विनयसागरजी
२७१ ९१
३२
४३ ६९ ५०(२) २३६ ५०(२) २४० ५०(२) २४३
४०४
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English Articles (37)
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Artical
Author
Anu. 6
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Jain Monumental paintings of Ahmedabad
Shridhar Andhare A Glossary of Rare and Non-Standard Sanskrit Words of the Kathāratnākara of Hemavijayagani
H. C. Bhyani Desis Employed in Padma Vijaya's Samarāditya- Vijay Pandya Kevali-Rās
(Tra.-Rajhans Vijay) Notes on a few words from Bolléés Glossary to पिंडनिज्जुत्ति and ओहनिज्जुत्ति ।
H. C. Bhayani Some sporadic notes on the Běhaddesi
H. C. Bhayani Love or Leave ? Bharthari's (?) Dilemma
Ashok Aklujkar Alliteration of the Word-initial consonant in Mordern Gujarati Compounds
H. C. Bhyani Some folk-etymologies in the Anuyogadvārasūtra H. C. Bhyani Comparative Study of the Language of the Acārānga and
the Isibhāsiyāim both edited by Prof. Schubring K. R. Chandra Historio-cultural Data as Available from Samarāicca Kahā Rashesh Jamindar Śrimad Rājacandra on the Necessity of a Direct Living Sadguru
N. M. Kansara
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43
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Some Aspects of the Kaumudimitrānạnda
V. M. Kulkarni On Sthātūś ca rātham in the Rgveda 1.70.7
M. A. Mehendale Jaina Concept of Memory
Mohanlal Mehta The Jaina Universe in a Profile of Cosmic Man
Suzuko Ohira Śankarācārya and the Taittiriyopanişad
Vijay Pandya Jain Biology
J. C. Sikdar The Gandhari Prakrit Version of the Rhinoceros Sutra J. C. Wright Merutunga and Vikrama
A. K. Warder Two Peculiar Usages of the Particle Kira/Kiri in Apabhraṁśa
Herman Tieken Retention of Medical consonants in the Grammar of Ardhamāgadhi by Hermann Jacobi
K. R. Chandra Ajaya, ajeya and ajayya
M. A. Mehendale On Restoring Corrupt Prakrit Verses
V. M. Kulkarni Some addenda et Corrigenda to the 'Glossary of Selected
Words of Ernst leumann's Die Āvaśyaka Erzälungen. Thomas Oberlies An Early Example of a Late Middle Indo-Aryan Post Position ?
Paul Dundas Hanumannātakam : Date and Place of its Origin
Vijay Pandya
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The two rare icons of Parshwa Yaksha
Balaji Ganorkar Dānalakṣaṇa or Dānaśāsana by Srivasupūjyarși
Jagannatha Perculiarities of Jain Mahārāștri Literature
Nalini Joshi The Jain Versions of Rāmāyaṇa
Nalini Joshi Models of Conflict-resolution and Peace in Jain Tradition Nalini Joshi On nouns with Numerical Value in Sanskrit
Willem Bollee Lexicographical Notes on the Tarangalolā
Thomas Oberlies Truthfulness and Truth in Jaina Philosophy
Peter Flugel The Cult of the Jakhs in Kutch
Francoise Malligon Muni Jambuvijayaji Homage and reminiscences
Nalini Balbir Report on the accident of Param Pujya Munishri Jambuvijayaji Maharaj Saheb
Hiroko Matsuoka
18 55 42 71 46 85 47 63 50(2) 131 50(2) 144 50(2) 155 50(2) 166 50(2) 219 50(2) 246
50(2) 249
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२. ट्रंकनोंध (९२)
गुजराती, हिन्दी (८०)
-
नाम
प्रथमानुयोग-ना चौदमी शताब्दी लगभगना बे उल्लेख
पूर्वीय प्राकृतोना एक तद्धित प्रत्यय विशे (क)
सम्बन्धक भूतकृदन्तनो प्रत्यय
इउ
श्रद्धा, प्रसाद अने अध्यात्मप्रसाद
ढोल्ला सामला (सिहे. ८-४-३३०) नो पाठ अने छन्द
हरिवल्लभ भायाणी
जिवँ जिवँ तिक्खालेवि ( सिंहे ८ -४ - ३९५) नो पाठ अने अर्थ जिवँ सुपुरिस तिवँ (सिहे . ८ -४ - ४२२) नो पाठ अने अर्थ छन्दोनुशासन-गत प्राकृत छन्दप्रकार द्विभंगीनां उदाहरणोनी पाठचर्चा हरिवल्लभ भायाणी
काव्य-गुम्फ
हरिवल्लभ भायाणी शीलचन्द्रसूरिजी
त्रण मूल्यवान पद्यो '
सिद्धसेनदिवाकरना चरितमां मळतुं एक अपभ्रंश पद्य (अणफुल्लिय फुल्ल...)
धर्ममहिमानुं एक सुभाषित (धम्मु सामिउ सयल...)
१) रूप्यकच्चोलकरथेन ( - उमास्वाति), गव्यहव्यदधि० (- उमास्वाति), सदसेण धवलवत्थेण ( - आर्य समुद्र) ४.१६, ५.५४
लेखक
शीलचन्द्रसूरिजी
के. आर. चन्द्र
के. आर. चन्द्र
नगीन शाह
हरिवल्लभ भायाणी
हरिवल्लभ भायाणी
हरिवल्लभ भायाणी
हरिवल्लभ भायाणी
अनु. पृष्ठ
។
१
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२
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३
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वाचक उमास्वातिजीना पद्य विशे' (रूप्यकच्चोलकस्थेन...) महाबोधिविजयजी वाचक उमास्वातिजी- एक वधु पद्य (परिभवसि किमिति लोकम्...) शीलचन्द्रसूरिजी धर्मसार
शीलचन्द्रसूरिजी केटलांक प्रसिद्ध पद्योनां समान्तर जूनां स्वरूप
शीलचन्द्रसूरिजी एक गाथाना पाठ विशे (न दुक्करं अंबयलुंबितोडणं)
शीलचन्द्रसूरिजी तूतीनामा-नां बे जैन चित्रो
शीलचन्द्रसूरिजी अपभ्रंश छन्द भ्रूवक्रणक
हरिवल्लभ भायाणी झंबडक-गीत
हरिवल्लभ भायाणी उद्दामदण्डक छन्दनुं एक प्राकृत उदाहरण
हरिवल्लभ भायाणी बे प्राचीन सुभाषितो उत्तरकालीन साहित्यमां'
हरिवल्लभ भायाणी मूलशुद्धिवृत्ति-मांनुं एक सुभाषित - वाया सहस्समइया
हरिवल्लभ भायाणी एक कहेवतरूप उक्तिनुं पगेरुं -दियहाइं पंच दह वा जोव्वणं हरिवल्लभ भायाणी नीलीराग-जैन
हरिवल्लभ भायाणी सातवाहनकशास्त्र
हरिवल्लभ भायाणी पुष्पदूषितक, नन्दयन्ती, भद्राभामिनी ।
हरिवल्लभ भायाणी वाचक उमास्वाति (?)- वधु एक पद्य (शौचमाध्यात्मिकं त्यक्त्वा....) शीलचन्द्रसूरिजी शुं आ गप्पुं गणाय ?
शीलचन्द्रसूरिजी २) ५.५४ ३) ५.५४ ४) तिक्खा तुरिअ न माणिआ, किवणाणं धणं णाआणं
. ccccccccccccccc
३१ ६३ ६३
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जून २०१०
शीलचन्द्रसूरिजी भुवनचन्द्रजी हरिवल्लभ भायाणी हरिवल्लभ भायाणी शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी भुवनचन्द्रजी
१०४
१०५
१०६ १०७
नखच्छोटिका, ढौक, सुखासिका / दुःखासिका, ललते पाण्डवचरित्र-बालावबोध-ना थोडाक शब्दप्रयोगो विशे। मीण-प्रत्ययवाळां अर्धमागधी वर्तमान कृदन्तो जुगाइजिणिंदचरियं-ना एक पद्यनो आधार उपाध्याय श्रीयशोविजयजीना अन्तिमसमय तथा समाधिस्थल विशे हेमचन्द्राचार्यनी शिष्यपरम्परा विशे अजारा तीर्थना चैत्यनी प्राचीनता उवहाण-पइठ्ठा-पंचासग-ना कर्ता विशे ऊहापोह मुनि प्रेमविजयजीनी टीपना गुजराती शब्दो हेमचन्द्राचार्यनी काव्यव्युत्पत्तिसूचक एक वधु उदाहरण -
एतम्मि महायत्ते..... (देशी० ६-११०) । प्रबन्धचिन्तामणि-गत एक अनुप्रासनी युक्तिवाळु पद्य -
शीतत्रानपटी... सिद्धहेम-ना एक अपभ्रंश दोहार्नु अर्वाचीन रूपान्तर -
सामीपसाउ सलज्जु... शत्रुजयमंडन-ऋषभदेव-स्तुति : थोडी पूर्ति चंदप्पहचरियं (-हरिभद्रसूरिजी) नी एक दृष्टान्तकथा ललितांगचरित्र : एक उत्तरकालीन विरल रासाबन्ध
77 99999999999
हरिवल्लभ भायाणी
११०
हरिवल्लभ भायाणी
१११
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हरिवल्लभ भायाणी जयन्त कोठारी सलोनी जोषी हरिवल्लभ भायाणी
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शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी हरिवल्लभ भायाणी हरिवल्लभ भायाणी हरिवल्लभ भायाणी हरिवल्लभ भायाणी हरिवल्लभ भायाणी
१२०
१२०
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शीलचन्द्रसूरिजी
७७
एक नोंधपात्र पुस्तकनी प्रशस्ति हेमचन्द्राचार्ये प्रतिष्ठित प्रतिमा ओष्ठय म् पछी उ के ओ-नो अ बे कहेवत' विधवाने रातो साडलो पहेरवानी रूढि पृथ्वीराज-रासो-नी मूळ भाषा व्यवहारभाष्य-मांना केटलाक देश्य शब्दो पर टिप्पण व्यवहारभाष्य-नी एक गाथानी पाठचर्चा -
लक्खणजुत्ता पडिमा... (२६३५) हेमचन्द्राचार्यरचित कृष्णगोपीना प्रणयने लगतुं एक मुक्तक -
रंजणथणिमरयवलिं (१९७४, देशीनाममाला) बे परम्परानो एक समान पौराणिक कथाघटक श्राद्धदिनकृत्यना कर्ता विशे ऊहापोह गुजरातीमां महाप्राण व्यंजननो अल्पप्राण थवो बीरबलनां रींगणां मस्तकलेख पांच पंक्तिनो कलश १) घी ढोलायुं ते खीचडीमां, चणानी जेम मरी न चवाय.
७८
८८
११८
हरिवल्लभ भायाणी हरिवल्लभ भायाणी शीलचन्द्रसूरिजी हरिवल्लभ भायाणी शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी
१२४
१५
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अनुसन्धान ५१
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शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी
w
w
वाचक उमास्वातिनां बे पद्य हीरविजयसूरिजीना समाधिस्थल विषे यशोविजयवाचकनां पगलां एक अप्रकट मूर्तिलेख भगवान महावीरना आहार सम्बन्धी भ्रमणा योगबिन्दुवृत्तिना (गा. ४२७) एक पाठनी समस्या षड्दर्शनसमुच्चय-ना कोकुलकाण्ठेविद्धि० वाक्य विशे हेमाचार्यकृत ज्ञानसार विनयविजयजी उपाध्यायनी शिष्यपरम्परा विशे बे भिन्न कर्ताओनी तुल्य कल्पनानां बे उदाहरण जैन धर्म विशे भ्रान्त धारणाओ पतियाला-ना राजमहेलमां जैन भींतचित्र ते धन्ना - स्तोत्र विशे गुजरातना इतिहासलेखनमां रही जता मुद्दाओ (- नरोत्तम पलाण,
बुद्धिप्रकाश,मार्च-२००४) लेख विशे चर्चा उपधानप्रतिष्ठापंचाशक विषे कन्धारान्वय विषे भुवनहिताचार्य
६२
१०६
१०६
१०६ १०८
हसु याज्ञिक, शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी विनयसागरजी
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निष्कुलानन्दकृत शियळनी नव वाडनां पदो विषे
नेशनल मिशन फोर मेन्युस्क्रिप्ट विषे
७४१ वर्ष जूनुं एक समवसरण पुष्पमालाचिंतवणी-मां सूचित क्रीडा अंगे विवरण
Name
English (12)
Author H. C. Bhyani
Alia - tied
Prakrit Subhashitas from Ramchandra's Lost Sudhakalaśa H.C. Bhyani A Note on उल्लण, कुसुण/कुसण, तीमण
bhadram te and bhadanta
H.C. Bhyani H.C. Bhyani H.C. Bhyani
Some Noteworthy Expressions
Notes on some Prakrit Words तुप्प, चुप्प, परिकट्टलिय
Saraha's मातृकाप्रथमाक्षरदोहक in Apabhramsa Were Santi and Bhusaka the same or different ?
One more instance of the Jhambaḍaka Song in
Apabhrāṁśa
On the Names of Some siddha-Nathas
शीलचन्द्रसूरिजी
शीलचन्द्रसूरिजी
भुवनचन्द्रजी त्रैलोक्यमंडनविजयजी
Sporadic Notes on Some Terms from the Nṛttaratnavali Notes on some words - मोटा, छोटा, गोटो, पोट, मोट, एंट
H. C. Bhyani
H. C. Bhyani
H. C. Bhyani
H. C. Bhyani H. C. Bhyani H. C. Bhyani H. C. Bhyani
३५ ७९
३५
७९
४५
४९
Anu.
7
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7
10
12
12
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१०५
१४१
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118
130
102
104
112
105
93
97
100
102 57
135
११८
अनुसन्धान ५१
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________________
अनु.
पृष्ठ
जून २०१०
३. सूचि (१३)
कर्ता शीलचन्द्रसूरिजी विमलसूरिजी - सं.दीप्तिप्रज्ञाश्रीजी सं. कान्तिभाई शाह शीलचन्द्रसूरिजी शीलचन्द्रसूरिजी
नाम पढमाणुओग-नां विशेषनामो देशीनाममालाउद्धारः शब्दयादी समुद्रवहाणसंवाद-पाठसंशोधननोंध प्रमाणसार-पाठभेदनोंध
३२
६७
७२
विशेषावश्यकभाष्य-नां शुद्धिपत्रक
शीलचन्द्रसूरिजी
१०२
४९
५० १०५ १४४
दीप्तिप्रज्ञाश्रीजी, चारुशीलाश्रीजी
९५
५८
सांकळियुं : अनु. १ - १२
अनु. १३ - १९ अनु. १९ - २६
अनु. २७ - ४१ रोयल एसिआटिक सोसा.-लण्डन-टोड हस्तप्रतसंग्रह-गत
नोंधपात्र हस्तप्रतो दलसुखभाई मालवणियानी साहित्योपासना हरिवल्लभ भायाणीनां प्रकाशित मुख्य पुस्तको
१३०
हरिवल्लभ भायाणी जितेन्द्र शाह
२३३
১১
१८
२७५
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--------------------------------------------------------------------------
________________
१२०
शब्द
अउगउ-उगउ G
अउगनाइ G
अउले खाले वहै G
अउल्हाइ G
अकड G
अकबन्ध G
अखाडो G
अघरणी G
अघरं G
अछिवउं- अछीउं G
अछूत G
अज्जुका S
अधिवासियां G
अनिवड G
अनुभाव G
अप्रमाण G
अबाह G
४. शब्दचर्चा (१४०)
अर्थ
मूंगो
ध्यानमां न लेवुं
अरित्र S
असड्ढल A
आंबलु G आथर G
आदह् P
ऊभरावुं
खिन्न थवुं
रहे
अस्पृश्य
गणिकानुं सम्बोधन
तैयार कर्यां
अनात्मीय
गौरव
असिद्ध
अत्यन्त
अभोखउ-आभोखउ-अभोखण G सत्काररूपे पाणीनुं सिंचन
अखंडितमानवाळो
अमलीमाण G अमाइ-अमामो-अमाणुं-अमान G अमाप
सुकान
असाधारण
अनुसन्धान ५१
अनु. पृष्ठ
१०
९
२
२
२
२
१४
१४
शौर्यस्पर्धानुं स्थान, क्रिडाभूमि २
सीमंत
१४
१४
२
२
१०
३
३
३
३
३
३
३
३
९
३
पति, प्रियतम
६
गधेडा पर बांधवामां आवती गोदडी १४
निन्दा
१
९
९
१२६
१२७
१०
१२८
१२०
११
११
७९
३३
३३
३४
३५
३६
३६
३८
३८
९१
२३
७८
१२०
११
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________________
जून २०१०
१२१
उउबद्ध-उडुबद्ध A
उक्कुक्कुर P उठुब्भइ P उड्डुक्किय P ए !-एय !-ओ भाई ! G| ओडवो G ओलिम्भा D ओलुं, पेलुं, अली, अल्या G कटरि P कडितल्ला D
आश्चर्य
-
वर्षाकाल सिवायनो ८ मासनो समय
७ ९९ ऊंचा ऊठवू
१ १३ उपेक्षाथी पड्युं रहेवा देवू
२ १५ दांतथी कापीने ऐंठं कर ७ १०१
११ ९५ पाणी माटेनो खाडो १४ १२१ ऊधई
१० ८० ११ ९४
१ ०२ एकबाजु धारवाळु वांकुं लोढार्नु आयुध
३ २४ चावतां थतो अवाज
८ १०८ काननी बुट्टी
६ ८१ घोडो
१० ८२ कय्कान प्रदेश
८ १०९ हलेसुं
९ ९१ छीणीने करेलो छ्दो छीछरो क्यारो
१३ ५३ धूळ
८ ११० गादी गादी धूळथी खरडवू
८७ नाकमांथी बोलवानी टेववाळु ८ १११ श्वास रूंधावो
८ १११ ३ २८
१३ ५३ वारंवार चोक
८ ११३ अग्निभेद
३ २५
-
-
कसरक्क P कियाडिया P कुटर S केकाण 5 क्षेपणी 5 खमण G खामणुं G खेह P गब्दिका S गर्त V गुण्ड् P गूंगणुं G गूंगळावू G घउंली-गूहली G घायां-पडघायां G चंचोळq G चक्कोडा D
५३
<
३९
<
३९
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________________
१२२
अनुसन्धान ५१
४१
चणवू-चुगना G
चांचथी एक एक दाणो पकडी गळी
जवानी पक्षीनी क्रिया २ १७ चपटुं, चांपवू, चीपवू, चीवडो व.G -
८ ११२ चाउरि D गादी
४ ३९ चामरी
घोडो
१० ८२ चेलक्नोपम् ।
कपडां तरबोळ बनी जाय तेटलुं (वरसवू)
२ १४ छारुं G
इंटवाडानो घसाइने पडेलो भूको१४ १२१ छाल-छीलटुं-छोलq G
१४ १२९ छीणq G
१३ ५३ छेअP अन्त, हानि
४ ३९ छो-अछो-भले G जड G
१३ ५४ जाखल-सेखल G यक्षप्रतिमा-नागप्रतिमा
४१ जूटुं G
१३ ५५ झडि G निरन्तर वृष्टि
१३ ५५ झपट, झापट व. G
८ ११३ झाड G
वृक्ष
१३ ५५ झाडq G वाळवू
१३ ५५ झाडो G
दस्त
१३ ५५ झूम, झूमखो, झूमणुं व. G
८ ११४ टोयली G
१४ १२२ ठोंसो, ठांसवू, ठसवू, ठेस G
८ ११५ डंगा G
लाठी
१५ १०० ढकोसलां G
आभास, कपटव्यवहार १५ १०० ढग G ढगलो
१५ १०० ढगरो G
कूलो
१५ १०० ढगो G
आखलो
१५ १०० ढब्बु G
बे पैसानी किंमतनो सिक्को १५ १००
लोटी
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________________
जून २०१०
ढांक G
ढाढी G
ढींढुं G
ढीको ढींको G ढीम-ढीमचुं-ढीमणुं G
टेक G
ढेबरुं G
ढेसडो G
ढोल G
ढोसो G तणी G
तम्बा P
तलवट G
तल्लोविल्लि D
ताइ A
तोडहिआ P
थपथपी, थापडी, थपाट G
दीप S
दुली D
नकळंक G
नन्द G
पडछो G
पराठ G
पाणद्धि P
पुरसादाणी A पोपट, पोपचुं G
प्रत्यूषाण्ड S
प्रथमालिका S फेट्टा P
एक धंधादारी ज्ञाति
कूलो
धब्बो
जाडुं मोटुं गठुं
कूलो
पोदळो
दोरडी
गाय
तरफडाट
तेना जेवा
एक प्रकारनो ढोल
दीवो
काचो
वाणियो
शेरडीने छेटे पांदडानो भाग
बकराना वाळनी दोरी
आप्तपुरुष
सूर्य
शिरामण
ढींक
१५ १०१
१५ १०१
१५ १०२
१५ १०२
१५
१०२
१५ १०२
१५
१०३
१५
१०३
१५
१०३
१५
१०४
४
४३
१
१४
८
३
७
४
८
८
४
८
३
१३
१४
२
७
८
१०
१२३
६
१
११७
३०
१००
४४
११६
१०८
४५
११६
२६
५५
१२२
१५
९९
११६
८६
८१
१३
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________________
१२४
बले P
बालग्गकवोदपालिआ, बालग्गपोतिआ P
भेञ्जलअ P
भोप्पय P
मळी G
मुग्गड-मोग्गड D
मोरउल्ला D
युगन्धरी S रम्प P
रांझण G
लजामणी G
वक्तीतीती G
ववठा, वावठवुं G
वाण G
वामलूर P
वावलवुं G
A
शीन S
शेळो G
साइतंकार D
सात S
सिऊरा U
सीझवुं-सीजवुं G
सुकुमारिका S
सुण्णासण A
निर्धारण
भीरु
भूवो
तेलनुं कीटुं
अपुत्र विधवानी जप्त कराती
मालमिलकत
माटे अनाजने अद्धरथी
थोडुं थोडुं ढोळवुं
पाछो
थीजेलुं
एक प्राणी
विश्वस्त
अनुसन्धान ५१
सुख
श्रमणो
१०
व्यर्थ
२
जुंध
३
छोलवु
३
सणका मारे तेवो पगनो रोग ८
एक छोड
६
टिटोडी
१४
उपरथी पवन फूटतां सूकातुं ८ वेपारी
८
ऊधईनो राफडो
१०
दाणामांथी फोतरां छूटां पडे ए
धीमे तापे रंधावुं
सूकवीने तळेली पूरी
सूनुं
१
१०
१
१४
८
१
४
२
९
४
९
५
६
१
८५
१४
११७
११७
८३
१५
२७
३१
११७
८०
१२३
११८
१११
८०
८
८ ११०
& & & ww o w g g
११९
११
४६
१६
९०
४६
८१
८१
१९
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________________
जून २०१०
१२५
ما
८१
सूनासणा G सेल्लि P स्थूर S
खाली बेठकवाळु, सूनुं जोतरूं स्थूल
२५
به سه
९७
९५
हाउं G हाय G हेय !-हैय्या ! G हेलि S
९६
१० ८६
शब्दो कई भाषाना छे-ते जणावनारी संज्ञाओA = अपभ्रंश D = देशी P = प्राकृत V = वैदिक AM = अर्धमागधी G = गुजराती S = संस्कृत आ शब्दचर्चा प्रायः हरिवल्लभ भायाणीसाहेबे करी छे. केटलाक शब्दो शीलचन्द्रसूरिजी, जयन्त कोठारी अने रमेश ओझाए पण चा छे.
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________________
१२६
अनुसन्धान ५१
कया अनु. नुं ?
क्यां ? अनु. पृष्ठ
६६ १०९
११
१६
WW WWW
८०
१७
८५
५७
५. विहंगावलोकन* (३०)
क्यां ? |कया अनु. पृष्ठ | अनु. नुं ?
९०२८ १५ १०७/२९
२३६|३०
१६८|३१, ३२ १८ २०२३३
१३८|३४ २१ ५६ | ३५, ३६ । २१ ६०/३७ २३ ७२|३८ २३ ७४|३९, ४० २५ ९७४१, ४२ २७ ७९/४३, ४४ । २७१ ८४|४५ २८ ९५४६, ४७, ४८
p
८८
३७
६६ ६७
९४
४१
५१
C Cococ
४३ ४५
४६
७४ १०८ ८३ १६९ २२७
४९
५०(२)
* लेखक - भुवनचन्द्रजी १. २८.९८, ३०.७९
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जून २०१०
१२७
प्रकीर्णखण्ड १. माहिती व. (२०) नाम
अनु. पृष्ठ जिनविजयजीनो एक स्मरणीय भावोद्गार
७ १२८ दसमी विश्व संस्कृत परिषदमां जैन विभागमां रजू थयेल निबन्धो
८ १३२ जिनागमोनी मूळ भाषा विशे परिसंवाद
११७ ओरिएन्टल-कोन्फरन्स ३८मुं संमेलन
११४ वर्षानुं आगमन (ज्ञाताधर्मकथा-वर्षावर्णन-अनुवाद) १० ११० जैनधर्मना विश्वकोश-ज्ञानकोशनी योजना
१० ११४ तीर्थंकर महावीरनुं देहवर्णन (औपपातिकसूत्र-आधारित) ११ ९९ मध्यकालीन धर्म विषयक पद्यपरम्परा : संगोष्ठी अहेवाल ११ ११० आर्य भद्रबाहु और उनका साहित्य : संगोष्ठी अहेवाल १४ ११३ मुनिश्रीजम्बूविजयजीए जेसलमेरना जैन भण्डारोमांनी ताडपत्रीय
अने कागळनी हस्तप्रतोनी नकल कराववानी हाथ धरेली योजना
१६ २३० प्राकृत ग्रन्थ परिषद् आदिनो उद्घाटन समारोह
१७ २१९ अवधू आनन्दघननी आध्यात्मिक शब्दचेतना : संगोष्ठी १८ २७८ विदेशमा रहेली मूल्यवान जैन हस्तप्रतोना केटलोग माटे
बे करोड रू. नी जाहेरात करतां श्रीवाजपेयी २२ ६९ जैन पाण्डुलिपिओनुं सूचीकरण तथा संरक्षण एक ऐतिहासिक प्रसंगनी नोंध (भूकम्प) मानवसर्जित दुर्घटनानो भोग बनेल एक विद्यातीर्थ
(भाण्डारकर इन्स्टिट्यूट-पूना) भाण्डारकरशोधसंस्थान विषे प्राकृत-अंग्रेजी बृहद् कोष का निर्माण पंचग्रन्थिव्याकरण-पुस्तक विमोचन समारोह तथा संगोष्ठि भारतीय योग परम्परा के परिप्रेक्ष्य में जैन योग विषयक त्रिदिवसीय आन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी
३८ ६९
२४
८६
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________________
१२८
अनुसन्धान ५१
अनु. पृष्ठ
६ ११३ ६ ११५ ७ १२० ७ १२३ ७ १२५
०
०
२. महत्त्वनां पत्रो (३०) शेना विषे ?
लेखक 'म-न'नो खुलासो (अनु. ५, पृ. ८४) म. अ. मेहेंदळे अनु.- ३, ४, ५
धुरन्धरविजयजी उपरनो पत्र
मधुसूदन ढांकी वडगच्छस्थापनास्थळ
मुनिचन्द्रसूरिजी शेळो, कुलिंग (अनु. ४, पृ. ४६) मकरन्द दवे । जैनागम-भाषा-विषयक संगोष्ठी (४ पत्रो)
विद्वानो अनु.- १२
भंवरलाल नाहटा राग, नन्द्यावर्त, घवळी व. मधुसूदन ढांकी भुवनसुन्दरीकथानो रचनासमय मधुसूदन ढांकी सारस्वतोल्लासकाव्यना कर्ता। जयन्त कोठारी प्रकीर्ण
जयन्त कोठारी प्रकीर्ण
जयन्त कोठारी विबुधपदविज्ञप्तिपरिपत्र
प्रद्युम्नसूरिजी सहजकीर्ति उपाध्याय
विनयसागरजी राणभूमीशवंशप्रकाशः (अनु. २५) विनयसागरजी 'मरुदेवा' शब्द
भुवनचन्द्रजी पाठक रुघपति
विनयसागरजी लब्धिरत्नगणि
विनयसागरजी चन्द्रप्रभस्तवना कर्ता
विनयसागरजी जसराज, चारित्रनन्दी उपा., कल्याणचन्द्रगणि, सम्पादक-टिप्पणी (अनु. ३६, पृ. ३४)
विनयसागरजी ऋषभप्रभुस्तवना कर्ता
विनयसागरजी श्रेष्ठी क्षेमन्धर, लालविनोदी विनयसागरजी श्रीजम्बूविजयजीने श्रद्धांजलि (५ पत्रो) विद्वानो
१० ११४ १४ ४५ १७ १६० १७ २१७ १८ २०० १८ २७२ १८ २७३ २२ ६४ २५ १०० २६ १२९ ३० ७९ ३३ ७५ ३३ ७७ ३४ ५५
३८ ५४ ४० ८३
४९ १३० ५०(२) २३४
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________________
जून २०१०
१२९
३. प्रकाशन-परिचय
अनुसंधानमा घणां घणां प्रकाशनोना उल्लेख, मात्र सम्पादक वगेरेनी माहिती साथेनो निर्देश, संक्षिप्त परिचय, विस्तृत परिचय अथवा समीक्षा करवामां आव्या छे. घणी वार प्रवर्त्तमान संशोधन-सम्पादन वगेरेनी संक्षिप्त के विस्तृत माहिती आपवामां आवी छे. कोईक पुस्तकमां आवेला उपयोगी लेखनी जाणकारी पण केटलीक वार अपाई छे. जेमांथी, आ अनुक्रमणिकानी मर्यादा ध्यानमा राखीने जेमना संक्षिप्त के विस्तृत परिचय अने समीक्षा करवामां आव्या होय तेवा प्रकाशनो तेमज विस्तृत माहिती आपवामां आवी होय तेवा सम्पादनोनी ज स्थाननिर्देश साथेनी अकारादिक्रमे सूची आपी छे. तेमां देवनागरी-लिपि अने रोमन-लिपिमा नाम धरावता ग्रन्थोने अनुक्रमे विभाग-१ अने २-मां समाव्या छे. वाचकोनी सगवडता माटे आ प्रकारनी माहिती धरावता तमाम स्थानोनी सूची विभाग-३-मां आपी छे.
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________________
विभाग-१
१३०
माहिती
प्रकाशन ३५० गाथाना स्तवननो बालावबोध
अनु. ३९
पृष्ठ ९८
अकारादिक्रमेण अनुक्रमणिका (१-४)
५० (१)
१५४
अभिधानचिन्तामणिनाममाला (सटीक)
१ २६
२२ १३१
क. - पद्मविजयजी सं. - प्रद्युम्नसूरिजी प्र. - श्रुतज्ञानप्रसारक सभा, अमदावाद सं. - विनयरक्षितविजयजी प्र. - शास्त्रसन्देश, सुरत क. - हेमचन्द्राचार्य टी. - देवसागरजी सं. - श्रीचन्द्रविजयजी प्र. - जैन संघ, रांदेर रोड-सुरत सं. - रमणलाल महेता, कनुभाई शेठ क. - नरेन्द्रप्रभसूरिजी सं. - पारुल मांकड क. - यशोविजय उपा. सं. - वैराग्यरतिविजयजी प्र. - प्रवचन प्रकाशन, पूना
२२
अमदावादनी जैन चैत्य परिपाटी अलंकारमहोदधि
अष्टसहस्रीतात्पर्यविवरणम्
३३
९४
अनुसन्धान ५१
Page #135
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________________
आख्यानकमणिकोशः (सटीक)
३३
९३
जून २०१०
आचारांग (सटीक) (श्रुत० - १)
आचारांग - अक्षरगमनिका
क. - नेमिचन्द्रसूरिजी टी. - आम्रदेवसूरिजी सं. - पुण्यविजयजी प्र. - P. T. S. क. - सुधर्मास्वामी टी. - शीलांकाचार्य सं. - अमृतलाल भोजक, जम्बूविजयजी प्र. - सिद्धिभुवन० ट्रस्ट, अमदावाद । क. - कुलचन्द्रसूरिजी प्र. - दिव्यदर्शन ट्रस्ट, धोळका क. - सुशीलसूरिजी सं. - जिनोत्तमसूरिजी प्र. - सुशीलसाहित्य प्र. समिति, जोधपुर सं. - भुवनचन्द्रजी, अमृत पटेल प्र. - पार्श्व साहित्य प्र. समिति,
नानी खाखर, कच्छ क. - आर्य भद्रबाहु सं. - कुसुमप्रज्ञाजी
२२
आचारांग - अनुवाद
आचारांग - बालावबोध (श्रुत०-१)
३५
आवश्यकनियुक्ति - १
२०
१११
१३१
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________________
१३२
इन्दुदूतम् (सटीक)
५० (१)
१५४
उत्तरज्झयणाणि-१,२ (टीका - सर्वार्थसिद्धि)
४८
८०
उत्तराध्यायाः-१,२ (सटीक)
५० (२)
२३२
प्र. जैनविश्वभारती, लाडनू क. - विनयविजय उपा. टी. - धुरन्धरसूरिजी प्र. - वर्धमान ग्रन्थ प्रकाशन, पालीताणा टी. - कमलसंयम उपा. सं. - वज्रसेनविजयजी प्र. - भद्रंकर प्रकाशन, अमदावाद टी. - जयकीर्तिसूरिजी सं. - चन्दनबालाश्रीजी प्र. - भद्रंकर प्रकाशन, अमदावाद क. - मुक्तिविमल गणि सं. - धर्मतिलकविजयजी प्र. - स्मृतिमन्दिर प्रकाशन, अमदावाद क. - धर्मदास गणि टी. - सिद्धर्षि सं. - चन्दनबालाश्रीजी प्र. - श्रुतज्ञानप्रसारक सभा, अमदावाद
उपदेशप्रदीपः
४०
८६
उपदेशमाला (सटीक)
३८
७१
अनुसन्धान ५१
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________________
उपदेशमाला-बालावबोध
उपदेशमाला-बालावबोध - १, २
उपमितिकथोद्धारः
एक अभिवादन- ओच्छव : एक गोष्ठि
कथारत्नसागरः
कादम्बरी (सटीक)
कुमारपालचरित्रसंग्रहः
सं.- प्रद्युम्नसूरिजी कान्तिभाई शाह
प्र. - श्रुतज्ञानप्रसारक सभा, अमदावाद क. - सोमसुन्दरसूरिजी सं.- कान्तिभाई शाह
प्र. - प्राणगुरु सेन्टर, मुंबइ
क. - हंसरत्न गणि
सं. - मुनिचन्द्रसूरिजी
प्र. - ॐकारसूरि ज्ञानमन्दिर, सुरत
सं.- कान्तिभाई शाह
क. - नरचन्द्रसूरिजी
सं. - मुनिचन्द्रसूरिजी
प्र. - ॐकारसूरि ज्ञानमन्दिर, सुरत
क. - बाणभट्ट
टी. - भानुचन्द्र उपा., सिद्धिचन्द्र उपा. सं. - हितवर्धनविजयजी
प्र. - कुसुम-अमृत ट्रस्ट, वापी सं. - चन्दनबालाश्रीजी
प्र. - श्रुतरत्नाकर, अमदावाद
२४
२०
२०
१५
४६
३३
४६
१२२
११२
११२
१११
९५
९३
९६
जून २०१०
१३३
Page #138
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________________
कुम्मापुत्तचरियं
४९
१७७
कूर्मशतकद्वयम् (सानुवाद)
३८
७२
कैलास श्रुतसागर ग्रन्थसूची - १, २, ३ . गुर्जरसाहित्यसंग्रह - यशोवाणी
क. - जिनमाणिक्य सं. - चन्दनबालाश्रीजी प्र. - भद्रंकर प्रकाशन, अमदावाद क. - भोजदेव अं.अनु. - वी.एम. कुलकर्णी सं. - आर. पिशेल प्र. - L. D. प्र. - महावीर आराधना केन्द्र, कोबा क. - यशोविजय उपा. सं. - प्रद्युम्नसूरिजी प्र. - श्रुतज्ञानप्रसारक सभा, अमदावाद सं. - कीर्तियशसूरिजी प्र. - सन्मार्ग प्रकाशन, अमदावाद अनु. - सुलोचनाश्रीजी प्र. - जैन उपाश्रय, पीपरडी पोळ - अमदावाद क. - देवचन्द्र सं. - प्रद्युम्नसूरिजी
चतुःशरणप्रकीर्णक (सटीक)
चतुर्विंशतिजिनस्तवनम् (सानुवाद)
चन्द्रलेखाविजय
अनुसन्धान ५१
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________________
५० (१)
१५०
जून २०१०
५० (१)
१५३
५० (१)
१४७
१४७
जम्बुचरियं
क. - गुणपाल सं. - चन्दनबालाश्रीजी
प्र. - भद्रंकर प्रकाशन, अमदावाद जयन्तीप्रकरणवृत्ति
क. - मलया सं. - चन्दनबालाश्रीजी
प्र. - श्रुतज्ञानप्रसारक सभा, अमदावाद जिनरंगसूरिग्रन्थावली
सं. - विनयसागरजी
प्र. - M.S.P.S.G. जैन आगमोमां आवता प्राकृत विशेषनामोनो परिचय प्र. १०८ जैनतीर्थदर्शन ट्रस्ट, पालीताणा
कोश १,२ जैन काष्ठपट - चित्र
ले. - वासुदेव स्मार्त्त सं. - जगदीप स्मार्त
प्र. - ॐकारसूरि ज्ञानमन्दिर, सुरत जैन भाषादर्शन
क. - सागरमल जैन
प्र. - B. L. जैन विधिविधान सम्बन्धी साहित्य का बृहद् इतिहास क. - सौम्यगुणाश्रीजी
सं. - सागरमल जैन प्र. - प्राच्य विद्यापीठ, शाजापुर
१९
१३७
६५
१३५
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________________
जैन संस्कृत साहित्यनो इतिहास - १, २, ३
२९
१०४
जैनतर्कभाषा
५० (२)
२२९
८३
जैनदर्शन अने सांख्ययोगमां ज्ञान-दर्शन विचारणा जैनदर्शनमां नय
६७
क. - साल कापडीया सं. - मुनिचन्द्रसूरिजी प्र. - ॐकारसूरि ज्ञानमन्दिर, सुरत क. - यशोविजय उपा. टी. - उदयसूरिजी, सुखलालजी सं. - त्रैलोक्यमण्डनविजयजी प्र. - जैनग्रन्थ प्रकाशन समिति, खम्भात क. - जागृति शेठ क. - जितेन्द्र शाह प्र. - भो. जे. विद्याभवन, अमदावाद प्र. - जैनविद्या संस्थान क. - मोहनलाल देसाई सं. - मुनिचन्द्रसूरिजी प्र. - ॐकारसूरि ज्ञानमन्दिर, सुरत सं. - कीर्तिदा शाह, अभय दोशी प्र. - ज्ञानविमल प्रकाशन समिति क. - यशोविजय उपा. सं. - प्रद्युम्नसूरिजी, मालती शाह
२३१
जैनविद्याः नेमिचन्द्र विशेषांक जैनसाहित्यनो संक्षिप्त इतिहास
६२
ज्ञानविमलसझायसंग्रह
२४
१२०
ज्ञानसार-बालावबोध
७९
अनुसन्धान ५१
Page #141
--------------------------------------------------------------------------
________________
ज्ञानसार-स्तबक
३९
९८०
जून २०१०
तत्त्वचिन्तामणिः (टीका-सुखबोधिका)
९०
त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रम्
४३
८०
प्र. - श्रुतज्ञानप्रसारक सभा, अमदावाद सं. - प्रद्युम्नसूरिजी, मालती शाह प्र. - श्रुतज्ञानप्रसारक सभा, अमदावाद क. - गंगेशोपाध्याय
न वाचक सं. - नगीन शाह प्र. - M. L. B. D. क. - विमलाचार्य सं. - जिनेशचन्द्रविजयजी प्र. - जैन संघ, रांदेर रोड, सुरत क. - शय्यंभवसूरिजी टी. - तिलकाचार्य सं. - जिनेशचन्द्रविजयजी प्र. - जैन संघ, रांदेर रोड - सुरत सं. - हितेश पण्ड्या प्र. - हर्षदराय हेरिटेज, मुंबइ क. - यशोविजय उपा. वि. - धीरजलाल महेता
दशवैकालिक (सटीक)
२२६८
दिव्य-गहन जैन यन्त्र-मन्त्र-स्तोत्र
२८
___२८
१०३
१०५
द्रव्यगुणपर्यायनो रास (स्वोपज्ञटबो-विवेचन सहित)
९५
१३७
Page #142
--------------------------------------------------------------------------
________________
१३८
१
२५
३३
९२
५० (१)
१५१
प्र. - जैनधर्मप्रसारण ट्रस्ट, सुरत धर्मरत्नकरण्डक (टीका-स्वोपज्ञ)
क. - वर्धमानसूरिजी
सं. - मुनिचन्द्रसूरिजी धर्मशिक्षाप्रकरणम् (सटीक)
क. - जिनवल्लभसूरिजी टी. - जिनपाल उपा. सं. - विनयसागरजी
प्र. - प्राकृत भारती, जयपुर नयविंशिका
क. - अभयशेखरसूरिजी
प्र. - दिव्यदर्शन ट्रस्ट, धोळका नलचम्पू और टीकाकार महो. गुणविनय : एक अध्ययन क. - विनयसागरजी
प्र. - प्राकृतभारती, जयपुर नवतत्त्वसंवेदनप्रकरण
क. - अम्बप्रसाद सं. - धर्मतिलकविजयजी
प्र. - स्मृतिमन्दिर प्रकाशन, अमदावाद नियतिद्वात्रिंशिका (सविवेचन)
क. - सिद्धसेन दिवाकर वि. - भुवनचन्द्रजी प्र. - जैनसाहित्य अकादमी, गांधीधाम
२८
१०२
८६
२१
६६
अनुसन्धान ५१
Page #143
--------------------------------------------------------------------------
________________
निर्ग्रन्थ : हरिवल्लभ भायाणी विशेषांक
६६
जून २०१०
निर्ग्रन्थ ऐतिहासिक लेख समुच्चय-१, २
११४
५६
निर्ग्रन्थस्तोत्रमणिमंजूषा न्यायसिन्धुः
८०
पंचग्रन्थिव्याकरण
सं. - मधुसूदन ढांकी, जितेन्द्र शाह प्र. - S.C. क. - मधुसूदन ढांकी प्र. - S.C. सं. - जितेन्द्र शाह क. - नेमिसूरिजी सं. - कीर्तित्रयी प्र. - जैनग्रन्थप्रकाशन समिति, खंभात क. - बुद्धिसागरसूरिजी सं. - नारायण कंसारा प्र. - B.L. क. - हरिभद्रसूरिजी अं. - भुवनचन्द्रजी सं. - कीर्तित्रयी प्र. - भद्रंकरोदय ट्रस्ट, गोधरा सं. - कान्तिभाई शाह प्र. - श्रुतज्ञानप्रसारक सभा, अमदावाद
३५
८५
पंचसूत्रकम् (सपद्यानुवाद)
३९
९९
पण्डित वीरविजयजी स्वाध्याय ग्रन्थ
९
१००
१३९
Page #144
--------------------------------------------------------------------------
________________
पत्रमा तत्त्वज्ञान (विवेचनात्मक)
४२
७९
परमपददायी आनन्दघन पदरेह - १, २ ।
३६
६०
परम्परागत प्राकृतव्याकरण-समीक्षा और अर्धमागधी
८
१२२
पाइअभाषाओ अने साहित्य
३६
६३
क. - यशोविजय उपा. वि. - धुरन्धरसूरिजी प्र. - श्रुतज्ञानप्रसारक सभा, अमदावाद क. - खीमजीभाई सं. - मुक्तिदर्शनविजयजी प्र. - गुजराती जैन संघ, अन्धेरी-मुम्बई क. - के. आर. चन्द्रा प्र. - प्राकृत विद्याविकास फंड, अमदावाद क. - हीरालाल कापडीया सं. - मुनिचन्द्रसूरिजी प्र. - ॐकारसूरि ज्ञानमन्दिर, सुरत । सं. - लक्ष्मणभाई भोजक प्र. - M.L.B.D. क.- अरुणा आनन्द प्र. - M.L.B.D. क. - नित्यानन्द शास्त्री सं. - सोमचन्द्रसूरिजी, विनयसागरजी प्र. - M.S.P.S.G.
पाटण जैन धातुप्रतिमा - लेखसंग्रह
पातंजलयोग एवं जैनयोग का तुलनात्मक अध्ययन
पुण्यचरितमहाकाव्यम्
५० (१)
अनुसन्धान ५१
Page #145
--------------------------------------------------------------------------
________________
प्रतिष्ठालेखसंग्रह-२
१०२
जून २०१०
प्रबुद्धरौहिणेयम् (सानुवाद)
९०
प्रश्नोत्तरैकषष्टिशतककाव्यम् (सटीक)
१४८
सं. - विनयसागरजी
२८ प्र. - प्राकृतभारती, जयपुर क. - रामचन्द्रसूरिजी
२३ गुज. अनु. - शीलचन्द्रसूरिजी प्र. - जैनसाहित्य अकादमी, गांधीधाम क. - जिनवल्लभसूरिजी
५० (१) टी. - पुण्यसागर उपा. सं. - सोमचन्द्रसूरिजी, विनयसागरजी प्र. - M.S.P.S.G. क. - नरचन्द्रसूरिजी
१ सं. - शीलचन्द्रसूरिजी क. - मोहनलाल देशाई सं. - जयन्त कोठारी प्र. - L.D. प्र. - अपभ्रंश साहित्य अकादमी
१६ सं. - शीलचन्द्रसूरिजी, रूपेन्द्रकुमार पगारिया ४८ प्र. - P.T.S.
प्राकृतप्रबोध
२६
प्राचीन मध्यकालीन साहित्यसंग्रह
२३५
६७
२२९
बारहक्खरकक्क बृहत्कल्पचूर्णि-१ (पीठिका)
८०
888
Page #146
--------------------------------------------------------------------------
________________
भगवतीचूर्णि
१११
भारतीय तत्त्वज्ञान
५० (१)
१४५ १५१
भारतीय संस्कृतिनो आत्मा
२३२
मंगलवादसंग्रह
८०
मणिधारी श्रीजिनचन्द्रसूरि, दादा श्रीजिनकुशलसूरि
८०
सं. - रूपेन्द्रकुमार पगारिया
२० प्र. - L.D. क. - नगीनभाई शाह प्र. - १०८ जैनतीर्थदर्शन ट्रस्ट, पालीताणा ५० (१) क. - कुमारपाल देसाई
५० (२) प्र. - वर्ल्ड जैन फेडरेशन, मुंबइ सं. - वैराग्यरतिविजयजी प्र. - प्रवचन प्रकाशन, पूना क. - अगरचन्द नाहटा, भंवरलाल नाहटा ४३ सं. - विनयसागरजी प्र. - प्राकृतभारती, जयपुर सं. - जयन्त कोठारी क. - हरिभद्रसूरिजी सं. - सलोनी जोषी सं. - हरिवल्लभ भायाणी प्र. - गुजरातसाहित्य अकादमी, गांधीनगर क. - प्रद्युम्नसूरिजी
२१ सं. - धुरन्धरसूरिजी, अमृतलाल भोजक
मध्यकालीन गुजराती शब्दकोश मल्लिनाथचरित्र
मुक्तकरत्नकोश
१३७
मूलशुद्धिप्रकरण-१, २
अनुसन्धान ५१
Page #147
--------------------------------------------------------------------------
________________
मेरुतुंग-बालावबोध-व्याकरण मोहोन्मूलनवादस्थलम्
प्र. - श्रुतनिधि, अमदावाद सं. - नारायण कंसारा क. - अजितदेवसूरिजी सं. - जयसुन्दरसूरिजी, महाबोधिविजयजी क. - स्मितप्रज्ञाश्रीजी
१० १
१०८ २९
जून २०१०
११०
युगप्रधान आचार्य श्रीजिनदत्तसूरि का जैन धर्म एवं
साहित्य में योगदान राउलवेल रात्रिभोजनत्याग आवश्यक क्यों ?
१
३० ११७
वस्तुपाल - तेजपाल राससंग्रह विधिमार्गप्रपा
४६
८३
सं. - हरिवल्लभ भायाणी क. - स्थितप्रज्ञाश्रीजी प्र. - पार्श्वनाथ विद्यापीठ सं. - महाबोधिविजयजी क. - जिनप्रभसूरिजी सं. - सौम्यगुणाश्रीजी प्र. - महावीरस्वामी देरासर, मुंबइ क. - हरजी मुनि सं. - कान्तिभाई शाह प्र. - गुजराती सा. परिषद, अमदावाद क. - हसु याज्ञिक
विनोदचोत्रीसी
४१
५६
विश्वसाहित्यमा वार्ता - ढूंकी वार्ता
१५
११०
Page #148
--------------------------------------------------------------------------
________________
वैभव और वैराग्य
४३
८०
व्यवहारभाष्य (सानुवाद)
२९
१०४
व्यवहारभाष्य व. शतक (सविवेचन)
८ २१
१२७ ६६
क. - राकेश पाण्डेय प्र. - प्रसारण मन्त्रालय, दिल्ली क. - संघदास गणि अनु. - दुलहराज प्र. - जैनविश्वभारती, लाडनू प्र. - जैनविश्वभारती, लाडनू क. - देवेन्द्रसूरिजी वि. - रम्यरेणु प्र. - भीलडीयाजी तीर्थ क. - हरिभद्रसूरिजी अं.अनु. - के. के. दीक्षित प्र. - L.D. क. - शुभशील गणि अनु. - विनयसागरजी प्र. - प्राकृतभारती, जयपुर क. - सोमप्रभाचार्य अनु. - मृगेन्द्रविजयजी प्र. - इमेज, अमदावाद
शास्त्रवार्तासमुच्चय (सानुवाद)
२३
८८
शुभशीलशतक-१ (सानुवाद)
३३
९२
शृंगारवैराग्यतरंगिणी (सानुवाद)
अनुसन्धान ५१
Page #149
--------------------------------------------------------------------------
________________
श्रमण भगवान महावीर
२०
११३
जून २०१०
श्रेणिकचरित्र (ट्याश्रय) (सटिप्पण)
श्वेतपटता क्रियते मया
षोडशक (सटीक, सानुवाद)
४६
९५
क. - कल्याणविजयजी प्र. - S.C. क. - जिनप्रभसूरिजी सं. - हेमगुणाश्रीजी, दिव्यगुणाश्रीजी क. - अजितदेवसूरिजी सं. - जयसुन्दरसूरिजी, महाबोधिविजयजी क. - हरिभद्रसूरिजी टी. - यशोभद्रसूरिजी, यशोविजय उपा. अनु. - मित्रानन्दसूरिजी प्र. - पद्मविजयजी ग्रन्थमाला, अमदावाद क. - सुधाकलश गणि सं. - Allyn Miner प्र. - M.L.B.D. क. - नेमिसूरिजी सं. - कीर्तित्रयी प्र. - जैनग्रन्थप्रकाशन समिति, खंभात क. - अभयशेखरसूरिजी प्र. - दिव्यदर्शन ट्रस्ट, धोळका
संगीतोपनिषत्सारोद्धारः
२१
६५
सप्तभंगीप्रभा
४१
५६
सप्तभंगीविंशिका
Page #150
--------------------------------------------------------------------------
________________
समणसुत्तं (सानुवाद)
१४६
समवसरणसाहित्यसंग्रह
सागरविहंगमः (सानुवाद)
साधुमर्यादापट्टकसंग्रह
१०२
सिद्धहेमढुंढिका-१, २
अनु.- भुवनचन्द्रजी प्र. - यज्ञ प्रकाशन, वडोदरा सं. - धर्मतिलकविजयजी प्र. - स्मृतिमन्दिर प्रकाशन, अमदावाद अनु. - कल्याणकीर्तिविजयजी सं. - कीर्तित्रयी प्र. - भद्रंकरोदय ट्रस्ट, गोधरा सं. - महाबोधिविजयजी
२८ प्र. - जिनशासन ट्रस्ट, मुंबई सं. - विमलकीर्तिविजयजी प्र. - K.H. सं. - धर्मकीर्तिविजयजी, त्रैलोक्यमण्डनविजयजी ५०(१) प्र. - K.H. क. - विजयसिंहसूरिजी
१८ सं. - शीलचन्द्रसूरिजी प्र. - P.T.S. सं. - सलोनी जोषी प्र. - L.D.
४६
सिद्धहेमलघुवृत्त्युदाहरणकोशः
१५६
सिरिभुयणसुंदरीकहा
२७६
सुदंसणाचरियं
अनुसन्धान ५१
Page #151
--------------------------------------------------------------------------
________________
सुभाषितसंग्रहसमुच्चयः
५७
जून २०१०
सुमइनाहचरियं
१०३
सूर्यसहस्रनामसंग्रहत्रयम्
सेतुबन्ध
सं. - नीलांजना शाह प्र. - K.H. क.- सोमप्रभाचार्य सं. - रमणीक शाह प्र. - P.T.S. सं. - धर्मधुरन्धरसूरिजी प्र. - जैनविद्या शोध संस्थान, ओस्तरा सं. - शीलचन्द्रसूरिजी प्र. - K.H. क. - प्रभान टी. - परमानन्दसूरिजी सं. - कीर्तियशसूरिजी प्र. - सन्मार्ग प्रकाशन,अमदावाद क. - देवविमल गणि सं. - रत्नकीर्तिविजयजी प्र. - जैनग्रन्थ प्र. समिति, खंभात
हितोपदेश (सटीक)
२९
१०३
हीरसुन्दरमहाकाव्य-२
३३
९६
१४७
Page #152
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभाग-२
Publication A Reference Manuel of Middle
Prakrit-Grammer
Information Au. - Frank Van Den Bossche Pu. - Gent Uni., Gent
Anu.
16
Page 232
85
47
48
113
71
A Study of Jayanta Bhatta's
Au. - Nagin Shah Nyāyamañjari : 2 A Study of the Bhagavati Sutra
Au. - Suzuko Ohira Avasyaka-Studies
Au. - Nalini Balbir Bhakatāmara (With Tra.)
Pu. - A Divine Pub., Chicago Catalogue of the Jain Manuscripts of Ed. - Nalini Balbir etc. the British Library-1, 2, 3
Pu. - British Lib., London Dr. Harivallabh Bhayani : A man of Letters Ed. - Mahesh Dave, Ramesh Oza
Pu. - Image, Mumbai Handbook to the Vachanāmstam Hemachandra
Pu. - Oxford Uni., USA History & Development of Prakrit Literature Au.- Jagadishchandra Jain Indian Kāvya Literature
Ed.-A. K. Vorder
67
110 113
35
अनुसन्धान ५१
Page #153
--------------------------------------------------------------------------
________________
Jain Temples
Jaina Theory of Multiple Facets of Reality
and Truth
Jainism and the New spirituality
Lord Swāminārāyaṇ: an Introduction
Ludwing Alsdorl & Indian Studies Maerials for an edition and study of
the Pinda and Ohanijjuttis.
Nani Rayan
On the Shalibhadra-Dhanna-Carita Osiaji
Restoration of the Original Language of Ardhamāgadhi Texts.
Scripture and Community
Au. - L. M. Singhavi
Pu. - Himalayan Books, Delhi Ed. - Nagin Shah
Pu.-M. L. B. D.
Au. - Vastupal Parikh Pu. - Peace Pub., Toronto Au. - Mukundcharandas
Ed.- Klaus Bruhn etc.
Au. Willem Bollee
Au. Pulin Vasa
Pu.-K. H.
Ed.- Ernst Bender Au.
Pu. - L.D.
Au. K. R. Chandra
Ravindra Vasavada
Au. - L. M. Singhavi Pu. - Himalayan Books, Delhi
21
21
23
15
is
5
3
41
3
23
5
21
66
64
89
110
86
46
57
45
89
60
66
जून २०१०
१४९
Page #154
--------------------------------------------------------------------------
________________
Study of Variants & Reediting of Older Ardhamagadhi Texts
The Clever Adulteress : A Treasury of Jain Literature
The Harivijaya of Sarvasena. Viyahapannatti
When did the Buddha Live ?
एरिख क्राउवाल्नर्झ पोस्थ्युमस एसेझ
(अनूदित)
धेट ह्विच इझः तत्त्वार्थसूत्र ( अनूदित )
Au. - K. R. Chandra
Ed. - Filis Grenof
Au. - V. M. Kulkarni Au.- Jozef Delen
Pu. - De Tempel, Beljil
Ed. - Heinz Berchert ले. - फ्राउवाल्नर
अनु. - जयेन्द्र सोनी
अनु. - नथमल टाटिया
1
3
3
16
10
4
4
34
49
49
233
112
91
92
१५०
अनुसन्धान ५१
Page #155
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभाग-३ प्रकाशन-सम्पादन वगेरेनी माहितीनां स्थान
जून २०१०
पृष्ठ
अनु.
पृष्ठ
२२-४२
३६
२७६, २७७
६४-६७
८३
३८
५९-६३ ७१, ७२ ९८-१०० ८६-८८
४५-५१
६६-६८
३९
८९-९३
४०
८५-८७
४१
५६, ५७
१२७
22
७९, ८०
८८-९० १२०-१२२
१०९
१३१ १०२, १०३ १०३, १०४
४३
४६
८०, ८२ ९५, ९६
८०
४८
११३ ११२-११४ ११५, ११६ ११५, ११६ ११०-११२ २२७-२३४
६७
१७७
९०-९५
१४५-१५६
२३२
८३-८५
५० (२)
Page #156
--------------------------------------------------------------------------
________________
१५२
अनुसन्धान ५१
४. आवरणचित्र
।
।
।
।
७०
१०९
१
अनु. टाइटल नाम
परिचय पृष्ठ १ पं. दलसुखभाई मालवणिया १ हरिवल्लभ भायाणी
सरस्वतीदेवी (पोथीचित्र) वसुधाराचित्रपट - पं. दीपविजय-आलिखित समुद्रबन्धचित्रकाव्यपट - पं. दीपविजय-आलिखित ११ मल्लिनाथनी स्त्रीदेहप्रतिमा सरस्वतीदेवीप्रतिमा - वरमाण
सरस्वतीदेवी (पोथीचित्र) १ सरस्वतीदेवी - १९मा शतकनुं चित्र
सुशोभनचित्र - पोथी पर चितरेलु १-४ काष्ठशिल्प - खम्भात १ मंगलकलश - पोथीचित्र
साध्वीप्रतिमा गुरुमूर्ति - भद्रेश्वर, सं. १३३३
७४ गुरुमूर्ति - भद्रेश्वर, सं. १३३१ धातुप्रतिमा - सं. १५७४-अग्रभाग धातुप्रतिमा - सं. १५७४-पृष्ठभाग धातुप्रतिमापरिकर - अग्रभाग धातुप्रतिमापरिकर - पृष्ठभाग ज्ञानसारजी
सरस्वतीदेवी - अग्रभाग ४ सरस्वतीदेवी - पार्श्वभाग १ मल्लिनाथस्त्रीप्रतिमा - अग्रभाग
४ मल्लिनाथस्त्रीप्रतिमा - पृष्ठभाग ३९ १-४ पोथीचित्र - जैनमुनि द्वारा चित्रित
0
0
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Page #157
--------------------------------------------------------------------------
________________
जून २०१०
४०
४१
४२
४३
४४
४५
४६
४७
४८
४९
५० (१)
५० (२)
१
४
१
१
१
१
४
१
४
१-४
१-४
१
४
१
१
४
१
४
कल्पव्याख्यान करतां जिनचन्द्रसूरिजी : मांडवी, खरतरगच्छसंघ भण्डार, ताडपत्र कल्पश्रवण करतो श्रीसंघ :
मांडवी, खरतरगच्छसंघ भण्डार, ताडपत्र
शालिभद्रसूरिजी व. साधुओनी चित्रपट्टिका
लोकपुरुष
सूर्यशिल्प
धातुप्रतिमा- सं. १२४४ अग्रभाग धातुप्रतिमा-सं. १२४४ कर्नल टोड-ज्ञानचन्द्रयति
पृष्ठभाग
कर्नल टोड-ज्ञानचन्द्रयति
विविध धर्मसम्प्रदायना साधुओ
मधुबिन्दु
नारीअश्व पर सवार श्रीकृष्ण चक्राकारे रास लेतो पुरुष
जिनप्रतिमा
पद्मावतीदेवी
काष्ठप्रतिमा
पित्तलनी दीपदानी
हेमचन्द्राचार्य
जम्बूविजयजी
-
-
१५३
हाथीना होद्दे
अध्ययन करता
५५
७६
३९
६ (आगळनुं)
६ (आगळनुं)
११२
११२
८ ( आगळनुं)
५६
५ (आगळनुं)
५ (आगळनुं)
९७
४ ( आगळनुं) ४ (आगळनुं)
Page #158
--------------------------------------------------------------------------
________________
१५४
व्यक्तिनाम
चन्द्रभाल त्रिपाठी
अर्नेस्ट बेन्डर
मधुसेन
र. ना. महेता
रमेश मालवणिया
गोवर्धन पंचाल
दलसुख मालवणिया
अमृतलाल भोजक
भंवरलाल नाहटा
मकरन्द दवे
लक्ष्मणभाई भोजक
५. अवसान-नोंध (११)
अनु.
७
७
७
८
८
९
१६
१६
२०
३२
३२
अनुसन्धान ५१
पृष्ठ
१३१
१३१
१३२
१३५
१३५
११६
२४५
२४७
११५
१०१
१०१
Page #159
--------------------------------------------------------------------------
________________ जून 2010 155 6. अनुसन्धाननी तवारीख वर्ष (ई.स.) अंक-क्रमांक 1993 1994 2, 3 1995 1996 1997 1998 8, 9, 10 11, 12 13, 14, 15 1999 2000 16, 17 2001 18 2002 2003 2004 27, 2005 2006 19, 20, 21 22, 23, 24, 25, 26 29, 30 33, 34 35, 36, 37 38, 39, 40, 41, 42 43, 44, 45, 46 47, 48, 49 50 (1, 2) 2007 2008 2009 2010