________________
अनुसन्धान ५१
सम्पादनखण्ड - कृतिओमां भाषाविभाग अने पद्य-गद्यविभाग प्राधान्यने अनुलक्षीने करवामां
आव्यो छे. पूर्वकालीन-अपभ्रंश भाषानी कृतिओने प्राकृतविभागमां अने
उत्तरकालीन-अपभ्रंश भाषानी कृतिओने गुजरातीविभागमा समावाई छे. - ते ते कृतिने लगती अन्य विगत अनु. ना ज कोईक अंकमां प्रकाशित
थई होय तो ते अनु. क्रमांक अने पृष्ठांक टिप्पणीमां नोंधवामां आव्या छे. (दा.त. २१.४७ = २१मां अनु. नुं ४७मुं पार्नु) आमां पत्रोनो समावेश नथी कर्यो, पण पत्रो साथे ज ते शेना विशे छे ते जणावी दीधुं छे. आ उपरान्त ते ते कृति जे अनु.मां होय ते अनु.नुं विहंगावलोकन अवश्य जोवू. आ
प्रमाणे अन्य खण्डोमां पण जाणवू. - जे कृतिनी बाजुमां * संज्ञा करेली छे, ते कृतिओ अन्यत्र पण प्रकाशित
थई होवानुं पछीथी जाणवा मळ्युं छे. ५० अंकोमा कुल मळीने ४३२ कृतिओ सम्पादित-प्रकाशित थई छे. तेमां १० कृतिओ अनवधानवश बे वखत छपाई छे. (अनु.मां 'पाण्डवचरित्र' सिवाय जे कृतिनो स्थाननिर्देश बे वार को होय ते बे वखत छपाई होवानुं समजवू.) लाभोदयरासनी एक वार खण्डितवाचना अने बीजीवार पूर्णवाचना छपाई छे. आम कुल ११ अंक बाद करतां ४२१ कृति सम्पादित थई छे. ३६३ पाखण्डी स्वरूपस्तोत्र एकवार मूळमात्र अने बीजीवार अवचूरि साथे छपायुं होवाथी अलग गणेल छे.