SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 76
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २३ ६३ ५० (२) १३४ ७६ ३३ १५ 0:00 २४ १८ रतनगरु गुण मीठडा रे राज काज गुण आगलो राजगृही रलियामणी जिहां राजगृही रलियामणी जिहां रे जिनेस्वर साहिबा माहरी वंछितपूरण मनोहरूं वंदउ श्रीविजयसेनसूरिराय वरसइ पुक्खरावरं तसु मेहा विजयवंत पुष्कलावती रे विणजारा रे सरसति करउ पसाउ वीर जिणंद वखाणियोजी वीर जिणंद समोसर्याजी वीर जिणेसर थया केवली वीरजिननइं करुं प्रणाम वीरविजणेसर त्रिभुवनि चंद वीरा सुत....सोल सोलत्तरइ वृषभलंछन आदि जिणंद शासनदेवति नमउं तुम्ह शीतलनीर समीर ससिच्छवि रतनगुरुरास गूढार्थ-दोहाओ गौतमगणधर-भास गौतमगणधरभास साधारणजिनस्तवन रागमाला-शान्तिनाथस्तवन विजयसेनसूरिगीत उपदेशकुशलकुलक सीमन्धरजिन-चन्द्राउला दानसूरिभास जिनप्रतिमापूजा-स्वाध्याय मेघकुमारगीत निह्नवविचारसज्झाय सुधर्मस्वामीनो रास हीरविजयसूरिनी सज्झाय शाहवीराना सुकृतवर्णननी प्रशस्ति-चउपइ चोवीशजिननमस्कार (अष्टमीमाहात्म्य) भावलक्ष्मीसाध्वीजी-धुलबन्ध सिलोकानन्दकवित्व ४२ ४६ ३५ ६२ २७ ५८ ६०० ९७ ५ ५ ५० (२) ४४ ३६ ११७ अनुसन्धान ५१
SR No.520552
Book TitleAnusandhan 2010 06 SrNo 51
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2010
Total Pages159
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size1 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy