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अनुसन्धान ५१
माहिती :
नवां प्रकाशनो १. धर्माभ्युदयमहाकाव्यम् - कर्ता : श्रीउदयप्रभसूरि. सं. मुनिश्रीचतुरविजयजीपुण्यविजयजी. प्र. सिंघी ग्रन्थमाला, ई. १९४९. । नूतन संस्करण : सं. साध्वी चन्दनबालाश्री, प्र.भद्रंकर प्रकाशन, अमदावाद, ई. २०१०
गुजरातना महामन्त्री संघपति वस्तुपालना चरित्रवर्णनात्मक आ महाकाव्यनी रचना मन्त्रीना जीवनकाल दरम्यान ज थई हती, अने तेनी प्रथम नकल स्वयं वस्तुपाले स्वहस्ते लखी हती, जे खम्भात-भण्डारमा आजे पण विद्यमान छे. आमां मुख्यत्वे संघपति तरीके वस्तुपाले करेल संघयात्राना प्रसंगे, श्रीऋषभदेव (शत्रुञ्जय) अने श्रीनेमिनाथ (उज्जयन्त)नां चरित्रो विषे तेमनी जिज्ञासाना जवाबमा थयेल विस्तृत वर्णन करवामां आवेल छे. प्रान्तभागे त्रणेक परिशिष्टो तो पूर्वसम्पादको द्वारा अपायां ज छे, उपरांत नवीन सम्पादिका द्वारा वधु सातेक परिशिष्टो मूकवामां आव्यां छे.
२. धर्मकल्पद्रुममहाकाव्यम् - कर्ता : उदयधर्मगणि. सं. शास्त्री जेठालाल हरिभाई, प्र. जैन धर्मप्रसारक सभा, भावनगर, ई. १९२८ नूतन संस्करण : सं. साध्वी चन्दनबालाश्री, प्र.भद्रंकर प्रकाशन, अमदावाद, ई. २०१०
धर्मनुं माहात्म्य वर्णवतो काव्यग्रन्थ. पूर्व प्रकाशनने यथावत् राखी, तेमां केटलांक नवां परिशिष्टो उमेरीने थयेल पुनः प्रकाशन. प्राचीन प्रकाशित पण हाल दुर्लभ्य बनेल ग्रन्थोना पुनः प्रकाशननो आ उपक्रम अनुमोदनीय छे. विशेषता ए छे के पूर्व-संस्करणनी प्रस्तावना वगेरे आमां पण जेमनां तेम राखवामां आवेल छे. पूर्वना सम्पादकोने अन्याय न थाय तेवी आ पद्धति इच्छवा योग्य छे.
३. प्राचीनश्रुतसमुद्धारपद्ममाला - ग्रन्थो १ थी २७ (प्रथम सम्पुट). श्री दशवैकालिकसूत्र वगेरे विविध पूर्व-प्रकाशित जैन आगमो - प्रत-आकारे,तथा १ ग्रन्थ पुस्तकाकारे.
विशेषता : विदेशथी खास मेळववामां आवेला किंमती अने टकाऊ