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वाचक उमास्वातिजीना पद्य विशे' (रूप्यकच्चोलकस्थेन...) महाबोधिविजयजी वाचक उमास्वातिजी- एक वधु पद्य (परिभवसि किमिति लोकम्...) शीलचन्द्रसूरिजी धर्मसार
शीलचन्द्रसूरिजी केटलांक प्रसिद्ध पद्योनां समान्तर जूनां स्वरूप
शीलचन्द्रसूरिजी एक गाथाना पाठ विशे (न दुक्करं अंबयलुंबितोडणं)
शीलचन्द्रसूरिजी तूतीनामा-नां बे जैन चित्रो
शीलचन्द्रसूरिजी अपभ्रंश छन्द भ्रूवक्रणक
हरिवल्लभ भायाणी झंबडक-गीत
हरिवल्लभ भायाणी उद्दामदण्डक छन्दनुं एक प्राकृत उदाहरण
हरिवल्लभ भायाणी बे प्राचीन सुभाषितो उत्तरकालीन साहित्यमां'
हरिवल्लभ भायाणी मूलशुद्धिवृत्ति-मांनुं एक सुभाषित - वाया सहस्समइया
हरिवल्लभ भायाणी एक कहेवतरूप उक्तिनुं पगेरुं -दियहाइं पंच दह वा जोव्वणं हरिवल्लभ भायाणी नीलीराग-जैन
हरिवल्लभ भायाणी सातवाहनकशास्त्र
हरिवल्लभ भायाणी पुष्पदूषितक, नन्दयन्ती, भद्राभामिनी ।
हरिवल्लभ भायाणी वाचक उमास्वाति (?)- वधु एक पद्य (शौचमाध्यात्मिकं त्यक्त्वा....) शीलचन्द्रसूरिजी शुं आ गप्पुं गणाय ?
शीलचन्द्रसूरिजी २) ५.५४ ३) ५.५४ ४) तिक्खा तुरिअ न माणिआ, किवणाणं धणं णाआणं
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अनुसन्धान ५१