Book Title: Vidaai ki Bela Author(s): Ratanchand Bharilla Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur View full book textPage 4
________________ एक प्रेरक पत्र ५०१.०० प्रस्तुत संस्करण की कीमत कम करने वाले दातारों की सूची १. श्रीमती चन्द्रावतीबाई हीरालालजी काला, बड़नगर १,०००.०० २. श्रीमती पुष्पाबाई मिश्रीलालजी वैद, बड़नगर १,०००.०० ३. श्रीमती पुष्पाबाई पवनकुमारजी काला, बड़नगर १,०००.०० ४. श्रीमती अनिताबाई नरेन्द्रजी पाटोदी, बड़नगर १,०००.०० ५. श्री बाबूलाल तोतारामजी जैन, भुसावल ५०१.०० ६. श्रीमती पतासी देवी ध.प. श्री इन्द्रचंदजी पाटनी, लाडनूं ५०१.०० ७. श्रीमती प्रभावती देवी पाटनी, जयपुर ५०१.०० ८. श्री नवरतनलालजी जैन, केलवाड़ा ५०१.०० ९. श्री भागचन्दजी जैन, केलवाड़ा ५०१.०० १०. श्री बाबूलाल राजेन्द्रकुमारजी जैन, केलवाड़ा ५०१.०० ११. डॉ. राजमलजी जैन, कोलारस ५०१.०० १२. श्री गुलाबचन्दजी पदमचंदजी जैन, पीसांगन ५०१.०० १३. श्री छीतरमलजी जैन, पीसांगन ५०१.०० १४. श्रीमती सरितादेवी मुसरफ तेजपुर ५०१.०० १५. श्री महावीरकुमारजी जैन, जयपुर ५०१.०० १६. जैन महिला मण्डल, लकड़वास १७. डॉ. अमरचन्दजी जैन, फुटेरा (दमोह) ५०१.०० १८. श्री रामकिशन ताराचंदजी जैन, गुढ़ाचन्द्रजी ५०१.०० १९. श्री नीरज जैन पुत्र श्री रामकुमारजी जैन, खतौली ५०१.०० २०. श्रीमती सरला जैन ध.प. श्री रामकुमारजी जैन, खतौली ५०१.०० २१. श्री राजेशकुमारजी जैन, खतौली ५०१.०० २२. श्री माँगीलाल अर्जुनलालजी छाबड़ा, इन्दौर २५१.०० २३. श्री शान्तिनाथजी सोनाज, अकलूज २५१.०० २४. श्री अजितकुमार शान्तिनाथजी सोनाज, अकलूज २५. श्री चन्द्रकान्त शान्तिनाथजी सोनाज, अकलूज २५१.०० २६. श्री उदयकुमार शान्तिनाथजी सोनाज, अकलूज २५१.०० २७. श्री मयूरभाई एम. सिंघवी, मुम्बई २५१.०० २८. श्रीमती रश्मिदेवी वीरेशजी कासलीवाल, सूरत २५१.०० २९. स्व. ऋषभकुमार जैन पुत्रश्री सुरेशकुमारजी जैन, पिड़ावा २५१.०० ३०. श्री बाबूलालजी जैन, कुचड़ौद २५१.०० ३१. ब्र. कुसुमताई पाटील, कुंभोज २५१.०० ३२. श्रीमती श्रीकान्ताबाई ध.प. श्री पूनमचन्दजी छाबड़ा, इन्दौर २०१.०० ३३. श्रीमती नीलू ध.प. श्री राजेशकुमार मनोहरलालजी काला, इन्दौर २०१.०० ३४. स्व. धापूदेवी ध.प. स्व. ताराचन्दजी गंगवाल की पुण्य स्मृति में, जयपुर १५१.०० ३५. श्रीमती पानादेवी मोहनलालजी सेठी, गोहाटी १०१.०० कुल राशि १५,६८१.०० Dr. Vishnu Saxena DAYAL CLINIC:TAHSHIL ROAD GENERAL PHYSICIAN SIKANDRA RAO (ALIGARH)204215 STDCODE:05725PHONE:44380 श्रद्धेयास्पद चरणवन्दन। मेरे 'चरणवन्दन' लिखने पर आप अवश्य विस्मित होंगे। लेकिन आप मेरे लिए सर्वथा वन्दनीय इसलिए हैं कि एक तो आप मेरी पिता की आयु के हैं, दूसरे योग्यता में मुझ नगण्य से कई गुना अधिक हैं। शायद आपको ध्यान हो मेरी आपकी भेंट गतवर्ष मेरठ में शाकाहार मेले में आयोजित कवि सम्मेलन मंच पर हुई थी। मैं भी एक कवि के रूप में बैठा था; तब आपने हम सभी कवियों को अपनी लिखी हुई कुछ पुस्तकें भेंट की थीं। ___उन पुस्तकों को लाकर मैंने अपनी लाइब्रेरी में सजा दिया। सोचा कभी फुरसत होगी तो पहँगा। कवि सम्मेलनीय तथा चिकित्सकीय व्यस्तताओं में वर्ष भर उलझा रहा, बरसात में मैंने आपकी उन किताबों का अध्ययन किया। एक तो अभी भी पढ़ रहा हूँ। ___ पुस्तकें क्या हैं! ये तो ज्ञान का सहज भण्डार हैं। मैं तो जैनदर्शन से पहले से भी प्रभावित था। आपकी पुस्तकें पढ़ने के उपरान्त तो यह आस्था और अधिक बलवती हो गयी है। सभी पुस्तकें अत्यधिक सरल भाषा में लिखी गई हैं। जो जनसामान्य को भी संस्कारित करती हैं। जैन साहित्य के लिए आपकी ये पुस्तकें एक अनमोल निधि हैं। मैं कायस्थ कुल में पैदा अवश्य हुआ हूँ। लेकिन आरम्भ से ही कुछ ऐसा प्रभाव रहा कि कोई व्यसन पास नहीं आ सका। आपके इस सद्लेखन के लिए, आपको बधाई! 'संस्कार', 'विदाई की बेला' बहुत ही प्रेरणादायी है। आदरणीय हुकमचन्दजी भारिल्ल की 'आप कुछ भी कहो' ने भी पूरे परिवार को झकझोर दिया। उन्हें भी मेरी बधाई प्रेषित कर दें। आभार, शुभम् आपका ही... आशा है सानन्द होंगे। डॉ. विष्णु सक्सेना २४-८-९६ प्रति, विद्वत्वरेण्य पण्डित रतनचन्दजी भारिल्ल प्राचार्य, श्री टोडरमल दि. जैन सिद्धान्त महाविद्यालय, जयपुर २५१.००Page Navigation
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