Book Title: Vidaai ki Bela Author(s): Ratanchand Bharilla Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur View full book textPage 2
________________ : ६३ हजार ८०० हिन्दी: प्रथम ग्यारह संस्करण (२६ जनवरी ९२ से अद्यतन) बारहवाँ संस्करण (१९ जून, २००७) ३ हजार ११ हजार ३०० २हजार मराठी: प्रथम तीन संस्करण (२४ अक्टूबर, ९३ से अद्यतन) चतुर्थ संस्करण (१७ सितम्बर, २००५) गुजराती : प्रथम संस्करण (१२ नवम्बर, १९९३) द्वितीय संस्करण (१७ सितम्बर, २००५) ३ हजार ५०० २ हजार प्रकाशकीय (प्रथम संस्करण) साहित्य को समाज का दर्पण कहा जाता है; पर यह नहीं भूलना चाहिए कि साहित्य मात्र दर्पण नहीं, दीपक भी है, मार्गदर्शक भी है। साहित्य के क्षेत्र में आज कथासाहित्य ही सर्वाधिक लोकप्रिय विधा है। सत्य और तथ्य को जन-जन तक पहुँचाने का इससे सशक्त और सुलभ माध्यम अभी तक कोई दूसरा विकसित नहीं हो सका। जैन साहित्य में आज इसप्रकार के कथा साहित्य की महती आवश्यकता है, जो आधुनिक संदर्भ में उपयोगी हो और जैन तत्त्वज्ञान को जनरुचि के अनुरूप ऐसी सरल-सुबोध भाषा-शैली में प्रस्तुत करता हो, जिससे पाठक तत्त्वज्ञान से परिचित और प्रभावित हों तथा अध्यात्म को अंगीकार कर धर्मलाभ से लाभान्वित होते रहें। कथाशैली के माध्यम से कठिन से कठिन तात्त्विक सिद्धान्तों को भी सरलता से पाठकों तक पहुँचाया जा सकता है, उन्हें हृदयंगम कराया जा सकता है। आज बड़े-बड़े ग्रन्थ पढ़ने का न तो किसी के पास समय है और न वैसी रुचि व बौद्धिक क्षमता है, जिससे सूक्ष्मतम सिद्धान्तों को हृदयंगम किया जा सके। इसकारण भी आज दार्शनिक सिद्धान्तों को कथाशैली में लिखा जाना आवश्यक प्रतीत होता है। यद्यपि कथाशैली में लिखी गई आपकी यह द्वितीय पुस्तक है, पर मुझे विश्वास है कि उनकी यह द्वितीय कृति निश्चित रूप से अद्वितीय सिद्ध होगी। 'विदाई की बेला' प्रौढ़ और वृद्ध व्यक्तियों के लिए तो 'वरदान' रूप है ही, सामान्य पाठकों के लिए भी रोचक, ज्ञानवर्द्धक और अध्यात्म के अध्ययन की प्रेरणा देनेवाली कृति है। ___ पण्डित रतनचन्दजी भारिल्ल की इस अत्यन्त उपयोगी कृति को प्रकाशित करते हुए हमें अत्यन्त प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। हमने एक वर्ष पहले १ जनवरी, १९९१ को आपकी सुप्रसिद्ध कथाकृति 'संस्कार' का प्रकाशन किया था। आपको यह जानकर सुखद आश्चर्य होगा कि इतनी अल्प अवधि में ही समाज में ऐसी लोकप्रियता प्राप्त की है कि उसके अनेक संस्करण प्रकाशित हो जैनपथ के सम्पादकीय में : समाचार जगत (दैनिक) : जयपुर से प्रकाशित ३ हजार ५०० १लाख २० हजार कुल संख्या २लाख ९हजार १०० मूल्य : १२ रुपए मात्र मुद्रक : प्रिन्ट 'ओ' लैण्ड बाईस गोदाम, जयपुर (2)Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 ... 78