Book Title: Vastupal Tejpal no Ras Author(s): Shravak Bhimsinh Manek Publisher: Shravak Bhimsinh Manek View full book textPage 7
________________ आज्ञा मागी ॥ स्वामी करती हुँ प्राणज त्याग, ते पीयु आव्यो मुज नाग ॥ श्ए॥ ॥दोहा॥ ॥ नारीने नर एम मख्यो, एहवो नगर निवेश॥नर नारी सखीयां थयां, मेरु कडेवो नगर विशेष ॥१॥ एहवं नगर पाटण नवं, वरण्ये नावे पार ॥ राज करे सिकराज तिहां, इंसमो अवतार ॥२॥ गढ मढ मंदिर मालीयां, प्रौढी पोल प्राकार ॥ चोराशी चहुटां जलां, पोशालनो नहीं पार ॥३॥ श्रावक जन त्यां सहु सुखी, फुःख नहीं लवलेश ॥ हरिना सूरि त्यां रहे, देता धर्म उपदेश ॥४॥ कोटिध्वज कोटमा वसे, लखेशरी वसे लाख ॥ अनेक व्यवहारी वसे, मधुरी वाणी वदे नाख ॥५॥ न्यात चोराशी त्यां रहे, उस वंश श्रीमाली सार ॥ प्राग वंश प्रगट मल, सकल नात शणगार ॥६॥ पुण्ये पूरे पामीए,न्यात जात शुज वास॥ पुण्य विहुणा प्राणीया, परघर थाये दास ॥ ७॥ पूरव पुण्य ते आचस्यां, वस्तुपाल तेजपाल ॥मात पिता उत्पत्ति कहुं, सुणजो बाल गोपाल ॥ ॥ गुर्जरधर मंगल कहुँ, चोथी पेढी त्यां जाण ॥ अणहिलपुर Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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