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धैर्य
१. कोई भी कार्य करो धीरता से करो, व्यग्र होने की आवश्यकता नहीं । यदि धैर्य गुण अपने पास गुणों का भण्डार अपने हाथ है ।
तब सभी
२. प्रत्येक व्यक्ति को अपने उज्वल भविष्य के निर्माण के लिये धीरता, गम्भीरता तथा कार्यानुकूल प्रयत्नशीलता की महती आवश्यकता है । हम श्रेयस प्राप्ति के लिए निरन्तर आकुल होते रहते हैं - 'क्या करे ? कहाँ जावे ? किसकी सङ्गति करे ? आदि तर्क जाल में अमूल्य मानव जीवन को व्यर्थ व्यतीत कर देते हैं अतः प्रत्येक मनुष्य को इस तर्क और संकल्प जाल को छोड़ रागद्वेष शत्रु की सेना का सामना करने के लिये धीर वीर बनना चाहिये ।
३. धीरता गुण उन्हीं के होता है जो बलशाली और संसार से भयभीत हैं ।
४. धीरता सुख की जननी है ।
५. अधीरता ही कार्य की प्रतिरोधिका है। जो अधीर नहीं होते किन्तु निश्चल हैं, वे ही मोक्षमार्ग के जिज्ञासु और पथिक हैं ।
६. यदि कोई आपको निर्दोष होने पर भी दोषी बना देवे
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