________________ 74 वनस्पतियों के स्वलेख तीव्र उद्दीपना द्वारा न केवल एक ही अनुक्रिया होती है वरन पुनरावर्तन श्रेणी में बहुल अनुक्रियाएँ होती हैं (चित्र 44) / ये बहुल अनुक्रियाएँ किसी भी तीव्र उद्दीपना द्वारा होती हैं, जैसे प्रकाश, विद्युत, ताप अथवा रासायनिक उद्दीपना। बहुल सक्रियता की स्थिरता भी वनस्पति पर किये गये आघात की शक्ति पर निर्भर है। साधारण आघात द्वारा कतिपय / / / / / / / / / / / / / / / / / चित्र ४५-एक ही तीव्र विद्युत्-आघात द्वारा कमरख में बहुविध अनुक्रिया। स्पन्दन तथा तीव्र या दीर्घ सतत आघातों द्वारा अनेक आवर्ती स्पन्दन होते हैं (चित्र 45) / ऐसा लगता है कि अनुक्रिया प्रतिध्वनित या आन्दोलित होती है। यहाँ संस्वरित विशाख (Tuning fork) द्वारा दिये गये प्रदोलन (Vibrations) से सादृश्य (Analogy) है / जब मृदु आघात किया जाता है तब यह अल्प समय के लिए प्रदोलित होकर स्वर निकालता है। किन्तु जब तीव्रतर आघात किया जाता है तब यह अधिक स्थायी उत्तर देता है। अर्ध स्वचलता प्राकृतिक अवस्था में पौधा पर्यावरण से प्राप्त भिन्न-भिन्न उत्तेजकों की क्रियाओं से अरक्षित रहता है। यह उष्णता, प्रकाश की क्रिया, वायु-तरंगों की यान्त्रिक उत्तेजना और अपने अन्दर के विभिन्न रासायनिक कारकों, या जिन कारकों का अवशोषण कर लेता है, उन सब की क्रियाओं से अरक्षित रहता है। उद्दीपना के इन बाह्य स्रोतों की सम्मिलित क्रिया से वनस्पति में संचित शक्ति इतनी अधिक हो जाती है कि उद्दीप्त उत्प्लाव (Excitatory overflow) होता है। वनस्पति के पूर्व इतिहास के अन्तविश्लेषण का यथेष्ट न होना ही कारण था कि हम सोचते थे कि