Book Title: Vanaspatiyo ke Swalekh
Author(s): Jagdishchandra Vasu, Ramdev Mishr
Publisher: Hindi Samiti

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Page 209
________________ तंत्रिका का स्थान-निर्धारण 161 की दूरी के पर्णवन्त पर परीक्षक उद्दीपना देने पर वह वहाँ तक पहुंचने में असफल रही। तीव्रतर उददीपना द्वारा प्रेरणा अवरोध के प्रभाव से बलपूर्वक हटायी गयी और पीनाधार तक इसका पारेषण यथेष्ट द्रुत गति से हुआ। एक बार मार्ग बन जाने पर बाद के आवेगों का पारेषण सुगम हो गया और पहले की असफल उद्दीपना अब प्रभावी हो गयी। रुई का उपचार प्रयोग या अप्रयोग द्वारा तंत्रिका-क्रिया की कार्य-वृद्धि या निम्नन के ये निम्न लिखित प्रेक्षण प्रबोधक हैं। प्रकृति के उद्दीपक आघातों से काँच के अन्दर सावधानी से सुरक्षित एक पौधा कोमल और विकसित दिखता है। किन्तु यथार्थ में वह क्षीण और ह्रासोन्मुख रहता है, शारीरिक रूप से तंत्रिका-ऊतक उसमें वर्तमान रहता है, किन्तु उपयोग न होने के कारण प्रयोग की दृष्टि से यह निष्क्रिय है। इस स्थिति में एक पौधे में उद्दीपक आघातों के प्रभाव से तंत्रिका-संवाहन की वृद्धि का अवलोकन बहुत ही रोचक है। पहले कोई पारेषण नहीं होता, कुछ देर बाद उद्दीपक आवेग का पारेषण होने लगता है। सतत उद्दीपना संवाही शक्ति को अधिकतम तक बढ़ाती है। यहाँ हमारे सामने 'जीव के अपने पर्यावरण द्वारा वर्धन' का प्रदर्शन उद्दी-. पना के संचयी प्रभाव द्वारा अंग की सृष्टि के रूप में प्रस्तुत है। उद्दीपना-रहित तंत्रिका निष्क्रिय और अचेत रहती है। किन्तु उद्दीपना द्वारा इसमें स्फूर्ति आ जाती है और इसकी उत्तेजकता और संवहन-शक्ति अत्यधिक बढ़ जाती है। ... उद्दीपना के ग्रहण-आस्थान के रूप में पर्ण वनस्पति के जीवन को बनाये रखने के लिए उद्दीपना की सक्रियता का एक विशेष पक्ष अत्यधिक आवश्यक है। इसकी स्वाभाविक सक्रियता के सातत्य को बनाये रखने के लिए आन्तरिक ऊतकों को उद्दीपना द्वारा अधिकतम बल्य दशा में रखना पड़ता है। वनस्पति के लिए स्वाभाविकतया प्राप्य उद्दीपनाओं में प्रकाश से अधिक शक्तिशाली कोई उद्दीपना नहीं है / सब परिस्थितियाँ इसके उद्दीपक प्रभाव . को तंत्रिका-वाहिका-वाहिनी-ऊतक में अधोवाही--के साथ-साथ आन्तरिक पारेषण होने में सहायता देती हैं। वनस्पति में प्रकाश को रोक देने पर रस-आरोह को बनाये रखने वाला स्पन्दन रुक जाता है, किन्तु प्रकाश-उद्दीपना से संवन्ध होते ही स्पन्दन की गति पुनर्जीवित हो जाती है, रस का उदंचन होने लगता है और तंत्रिका रूपी वाहिनियों में जीवन तीव्र गति से दौड़ने लगता है / विस्तृत पर्ण, जिसमें

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