Book Title: Vanaspatiyo ke Swalekh
Author(s): Jagdishchandra Vasu, Ramdev Mishr
Publisher: Hindi Samiti

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Page 231
________________ परिशिष्ट 213 लाभ उठाने के लिए एक दौड़-भाग मची, जो प्रायः उन्नति के लिए न हो कर विध्वंस के लिए थी। संयम की किसी शक्ति के अभाव में सभ्यता आज विनाश के कगार पर अस्थिरावस्था में डगमगाती खड़ी है। ___ इस उदेश्यरहित दौड़-भाग से, जिसका अन्त विनाश होता है, बचने के लिए एक सम्पूरक आदर्श की आवश्यकता है। मनुष्य ने किसी अतृप्त आकांक्षा के प्रलोभन और उसकी उत्तेजना का अनुगमन किया है और एक क्षण के लिए भी रुककर उस चरम लक्ष्य के बारे में नहीं सोचा जिसे अस्थायी प्रोत्साहन के रूप में सफलता प्राप्त होती। वह भूल गया कि जीवन की योजना में पारस्परिक सहायता और सहयोग स्पर्धा से कहीं अधिक शक्तिशाली हैं। फिर भी कुछ ऐसे भी लोग हुए हैं जो तात्कालिक मनोहारी पुरस्कार से अलग रहकर निष्क्रिय त्याग द्वारा नहीं अपितु सक्रिय संघर्ष द्वारा जीवन के उच्चतम आदर्श को प्राप्त करने का प्रयास करते रहे हैं। दुर्बल व्यक्ति जो संघर्ष से विमुख रहता है, कुछ भी प्राप्त नहीं करता और इसलिए उसके पास त्याग करने के लिए कुछ नहीं होता। केवल वही व्यक्ति जिसने संघर्ष कर विजय पायी है, अपने विजयी अनुभवों के फल को देकर विश्व को समृद्ध कर सकता है। - मानवता की उच्चतम पुकार के प्रत्युत्तर में, उसे सम्पन्न बनाने और आत्मत्याग का आदर्श-एक अन्य पूरक आदर्श है / इसकी प्रेरणा व्यक्तिगत महत्त्वाकांक्षा में नहीं, अपितु समस्त क्षुद्रता को मिटाने और उस अज्ञान का उन्मूलन करने में पायी जाती है, जो किसी की हानि करके क्रय किये गये लाभ को उपलब्धि समझे। यह तो मुझे ज्ञात है कि जब तक ध्यानापकर्षण के सब कारण लुप्त नहीं होते और मन शान्त नहीं होता, सत्य का दर्शन नहीं होता। मेरे जो थोड़े से शिष्य हैं उनसे मैं अनुरोध करूंगा कि वे सबल चरित्र और दृढ़ प्रयोजन से ज्ञान पर विजय प्राप्त करने और सत्य का साक्षात् करने के लिए अनन्त संघर्ष में आजीवन लगें। . ज्ञान की उन्नति और प्रसार ..मेरी प्रयोगशाला में अब तक पदार्थ की अनुक्रिया पर जो कार्य किये गये हैं और वनस्पति-जीवन में जो अप्रत्याशित रहस्योद्घाटन हुए हैं, वे उच्चतम प्राणि-जीवन के आश्चर्यों को भी पार कर गये हैं। इन सबका परिणाम यह हुआ है कि भौतिकी, दैहिकी,आयुविज्ञान,कृषिविज्ञान और मनोविज्ञान में भी अन्वेषण का विस्तृत क्षेत्र उन्मुक्त हो गया है / ये अन्वेषण भौतिकी विज्ञों और दैहिकी विज्ञों के प्रथागत अन्वेषणों से कहीं अधिक विस्तृत हैं, क्योंकि इन लोगों को जिन रुचियों और अभिवृत्तियों की अपेक्षा

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