Book Title: Vanaspatiyo ke Swalekh
Author(s): Jagdishchandra Vasu, Ramdev Mishr
Publisher: Hindi Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 206
________________ 188 वनस्पतियों के स्वलेख और रंग में सफेद होते हैं और प्राणी की तंत्रिका के समान ही विस्मयकारी हैं (चिन 114) / अब हमने प्राणी-दैहिकीविज्ञों द्वारा सामान्यतः मेढक की तंत्रिका पर किये गये संपरीक्षणों को पाँग की अलग तंत्रिका पर किया / मेढक की तंत्रिका पर एक गैलवनोमीटर द्वारा संपरीक्षण किया जाता है। यह गैलवनोमीटर तंत्रिका-आवेग चित्र ११४-पर्णाग का अपुस्प पर्ण (Frond); वाहिका-वलयक 'N' - दाहिने वर्धित चित्र में दिखाया गया है / द्वारा किये गये विद्युत्-परिवर्तनों का अभिलेख लेता है। वनस्पति-तंत्रिका की विभिन्न स्थितियों में विद्युत्-अभिलेख सब प्रकार से प्राणी-तंत्रिका के अभिलेख के समान है / निम्नलिखित उदाहरण द्वारा इसका स्पष्ट प्रदर्शन हो जाता है यह तो सर्वविदित तथ्य है कि तंत्रिका अधिक दिनों तक व्यर्थ पड़े रहने पर न्यूनाधिक अचेत हो जाती है और यह भी कि इसे सतत उद्दीपना या सतत संकोचन द्वारा सक्रिय बनाया जा सकता है। सतत संकोचन की एक अवधि के पश्चात् अचेत तंत्रिका की मन्द अनुक्रिया अत्यधिक बढ़ जाती है / यह चित्र 115 में चित्रित है, जिसमें प्रथम तीन अनुक्रियाएँ अचेत मेढक की तंत्रिका की हैं, सतत संकोचन के पश्चात् अनु क्रिया प्रारम्भ की अपेक्षा अत्यधिक बढ़ी हुई है। ठीक इसी प्रकार का परिणाम पाँग (Fern) की तंत्रिका में भी पाया जाता है (चिन 116) /

Loading...

Page Navigation
1 ... 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236