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यदि कोई व्यक्ति किसी भी अन्य व्यक्ति से घृणा, ईर्ष्या, क्रोध न करे तो उस व्यक्ति के मन में जो कार्य संपन्न कराने की इच्छा होती है वह पूर्ण होती है, ऐसा अमरीका के उच्च कोटि के आधुनिक मनोवैज्ञानिक डॉ. वेन डायर मानते हैं। उनके शब्दों में :
“Get a clear picture in you mind of something that you would like to see happen in your life. A job apportunity, meeting your perfect partner, quitting an addictive behaviour. Keep your inner focus on this picture and extend love outwardly as frequently as possible, with this picture in mind.”
इसी बात को पूर्ण करते हुए अगले पैराग्राफ में वे लिखते हैं" :
“As you get proficient at keeping your inner energy on what it is that you would like to manifest, and you remain loving, you will attract the coincidences that fit your desire perfectly. This is called managing your coincidences, and it is something that I practice daily. It works.”
डॉ. वेन डायर की इस विषय पर प्रकाशित दो पुस्तकें :- “Manifest your desting, & “Power of intention : Leaning to cocreate your world your way"21 भी पठनीय हैं। इन पुस्तकों का सारांश यह है कि एक सामान्य व्यक्ति भी अपने मन का इतना विकास कर सकता है। उपसंहार
जैन शास्त्रों, आधुनिक विचारकों एवं ध्यान की अल्फा अवस्था से संबंधित कई प्रयोगों से यह ज्ञात होता है कि व्यक्ति की मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं। जैनाचार्य भव्य जीवों को सावधान करते हैं कि विषय भोगों की आकांक्षा करना निदान है और निदान आर्तध्यान होता है और यह संसार को बढ़ाने वाला होने से अनुचित है।
परमेष्ठी के दरबार में आकर यह समझने की जरूरत है कि धर्म के प्रभाव से बाहरी वैभव तो बिना मांगे ही मिलता है। आचार्य समन्तभद्र के शब्दों में :
अमरासुर नरपतिभिर्यमधर पतिभिश्च नूतपादाम्भोजाः।। दृष्ट्या सुनिश्चितार्था, वृषचक्रधरा भवन्ति लोकशरणाः ।।2
सम्यग्दर्शन के प्रभाव से जीव देवेन्द्र, धरणेन्द्र, चक्रवर्ती, तथा गणधरों से पूजनीय तीन लोक के शरणभूत तथा धर्मचक्र के धारक तीर्थंकर भी होते हैं।
आचार्य कुन्दकुन्द भी समझाते हैं कि अन्य में परिवर्तन या नियंत्रण करने की या
तुलसी प्रज्ञा जुलाई -दिसम्बर, 2006 -
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