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सन्दर्भ सूची - 1. आवश्यक नियुक्ति, गाथा 1080, आवश्यक नियुक्ति पर हरिभद्र की वृत्ति, पृ. 502 2. तिलोय पण्णत्ति (टी. पी., 4. 605) का तगर कुसुम, प्रतिष्ठासारोद्धार का तगर। तिलोय पण्णत्ति के
सम्पादकों ने तगरकुसुम मत्स्य को लिया है जो दिगम्बर कन्नड़ इत्यादि पर आधारित टी. एन. रामचन्द्रन के ग्रन्थ तिरुप्परुत्ति कुनरम् और उसके मंदिर में पृष्ठों 192-194 पर दी गई सारणी पर
आधारित है। 3. A.S.I., A.R., 1925-26 पृ. 125-26, प्लेट, IV, b. Shah, UP, Studies in
Jaina Art (Banaras, 1955) प्लेट VII. 4. स्थानांग सूत्र, 4, सू. 307, जीवाभिगम सूत्र, सू. 137 पृष्ठ 225 एवं अनुगामी। 5. जीवाभिगम सूत्र, 139, पृ. 232-33, दिगम्बर परम्परा के अनुसार विभिन्न स्थलों पर सिद्धायतनों के
लिये, देखिये- हरिवंश, 5-6 पृ., 70-140. 6. देखिये -वृषो गजोऽश्व: प्लवग: क्रौञ्चोऽब्जं स्वस्तिक: शशी।
मकरः श्रीवत्सः खड्गी महषिः शूकरस्तथा।। श्येनो वज्रं मृगश्छागो नन्द्यावर्ते घटोऽपि च। कूर्मों नीलोत्पलं शङ्ख: फणी सिंहोऽर्हतां ध्वजाः ।।
अभिधान चिंतामणि, 1. 47-48 7. देखिये- वंशे जगत्पूज्यतमे प्रतीतं पृथग्विर्यं तीर्थकृपां यदत्र।
तल्लांछनं संव्यवहार सिद्धयै बिम्बे जिनस्येह निवेशयामि।
प्रतिष्ठासारोद्धार, पृ. 214, पृ. 115 8. Studies in Art, pl, IV, Fig. 13 9. वही, pl, III, आकृति 10 10. अभिधान-चिन्तामणि, 1. 47 एफ. पी. 17 श्वे. सूची के लिये, तिलोयपण्णत्ति (टी. पी.) 4. 604
05, पृ. 209 दिग. सूची के लिये 11. प्रतिष्ठासारोद्धार के अनुसार स्वस्तिक, पृ. 9 गाथा 78. 12. प्रतिष्ठासारोद्धार के अनुसार श्रीद्रुम, पृ. 9 गा. 78 13. प्रतिष्ठासारोद्धार के अनुसार सेढिका 14. तगरम्, वही, पृ. 9, गाथा 79
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___ तुलसी प्रज्ञा अंक 132-133
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