Book Title: Trishashti Shalaka Purush Charitra Part 5
Author(s): Ganesh Lalwani, Rajkumari Bengani
Publisher: Prakrit Bharti Academy
View full book text
________________
122]
करवा देते हैं तब तक तुम पूर्व की भाँति ही पुरुष वेश में राज्य करो ।'
( श्लोक ९६ ) 'यह आपकी दया है' कहकर, कल्याणमाला ने अन्यत्र जाकर पुरुष वेश धारण कर लिया । तब सुबुद्धि मन्त्री ने राम से कहा, 'लक्ष्मण कल्याणमाला के पति बनें ।' राम ने कहा 'अभी हम लोग पिता की आज्ञा से देशान्तर में जा रहे हैं । जब लौटेंगे तब लक्ष्मण कल्याणमाला से विवाह कर लेगा ।' यह बात उन्होंने स्वीकार कर ली। राम ने तीन दिनों तक वहाँ अवस्थान किया । चौथे दिन पौ फटने के पूर्व ही जबकि सभी सो रहे थे राम ने लक्ष्मण और सीता सहित उस स्थान का परित्याग कर दिया ।
( श्लोक ९७ - ९९ ) प्रातःकाल कल्याणमाला ने जब राम, लक्ष्मण और सीता को वहाँ नहीं देखा तो अत्यन्त दुःखी होकर खिन्न मन से स्वनगर को लौट गई और पूर्व की भाँति ही राज्य करने लगी । (श्लोक १०० ) चलते-चलते राम नर्मदा नदी के निकट पहुंचे और उसे अतिक्रमण कर विन्ध्याटवी में प्रविष्ट हुए । अन्य यात्रियों ने उन्हें उधर जाने से रोका; किन्तु इन्होंने उनकी बात नहीं सुनी। उसी समय दक्षिण दिशा में कण्टक सेमल के एक वृक्ष पर बैठा एक कौआ कठोर स्वर में कांव-कांब करने लगा । तदुपरान्त क्षीर वृक्ष पर बैठा हुआ दूसरा कौआ मधुर स्वर में कांव-कांव करने लगा | लेकिन यह सब सुनकर भी राम को न हर्ष हुआ न शोक । दुर्बल लोग ही शकुन व अपशकुन को देखते हैं । और आगे जाने पर उन्होंने असंख्य हस्ती, रथ और अश्वारोहियों से युक्त म्लेच्छ सेना को अन्य देश पर आक्रमण करने जाते हुए देखा । (श्लोक १०१-१०४) उस सेना में एक युवक सेनापति था । वह सीता को देखकर कामातुर हो गया । अतः उस स्वेच्छाचारी ने उसी समय म्लेच्छ सेना को आदेश दिया, 'तुम लोग जाकर उन दोनों पथिकों को प्रताड़ित कर या मारकर उस सुन्दर स्त्री को मेरे लिए ले आओ ।' ( श्लोक १०५ - १०६ ) आज्ञा मिलते ही वे बाण और बरछा आदि तीक्ष्ण अस्त्रों से राम पर प्रहार करने के लिए दौड़े । ( श्लोक १०७ ) उन्हें आते देख लक्ष्मण ने रामचन्द्र से कहा, 'आर्य, श्वानों