Book Title: Trishashti Shalaka Purush Charitra Part 5
Author(s): Ganesh Lalwani, Rajkumari Bengani
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 261
________________ 2521 इन्द्र की बात सुनकर सुधर्मा देवसभा में दो देव कौतुकवश राम-लक्ष्मण के प्रेम की परीक्षा लेने अयोध्या गए। वे लक्ष्मण के प्रासाद में गए। वहां उन्होंने लक्ष्मण को माया द्वारा समस्त अन्तःपुर की स्त्रियों को क्रन्दन करते हुए दिखाया-वे विलाप कर रही थीं 'हे पद्म, हे पद्मलोचन, कुटुम्ब के लिए सूर्यरूपी हे बलभद्र, जगत् के लिए भयङ्कर तुम्हारी अकाल मृत्यु कैसे हो गई ?' उनके केश अस्त-व्यस्त हो गए थे। वे छाती पीट-पीट कर रो रही थीं। उनकी यह अवस्था देखकर लक्ष्मण अत्यन्त दुःखित हो गए। वे बोले, 'हाय, मेरे जीवन के जीवन राम की मृत्यु हो गई ? क्या यम ने छलना द्वारा उनका जीवन हरण किया है ?' ऐसा कहतेकहते लक्ष्मण के प्राण निकल गए। कर्म का विपाक सचमुच ही अनुलनीय है। उनकी देह स्वर्ण स्तम्भ के सहारे सिंहासन पर अवस्थित थी, मुख खुली अवस्था में। लक्ष्मण का शरीर निष्क्रिय स्थिर एवं लेपमय मूर्ति-सा लगने लगा। इस प्रकार सहज रूप से लक्ष्मण की मृत्यु होते देखकर दोनों देव दुःखी हो गए। वे पश्चात्ताप करते हुए परस्पर कहने लगे, 'हमने यह क्या कर डाला? अरे विश्व निर्भर इस पुरुष प्रवर को हमने इस प्रकार मार डाला।' इस भाँति आत्मनिन्दा करते हुए वे दोनों देवलोक लौट गए। (श्लोक ११८-१२६) लक्ष्मण की मृत्यु से अन्तःपुर में हाहाकार मच गया। स्त्रियाँ केश बिखेर कर हृदय भेदी आर्त स्वर में क्रन्दन करने लगीं। उनका रोना सुनकर राम वहाँ दौड़कर गए और बोले, 'अमङ्गल को ज्ञात किए बिना ही तुम लोगों ने यह कैसा रोना मचा दिया ? मैं जीवित हं, भाई लक्ष्मण जीवित है फिर यह रोना-धोना कैसा ? हो सकता है लक्ष्मण किसी रोग से पीड़ित हो गया हो-मैं वैद्य को बुलाकर अभी उसकी चिकित्सा करवाता हूं।' (श्लोक १२७-१२९) तदुपरान्त राम ने अनेक वैद्य और ज्योतिषियों को बुलवाया। यन्त्र-मन्त्रों का प्रयोग करवाया; किन्तु लक्ष्मण पर उसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा। यह देखकर राम मूच्छित हो गए। कुछ देर पश्चात् उनकी चेतना लौटी। वे उच्च स्वर में विलाप करने लगे। उनका विलाप सुनकर विभीषण, सुग्रीव व शत्रुघ्न आदि भी 'हाय ! हम मारे गए। हमारा सर्वनाश हो गया'

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