Book Title: Thiaibandho
Author(s): Premsuri
Publisher: Bharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti

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Page 690
________________ * वृद्धयधिकारयन्त्रकाणि * आयुर्वर्जसप्तमूलप्रकृतीनां स्थितिबन्धवृद्धयादिसत्पदप्रदर्शक यन्त्रकम् ओघवदसंरूपणभाग- असंख्य- सं-असंख्यभाग- संख्येयभाग- ओवबदसंख्य- असंख्यभाग-संख्यसंख्यगुणभागवृद्धय- ख्यभाग वृद्धि वृद्धिहानीति वृद्धिहानी इति संख्येयगुण- भाग-गुण-वृद्धि स्ताहाहानयश्चेति हानय इति २ पदे २ पदे भागवृद्धि हानय हानय इति ८ पदानि . ४ पदानि (अवस्थान- (अवस्थान- इति ८ पदानि ६ पदानि नि (अवस्थानाऽवक्त यपदे च) (अवस्थानंच) पदं च) | पदं च) (अवस्थानं च) (अवस्थानपदंच) मनुष्योध० तत्पर्याप्त गति० शेष मानुषी० इन्द्रिय पञ्चेन्द्रियौघ-तत्पर्याप्तौ, २ सर्वविकल०६ केन्द्रिय०७ शेष. १ पृथिव्यादिअसोध-तत्पर्याप्तौ, २ पचकायसर्व शेष० १ भेद०३६ सर्वमनोवचोभेदा:, योग शेष०६ काययोगौघ०ौदारिक० १२ प्रवेद०卐१ वेदत्रिक० ३ ४४ काय वेद कषाय पाय लोभ * शेष० ३ ज्ञान० अज्ञान० ३ मति-श्रुता-ऽवधि-मनःपर्य.४ संयमोघ० सूक्ष्मसम्प०१ संयम० सामायिक० छेद० २ शेष०३ दर्शन० | चक्षु०प्रचक्ष०प्रवधि०३ लेश्या० शुक्ल० शेष० भव्य० भव्य० प्रभव्य शेष० सम्यक्त्वौघ० सम्यक्त्व० क्षायिक० औपशमिक०३ । संज्ञी, | संज्ञी० असंज्ञी० १ M अनाहा० १ आहारी० पाहारी, सर्वमार्गणाः | ४६ १+ १ ८ गाथाङ्काः -७३४-७३५-७३६-७३३/ ७३८-७३३ ७३७-७३३ ७३८-७३६-७३ ३ ७३४-७३३.... ७४०-७३३ ★ लोभमार्गरणायां मोहनीयस्यैवाऽवक्तव्यपदं सत्, न शेषज्ञानावरणादीनामिति । 卐 अपगतवेदमार्गरणायां ज्ञानावरण-दर्शनावरणा-ऽन्तरायकर्मणां संख्यातगुणवृद्धिहान्यवक्तव्यपदान्यपीति षट पदानि सद्भूतानि, वेदनीय-नाम-गोत्रकर्मणां तानि तथाऽसंख्यगुणवृद्धिहानिपदे चेति अष्टौ पदानि सद्भूतानि, मोहनीयस्य तु केवलमवक्तव्यपदमेवोक्ताधिकतयेति चत्वारि पदानि सद्भूतानीति । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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