Book Title: Thiaibandho
Author(s): Premsuri
Publisher: Bharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti
View full book text
________________
मल्पबहुत्वचित्रम् ]
साता-सातवेदनीयद्वि-त्रि
चतुःस्थानिकरसबन्धकयवादिनानाविषयभेदभिन्नस्थितिबन्धस्थानसाता-सातवेदनीय- जघन्योत्कृष्ट स्थितिबन्धादिपदार्थनिष्पन्नानां सप्तविंशतिपदानाम्
अल्पबहुत्व- चित्रकम्
सात स्थितय असात स्थितय
सातचतुः स्थानयवमध्य. सातप्रिस्थानयवमध्य.
131
(A) (B) (C) (D) (E)
Jain Education International
"विशेष अनुसंधान ज्ञापनम् (८) B प्रभृते एतत्पर्यन्ता
13) A
(१०) C (११) A
(१९) A
".
(२४) इतोऽसातोत्कृष्ट स्थिति
पर्यन्ता स्थितय ।
"
"
22.2
असातावेदनीय त्रिस्थानिकययमध्य.
(२०) A प्रभृते एतत्पर्यन्ता.
(२२)D"
(२३) A (२६६
(२०)A
"
चरमेऽधिकारे जीव समुदाहारः
श
..
PI
O
विशेष- संज्ञा - परिचय:
(A) साता-सातवेदनामान्यतमस्थितेर्बन्धसमय (B) सातवेदनीयजद्यन्यस्थितिबन्धप्रथमानेषेकः (c) असान "
"
(D) सातवेदनीयोत्कृष्टस्थितिबन्धप्रथमनिषेक
"
७
(E) असात „
[0]- उर्ध्वाधोमुखाः पक्तयः स्थितिस्थान : सूचकचिह्नस्थानीयाः
सातावेदनीयद्विस्थानिकयवमध्य
23
10
असातावेदनीयद्धिस्थानिकयवमध्य.
For Private & Personal Use Only
२१
एतादृशानि बन्धक परिमाणस्थापना निष्पज्ञयवाद
田
"
सात स्थानयवैमध्य.
[ ६६१
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 732 733 734 735 736 737 738 739 740 741 742 743 744 745 746 747 748 749 750 751 752 753 754 755 756 757 758 759 760 761 762