Book Title: Thanangsuttam and Samvayangsuttam Part 3 Tika
Author(s): Abhaydevsuri, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 750
________________ श्री समवायाङ्गसूत्रान्तर्गतविशिष्टशब्दसूचिः ६६१ सूत्राङ्क २४[१] .८४ १०[१] शब्दः सूत्राङ्कः । शब्दः कुरुते केस-मंसु-रोम-णहे ३४[१] कुरुमती १५८, पृ. ४७० पं. ११ केसरी १५८, पृ. ४७८ पं. १३ कुलकर १५७, पृ. ४६३ पं. ३ केसवा १५८, पृ. ४७४ पं. ३ कुलकरगंडियाओ १४७, पृ. ४५० पं. ६ कोधणे २०[१] कुलगर १०९; ११२; १५८, पृ. ४७५, कोधविवेग २७[१] कोव कुलगरतित्थगरगणधर १३९, पृ. ४३७ पं १० कोस कुलगरपत्तीण १५७, पृ. ४६४ पं. ३ कोसलिए २३ [२]; ६३; ८३, ८४; कुलगरवंस १५९, पृ. ४८० पं. ५ ८९; १०८ कुलपव्वया कोसलिय कुलमए ८[१] कोह कुलिंगे १५७, पृ. ४६६ पं. १२ कोहकसाय ४[१] कुसमयमोहमोहमतिमोहिताणं कोहविवेग २५[१] पृ. ४३५ पं. ७ खओवसमिए १५३, पृ. ४५९ पं. ७ कुसीलपरिभासिए १६ [१] खंडगप्पवातगुहा कुसीलपरिभासिते २३[१] खंती कुसुमेणं खंधावारनिवेसं खंधावारमाणं ७२ कूडसामली ८[१] खत्तियाणं १५७, पृ. ४६६ पं. १५ ७९; ९५ खमए १४[१] केउक खमा २७[१]; १४३, पृ. ४४२ पं. १ ५२ खरस्सरे १५[१] केउभूतपडिग्गहो १४७, पृ. ४४७ पं. १४ खरोट्ठिया १८[१]] केउभूयं १४७, पृ. ४४७ पं. १३ खलुंकिजं केकई १५८, पृ. ४७० पं. १९ खवितसत्तय २१[१] केमहालिया १५२, पृ. ४५८ पं. १७ खामितविओसवियाण २०[१] केवलं १०[१] खिंसती ३०[१], पृ. ३८३ पं. १० केवलणाणावरण ३१[१] खीणमोह ___७[१]; १४ [१] केवलणाणुप्पात १४७, पृ. ४४९, पं. १९ खीलियासंघयण १५५, पृ. ४६१ पं. २ केवलदंसण १०[१] १५५, पृ. ४६१ पं. १४ केवलदसणावरण ९[२]; ३१[१] खुड्डियाए ३७, ३८४० केवलनाण १०[१] खुरप्पसंठाणसंठित १४९, पृ. ४५४ पं. १ केवलपरियागं ११० खेमंकर १५८, पृ. ४७५ पं. १२ केवलवरनाणदंसणे २३ [२] खेमंधर १५८, पृ. ४७५ पं. १२ केवलिमरणं १० [१]; १७[१] खोयरसो १५७, पृ. ४६७ पं. ११ केवलिसमुग्घात [१]; ८[१] गंगदत्त १५८, पृ. ४७३, पं. ७; १५८, केवली १४[१]; ५४ पृ. ४७२ पं. १५ केउ केउग खुज Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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