Book Title: Thanangsuttam and Samvayangsuttam Part 3 Tika
Author(s): Abhaydevsuri, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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शब्दः
पडिमा
पडिमाभिग्गहगहण पालणा
पडिलव
पडिलो माहि
पडिवत्तीतो
पडिवाती
पडिविरयं
पडसाहरति
पसुई
पडणेति पडि सेवमाणे
सूत्राङ्कः
९२; १४२, पृ. ४४० पं. १७; १४४, पृ. ४४२ पं. १५; १४६
पृ. ४४५ पं. १२
पडिवू
पडिसत्तू १५८, पृ. ४७३ पं. १५; १५८, पृ. ४७३ पं. १७९ १५८,
पृ. ४८० पं. २ < [9]
१५८, पृ. ४७५ पं. १३
श्री समवायाङ्गसूत्रान्तर्गतविशिष्टशब्द सूचिः
१५०, पृ, ४५४ पं. १४; १५७
पृ. ४६४ पं. २
३० [१], पृ. ३८२ पं. १
१३६, पृ. ४३४ पं. १३ १५२, पृ. ४५९ पं. ५ ३० [१], पृ. ३८३ पं. ३
७२
पडुच
पढम चउत्थ-पंचमासु
पढम - पंचम - छट्ठी-सत्तमासु पढम- बितिया
पढमभिक्खा
पढमभिक्खादा
पदमभिक्खादेय
पढमसिस्सिणी
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पढमावलियाए पणतालमुहुत्तसंजोगा पणतालीसं
पणतीसं
पण सं पणीताहारविवज्जणता पणिही पणीयरस भोई
१४२, पृ. ४४१ पं. ५
३३ [१]
२१ [१]
१४ [१]
४३
३४
४२; ५५
१५७, पृ. ४६७ पं. ११,
१५७, पृ. ४६७ पं. १०
१५८, पृ. ४७७ पं. ५
१५७, पृ. ४६६ पं. १९
१५७, पृ. ४६९ पं. १
१५८, पृ. ४७७ पं. ४
६२
४५
४५
३५
१४७, पृ. ४४८ पं. ६
२५ [१]
३२ [१]
s [9]
शब्दः
पणुवीसं
पण्णत्तरिं
पण्णरस
पण्णरसमुहुत्त पण्णविनंति
पणासह
पण्णासं
पहाण
पण्हावागरण
पण्हावागरणदसा पतिभयकरकरपलीवणा पत्तगच्छेजं
पत्तच्छेजं
पत्तेयसरीरणाम
पत्तेयसरीरनामं पत्थरगेण
पत्थडे
पदग्ग
पदसतसहस्स
पदसहरस
पदेसंबंध
पदेसा
पन्नरसतिभागं
पन्नरसमुहुत्त
पन्नर समुहुत्त संजुता पबंधणे
प करं
पभंजण
प्रभावई
पभास
पभासिं
पभू
६७७
सूत्राङ्क:
२५ [१]
७५
१५ [१]
१५ [२]
१३६, पृ. ४३४ पं. १८
२२ [१]
५०
१४५, पृ. ४४४ पं. १३
१] [२]; १३६, पृ. ४३४ पं. ८; १४५ पृ. ४४४
पं. ५
१४५, पृ. ४४४ पं. ७ १४६, पृ. ४४६ पं. ४
७२
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७२
२५ [१], ४२
२८ [१]
६२
६२
१३६, पृ. ४३४ पं. १६; १३८, पृ. ४३६ पं. १५;
१३९, पृ. ४३७ पं. १५
१३९, पृ. ४३७ पं. १५
१३६, पृ. ४३४ पं. १६;
१३७, पृ. ४३५ पं. १६
४ [१]
९५
१५ [१]
१५ [२]
१५ [२]
१२ [१]
३ [४]; ८ [४]
४६ १५७, पृ. ४६४ पं. १७
७ [३]; ११ [२]; २२ [३]
६६; ७२
३० [१], पृ. ३८४ पं. २
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