Book Title: Thanangsuttam and Samvayangsuttam Part 3 Tika
Author(s): Abhaydevsuri, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 831
________________ ७४२ सप्तमं परिशिष्टम् पृ० पं० ४ २.३ १२ ९१० ११ प्रज्ञा० २३ चन्द्र० १२१७२ आव०नि० २७९ ज्ञाता० १८८५ जीवा० ३.१५८ आव. नि० ३७९ प्रज्ञा० २ प्रज्ञा०२,भग०१।५।४३, चन्द्र० १२।७४ जम्बू० ४।१०९ चन्द्र० १३१८० आव०नि० २६७ जम्बू० ६।१३५ कल्प० २११, २२८, जम्बू० २०३० दशाश्रुत० ७, व्यव० ९ प्रज्ञा० २, जीवा० १।३। ११७, ११९ जीवा० ११३१८१ प्रज्ञा० २ जम्बू० १२८ आव.नि. ६५० जीवा० ११३१७७ आव. नि० २६७ प्रज्ञा० १८१२४१, भग० ८।२।३२३ चन्द्र० १२१७४ जम्बू० ४१७७ जीबा० १।३.१६१ चन्द्र० १०॥२२॥६१ आव०नि० २६२ प्रज्ञा० २३ कल्पसूत्रस्थ. कल्प० १६८ आव०नि० ३७९ प्रज्ञा० २३, उत्तरा० ३३ प्रज्ञा० २ आव.नि. २७८ आव०नि० ३९५ प्रज्ञा० २१४६ ४.७ ४१० १८ ४११ १ , ११ __ १५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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