Book Title: Thanangsuttam and Samvayangsuttam Part 3 Tika
Author(s): Abhaydevsuri, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
View full book text
________________
[२] समवायाङ्गसूत्राणां तुला
७४५
१४
2
प्रज्ञा० २३ जम्बू० ४।१०५-१०७ जम्बू० १११ सूर्य० ११११११ सूर्य० १०।९।४२ जम्बू० ४।१०४ जम्बू० ४११०५ जम्बू०६।१३३ दशाश्रुत० ७, व्यव० ९ सूर्य० १०१९४२ आव०नि० ३७८ कल्प० १६८, आव० नि० ३०५ आव० नि० ६५५ जम्बू० १११२ जम्बू० ४।७३ जीवा० १।३।१५० आव०नि० ३७८ प्रज्ञा० २।५३१९, भग० १५।४३ आव०नि० ३७८ जम्बू० ४।८० जम्बू० ६।१२६ आव०नि० ३७८ आव०नि० ३७८ कल्प० १७२, आव०नि० २९८ कल्प० १३८ औप० ४३, उत्तरा० ३६१६५, प्रज्ञा० २।५४ कल्प० १६५ आव०नि०३७८ जम्बू० ४।८४, १११ जम्बू० ४।८७ प्रज्ञा० २।५३.८ कल्प. १४३ आव०नि० ३७८ आव. नि. ३९२ जम्बू० ४।८७-१०३ जम्बू० ४।७६ जम्बू० २।३३, आव०नि० ३७८
:2 »
१८
२०
5
,,
८-१०
-
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 832 833 834 835 836 837 838 839 840 841 842 843 844 845 846 847 848 849 850 851 852 853 854 855 856 857 858 859 860 861 862 863 864 865 866 867 868 869 870 871 872 873 874 875 876 877 878 879 880 881 882 883 884 885 886