Book Title: Thanangsuttam and Samvayangsuttam Part 3 Tika
Author(s): Abhaydevsuri, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 830
________________ [२] स्वमवायाङ्गसूत्राणां तुला पृ० पं० ४०० १४ ४०. १ १७ ४०१ ४०१ ३ ४ ००१ ४०१ ८ ४०१ १० ४०१ ४०१ १३ ४०१ १४ ४०१ १५ ४०२ १ ४०२ १० ४०२ १२ ४०२ १४ ४०३ १२ ४०३ १६ ४०३ १० जम्बू० ॥१३४१२ आव०नि० ६५० जम्बू० ३१७० आव०नि० २६७ जम्बू० १३१ दशाश्रुत० ७, व्यव० ९ जम्बू० २०२५ प्रज्ञा० ४/९७१६, उत्तरा० ३६ आव०नि० २६३ आव०नि० ३७९ आव० नि० ४०३ जम्बू० १।१२ प्रज्ञा० २।१५४१५ जम्बू १।१२।८ जीवा० १।३।१५० आव०नि० ४०६ प्रज्ञा० २३ भग० १२१६४४९ स्था० ३०२ प्रज्ञा० २३ प्रज्ञा० २।५२-५३ जम्बू०४८८ जम्बू० ४।८० प्रज्ञा० ४।९८१३३ जम्बू० ७.१७६ कल्प० १७४, १८३ आव०नि० २६७ ज्ञाता. १८८५, आव०नि० ३०५ जीवा० ११३।१२८-१२९, जम्बू. १७-८ कल्प० १४७ प्रज्ञा० २, भग० ११५॥ ४३, जीवा० १।३।८१ प्रज्ञा० २३ चन्द्र. १०।२२१६० आव०नि० २६७ ज्ञाता० १५८८५ जम्बू० ४।८० प्रज्ञा० २, भग० १.५।४३, जीवा० ११३१८१ my Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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