Book Title: Thanangsuttam and Samvayangsuttam Part 3 Tika
Author(s): Abhaydevsuri, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 768
________________ श्री समवायाङ्गसूत्रान्तर्गतविशिष्टशब्दसूचिः ६७९ शब्दः सूत्राङ्कः । शब्दः सूत्राङ्कः पवयणमाता ८ [१] पाओवगमणमरण १७ [१] पवरदित्ततेया १५८, पृ. ४७२ पं. ७ पाओसिया ५ [१] पवरुजलसुकंतविमलगोत्थुभतिरीडधारी पागारा १५८, पृ. ४७२ पं. २ पाठान्तर ७ [२] पवहे २४ [१] पाठो १४७, पृ. ४४७ पं. १३ पवात २५ [१]; ७४ पाडलि १५७, पृ. ४६८ पं. १ पविकत्थई ३० [१], पृ. ३८३ पं. १३ पाणए १९ [२] पविसमाण पाणत __ १९ [३]; ३२ [१]; २० [२] पविसिंसु पाण-भोयण पव्वजा १४१, पृ. ४३९ पं. ३, १४३, पाणमंति १ [७]; ४ [४]; ५ [४] पृ. ४४१ पं. १८; १४४, पृ. ४४२ पाणय २० [१] पं. १५; १४६, पृ. ४४५ पं. १२; पाणविधि १४७, पृ. ४४९ पं. १९ पाणाउ १३ [१]; १४ [१]; १४७, पन्वत १० [१] पृ. ४४८ पं. १३ पव्वय १५८, पृ. ४७२ पं. १४ पाणातिवात ५ [१] पव्वयंतेणं १०८ पाणातिवात किरिया पव्वयरणो पाणातिवातवेरमण २७ [१] पसंतचित्तमाणसा ३४ पाणातिवाय १४६, पृ. ४४५ पं. १४ पसत्थज्झवसाणजुत्ते २९ [१] पाणिणा ३० [१], पृ. ३८१ पं. ३ पसत्थविहायगइणाम २८ [१] पाणे ३० [१], पृ. ३८० पं. २१ पसत्थारं ३० [१], पृ. ३८२ पं. १६ पातोवगतो १४७, पृ. ४५० पं. १ पसिणसतं १४५, पृ. ४४४ ६५ पायच्छित पसिणापसिणसतं १४५ पृ. ४४४ पं. ६ पायच्छित्तकरण ३२ [१] पसेणईए १५७, पृ. ४६३ पं. १५ पायमूले पस्सामि ३० [१], पृ. ३८४ पं. १३ पायावच्चे ३० [१], पृ. ३८५ पं. २ पहराए १५८, पृ. ४७८ पं. १३ पायोवगतो १४३, पं. ४४२ पं. ६ पहाणपुरिसा १५८, पृ. ४७१ पं. ६ पारलोइय ३० [१], पृ. ३८४ पं. ९; १५८, पृ. ४७८ पं. ३ १४१, पृ. ४३९ पं. २; १४२, पहाराइया १८ [१] पृ. ४४० पं.१६; १४३, पृ. ४४१ पहेलियं पं. १८; १४४,पृ. ४४२ पं. १४; पाईणपडिणायया १२२ १४६, पृ. ४४५ पं. १२ पाउणित्ता पारितावणिया पाउब्भावो पालए १ [४] पाओवगमण १४१, पृ. ४३९ पं. ४; पालेमाणे १४२, पृ. ४४१, पं. १; पाव १ [३] १४४, पृ. ४४२ पं. १६: पावअणुभागफलविवागा १४६, पृ. ४४५ १४६, पृ. ४४५ पं. १३ ७२ __पं. १६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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