Book Title: Thanangsuttam and Samvayangsuttam Part 3 Tika
Author(s): Abhaydevsuri, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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शब्दः
asव्वयसरीर वेडव्वियसरीरंगो वंगणामं वेव्वयसरीरनाम
वे
जयंत
वेजयंती
asard
वेढा
वादी
वेतिया
वेमाणियावास वेगसम्मत्तबंधोवरय वेयणअधियासणता
वेयणतिया
वेणा
सूत्राङ्गः
१५२, पृ. ४५७ पं. ९
२८ [१] २८ [१]
१५६, पृ. ४६२ पं. ११ ३१[२]; ३२[३]; ३३[२]; ३७, ५५; १४९, पृ. ४५२ पं. ७ १५१, पृ. ४५६ पं. १६ १५७, पृ. ४६५ पं. १५; १५८, पृ. ४७१ पं. ३
१५७, पृ. ४६८ पं. ३ १३६, पृ. ४३४ पं. १४ १३७, पृ. ४३५ पं. ९
वेयण-विहाण-उवओग-जोग
इंदिय कसाय
वेयणासमुग्धात
वेयणिय
वेयरणी
वेयालिए
वेयावच्च
वेरमणं
वेलं
वेलंधर
वेसमण
वेह
वेहासमरण
वोकम्म
वोच्छिन्ना
सइ
सइंदया सउज्जोय
श्री समवायाङ्ग सूत्रान्तर्गत विशिष्टशब्द सूचिः
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१२[१]
१५०, पृ. ४५५ पं. १३
२७ [१]
२७ [१]
१८ [१]
१३९, पृ. ४३७ पं. ९
१ [३]; १५३, पृ. ४५९ पं. ८
६ [१]; ७ [१]
५८
१५ [१]
१६ [१]; २३ [१]
६ [१]; १२ [१] ५ [१]
७२
१७ [१]
७८ ३० [१], पृ. ३८५ पं. २
१४६, पृ. ४४६ पं. ४
१७ [१]
३० [१], पृ. ३८३ पं. ४
१५७, पृ. ४६३ पं. २
१८ [१] २४ [१]
१५०, पृ. ४५४ पं. १३ १५०, पृ. ४५६ पं. ४
शब्द:
सउणरुतं
एकतारे
संकमित्ता
संकरिसण
संकि लिट्ठपरिणाम
संख
संगणी
संख-चक्क-गय-सत्ति-णंदगधरा
संगाणं
संघयण
संघयणणाम
संघाएइ
संघाडे
दुब्बलाणं
संछन्नपत्त पुप्फ पल्लव समाउलो
संजइज
संजम
संजयं
संजलण
२५[१]
४२; ४३; ५२; ५७; ८७; १५७, पृ. ४६५ पं. ११; १५८, पृ. ४७६ पं. १४; १५९, पृ. ४८० पं. ८
संजमपतिष्णापालणधिइमतिववसाय
संजू हं संठाण
१००
સ્
१५८, पृ. ४७८ पं. ९
संठाणणाम
संतकम्म
संतकम्मंसा
संती
६९५
सूत्राङ्गः
७२
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१५८, पृ. ४७२ पं. २ १४१, पृ. ४४० पं. ६; १४४, पृ. ४४४ पं. १; १४६, पृ. ४४७ पं. २ ३२ [१]
१४७, पृ. ४४९ पं. १९, १५५,
पृ. ४६० पं. १९
४२
६९
१९[१]
३४
३६
90[9]
१४१, पृ. ४३९ पं. ६ ३०[१], पृ. ३८३ पं. ३ १६[१]; २०[१]: २१
[१]; ५२ १४७, पृ. ४४८ पं. ४ १४७, पृ. ४४९ पं. १९; १५२, पृ. ४५९ पं. ४; १५५, पृ. ४६१ पं. १३
४२
२१ [१]; २६ [१]; २८ [१] २७ [१]
४०; ७५; ८९; ९३; १५८, पृ. ४७० पं. ५
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