Book Title: Thanangsuttam and Samvayangsuttam Part 3 Tika
Author(s): Abhaydevsuri, Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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शब्दः
दुवालसावत्ते
दुबिट्टू
दुसरनामं दुहविवाग
दूसम
दूसमदूसमा
देवई
देवउत्त
देवकुरु देवकुरु - उत्तरकुरिया
देवकुरु- उत्तरकुरु
देवगति
देवगतिनाम
देवजुर्ति
देवाण
देवदसण
देवलोगगमण
देवासुरमाणुस
देवाहिदेव
देविंद
देविडि देवी
ठा. ४३
श्री समवायाङ्गसूत्रान्तर्गतविशिष्टशब्दसूचिः
सूत्राङ्कः
१२[१]
१५८, पृ. ४७८ पं. ७
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२८[१]; ४२.
१४६, पृ. ४४५ पं. ६
२१[१]
२१ [१]
१५८, पृ. ४७० पं. १९; १५८,
पृ. ४७६ पं. १५
१५८, पृ. ४७६ पं. २; १५८, पृ. ४७९ पं. ८
१५७, पृ. ४६५ पं. १९
५३
४९
२८ [१]
२८ [१]
90[9]
२४[१]
देवसम्म देव सहस्स
देवसेण
देवाउए
देवानंद देवावीणामं देवाणुभावं
देवासुर - नाग- सुवण्ण-जक्ख- रक्खस
किंनर - किंपुरिस - गरुल - गंधव्वमहोरगा
१० [१]
१४१, पृ. ४३९ पं. ४; १४२, पृ. ४४१ पं. १; १४६, पृ. ४४५ पं. १३; १४७, पृ. ४४९ पं. १८
१५८, पृ. ४७४ पं. १२
७७
१५८, पृ. ४७९ पं. ७
३१[१]
१५८, पृ. ४७९ पं. १०
२८[१] १० [१]
३४
१४४, पृ. ४४३ पं. ६
२४ [१] ३२ [१]; ६०; ७० 90 [9] १५७, पृ. ४६४ पं. १७, १५८,
शब्दः
देवे
देवोaare
देसकहा
देसोधी
दो
दोच्च चउत्थ-पंचम-छट्ट-सत्तमासु
दोच्चा १ [६]; २ [३]; ३ [३]; २५ [१], ८६; १४९, पृ. ४५३ पं. १५
दोभाकरं
दोमासिया
दोस
दोसबंधण
धंसिया
धंसेई
धणदत्त
धणिट्ठाइया
धणिट्ठानखत्त
धणु
धणुद्धरा
धणुपट्टा
धन्वेयं
धणुसत
धणूवट्ठा
धन्ने
धम्म
धम्मकहा
धम्मखे
६७३
सूत्राङ्कः
पृ. ४७० पं. १; १५८, पृ. ४७० पं. १०
३० [१], पृ. ३८४ पं. १३ १५८, पृ. ४७६, पं. ८; १५८,
पृ. ४७९ पं. १२ 8 [9] १५२, पृ. ४५९ पं. ४ २ [१]
३९
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७२
१२ [१]; २८ [१]
५२
२ [१] ३० [१], पृ. ३८१ पं. १७
३० [१], पृ. ३८१ पं. १३
१५८, पृ. ४७२ पं. १४
७
[२]
[२]
५
१० [१]; १५ [१]; ९६ १५८, पृ. ४७२ पं. १३
५७ ८४ ९८
७२
१०८ ३८
१५७, पृ. ४६७ पं. ६ १ [३]; ४ [१]; १६ [१]
२३ [१]; ४५; ४८ १४१, पृ. ४३९ पं. २; १४१, पृ. ४४० पं. ८; १४२, पृ. ४४० पं. १६; १४३, पृ. ४४१ पं. १८; १४४, पृ. ४४२ पं. १४; १४६, पृ. ४४५ पं. ९ १४६, पृ. ४४५ पं. ११
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