Book Title: Terapanth Mat Samiksha
Author(s): Vidyavijay
Publisher: Abhaychand Bhagwan Gandhi

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Page 44
________________ तेरापंथ-मत-समीक्षा । ३९ mmwwwmmmmmmmmmmmm.marimm क्या नाम जड नहीं है ? नामभी जड है। नामको मानकरके भी स्थापनाको नहीं मानना, इस जैसी अज्ञानता दूसरी क्या हो सकती है ? लेकिन ठीक है, जिनके अन्तःकरणोंमें मिथ्यात्वरूप पिशाचने प्रवेश किया है, वे तत्वको कैरे देख सकते हैं ?। देखिये, जैसे नाम और नामवालेका संबंध है वैसे स्थापना और स्थापनावालेका भी संबन्ध है। अतः नाम माननेवालोंको स्थापनाको भी मान देनाही चाहिये । अकेले नामसे कभी कार्य नहीं हो सकता। जैसे किसी शहरमें किसीका लडका गुम हो गया और उस लडकेके पिताने पोलीसमें यह सूचनादी कि-मेरा केसरीमल्ल नामका लडका गुम हो गया । इतनेही मात्रसे पुलीसकी यह ताकत नहीं है कि-सिर्फ · नामसेही उसकी तलाश करके उसके पिताको दे दे। चाहें पुलीस भलेही केसरीमल्ल नामके हजारों लडकोंको इकठे करे, परन्तु जब तक जो केसरीमल्ल गुम हो गया है, उसकी आकृति वगैरहका ज्ञान पुलीसको नहीं होगा, वहां तक उसका सारा परिश्रम व्यर्थही होगा । वैसे सिवाय प्रतिमा माननेके केवल नामसे काम चलता नहीं है । 'महावीर' इस नामका कई जगह प्रयोग होता है । 'महावीर' हनुमानका नाम है, 'महावीर' सुभटका नाम है । 'महावीर' किसी व्यक्तिका नाम है। और 'महावीर' परमात्मा 'वार' का भी नाम है। अब 'महावीर' 'महावीर' 'महावीर' ऐसा जाप करनेसे कोई यह पूछे कि कौनसे महावीरका जाप करते हो? तब यह कहना. ही पडेगा कि-सातपुत्र, त्रिशलानन्दन, क्षत्रियकुंड -ग्राममें जन्म लेने वाले, तथा सात हाथका जिनका शरीर था, ऐसे महावीर देक्का जाप करते हैं । जब महावीर देवकी प्रतिमा हमारे

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