Book Title: Terapanth Mat Samiksha
Author(s): Vidyavijay
Publisher: Abhaychand Bhagwan Gandhi

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Page 85
________________ तेरापंथ-मत समीक्षा। व्यवहारसे वैसा आधिकार नहीं है। जहाँ जहाँ जैसा अधिकार होता है, वहाँ वहाँ वैसा ही कार्य करना उचित है। प्रिय पाठक ! तेरापंथियोंके पूछे हुए तेइस प्रश्नोंके उत्तर समाप्त हुए । उनके पूछे हुए प्रश्न कैसे अशुद्ध तथा निर्माल्य थे, पाठक अछी तरह देख गये हैं । अस्तु ! जब हम तेरापंथियोंके अभिनिोशकी तरफ ख्याल करते हैं, तब हमें यही विश्वास होता है-कि तइना परिश्रम करनेपर भी उन लोगोंको कुछ भी लाभ होनेवाला नहीं है । और यदि हो जाय नो बड़े सौभाग्यकी बात है । खर, उनको लाभ हो चाहे न हो, परन्तु इतर लोगोंको इससे अवश्य लाभ पहुँचेगा, यह हमें हठ विश्वास है । बस, इसीमें हम अपने परिश्रमकी सफलता मानते हैं।

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