Book Title: Terapanth Mat Samiksha
Author(s): Vidyavijay
Publisher: Abhaychand Bhagwan Gandhi

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Page 92
________________ - तेरापंथ-मत समीक्षा। १९ दुःखी जीवको, दुःखसे मुक्त नहीं करना, ऐसा किस मूत्रमें कहा है ?। २० जीवको मारनेमें एक पाप और छुडानेमें अगरह पाप लगते हैं, ऐसा किस सूत्रमें कहा है ? । ___ २१ तुम्हारे किसी साधुकी आँखोंका तेन कम होजाय, तो वह चश्मा रक्खे या नहीं ? अगर नहीं रक्खेगा, तो जीवदया कैसे पालेगा? । चश्मा नहीं रखना, ऐसा किस सूत्रों कहा है । २२ तुम्हारे साधु, निरन्तर मूंहपर काडा बांधे रहते हैं, इसका क्या कारण है ? इस तरह मूंह छिपा रखनेकी किस मूत्रमें आज्ञा दी है ?। २३ मुहपत्तीमें दोरा रखनेका किस मूत्रमें फरमाया है ? । २४ कुष्टेका गद्दी-तकिया जैसा बना करके, ऐश-आराम करना, यह किस सूत्रमें कहा है ? । २५ रात्रीके पडे हुए कपडोंकी पडिलेहणा साध्वियोंसे करानी, यह किस सूत्रमें कहा है ? । - २६ साध्वियोंको पडदेके अन्दर लेजाकरके आहार करना, यह किस सूत्रमें कहा है ?।। . २७ प्रातःकाल उठ करके, साधुओंने. मक्खन तथा मिश्री खाना, यह किस सूत्रका फरमान है । ... २८ साधु होकरके दिनभर चिकनी सुपारी खाया करना, यह किस सूत्रमें कहा है । .. २९ पुस्तकादिका बोझा साध्वियोंसे उठवाना, यह किस सूत्रमें कहा है।

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