Book Title: Terapanth Mat Samiksha
Author(s): Vidyavijay
Publisher: Abhaychand Bhagwan Gandhi

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Page 90
________________ तेगाव-भाव-समीक्षा तेरापंथियोंसे ७५ प्रश्न १ - तेरापंथी' ऐसा कहनेमें तुम्हारे पास शास्त्रीयप्रमाण क्या है ? कदाचित् ऐसी ही कल्पना करोग कि-तेरह मनुष्य निकले थे, इस लिये 'तेरापंथ' कहते हैं, तो यह भी ठीक नहीं है। क्योंकि-तेरहमें से सातोंने तो तुम्हारा साथ छोड़ ही दिया था, तो फिर तुमको 'छपंथी' क्यों न कहा जाय । ___ २ इतिहाससे तुम्हारे मतको प्राचीन सिद्ध कर सकते हो? अगर कर सकते हो तो कर दिजलाओ। ३ 'क्तीस ही सूत्रमानने, अधिक नहीं, ' यह आत कौनसे सूत्रमें लिखी है ? । तथा तुम्हारे माने हुए बत्तीस सूत्रोंमें, दूसरे जिन २ सूत्रोंके नाम आते हैं, उन २ सूत्रों को क्यों नहीं मानते ?। ४ 'महावीर स्वामी चूके' ऐसा अपने आपसे कहते हो ? या किसी सूत्रमें भी कहा है ? सूत्रमें कहा हो तो, उस सूत्रके नामके साथ पाठ दिखलाओ। ५ सालमें दो दफे पाटमहोत्सव करते हो, यह विधि कोनसे सूत्रमें लिखी है । ६ तुम्हारे साधु दो-ढाई हाथका ओघा रखते हैं, यह किस सूत्रके कौनसे पाठके आधारसे रखते हैं ? ७ तुम्हारे पूज्यके पाट-पट्टे साध्वियाँ विछाती हैं, यह किस जैनमूत्रके आधारसे ?। ८ तुम्हारे साधु, साधियोंके पास गोचरी मँगवाकर आहार करते हैं, यह कौनसे सूत्रके आधारसे ?।

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