________________ तत्त्वार्थश्लोकवार्तिक * 308 प्रयत्नानंतरीयकत्वनिमित्तस्य वाऽनित्यत्वस्य घटादौ दर्शनात्। ततो विषमोयमुपन्यासः इति त्यज्यतां सर्वार्थेष्वविशेषप्रसंगात् प्रत्यवस्थानं / यदि तु सर्वेषामर्थानामनित्यता सत्वस्य निमित्तमिष्यते तदापि प्रत्यवस्थानादनित्याः सर्वे भावाः सत्त्वादिति पक्ष: प्राप्नोति तत्र च प्रतिज्ञार्थव्यतिरिक्तं क्वोदाहरणं सम्भवेन्न चानुदाहरणो हेतुरस्तु / उदाहरणसाधात् साध्यसाधनत्वं हेतुरिति समर्थनात् / पक्षकदेशस्य प्रदीपज्वालादेरुदाहरणत्वे साध्यत्वविरोध: साध्यत्वे तदाहरण विरुध्यते। न च सर्वेषां सत्त्वमनित्यत्वं साधयति नित्यत्वेपि केषांचित्सत्त्वप्रतीतेः। संप्रति सिद्धार्थानां सर्वेषामनित्यतायां कथं शब्दानित्यत्वं प्रतिषिध्यते सत्त्वैरिति परीक्ष्यतां / सोयं सर्वस्यानित्यत्वं साधयन्नैव शब्दानित्यत्वं प्रतिषेधतीति कथं स्वस्थः?॥ प्रयत्नानन्तरीयकत्व निमित्त अनित्य का घट, पट आदि अनित्य पदार्थों में भी दर्शन हो रहा है (दृष्टिगोचर हो रहा है), अतः प्रतिवादी का अविशेषसम जाति निरूपक उपन्यास (उदाहरण) विषम पड़ता है। इसलिए प्रतिवादी को सम्पूर्ण पदार्थों में अविशेषता के प्रसंग से प्रत्यवस्थान (दूषण) देने का विचार छोड़ देना चाहिए।' अर्थात् कहीं कृतकत्व, प्रयत्नानन्तरीयकत्व आदि में हेतु के धर्मव्याप्ति, पक्षधर्मत्व, सपक्षसत्त्व आदि का अस्तित्व है। और कहीं सत्त्व, प्रमेयत्व आदि हेतुओं में अनित्यपन साध्य के उपयोगी व्याप्ति पक्षवृत्तित्व आदि हेतु धर्म नहीं पाये जाते हैं। अतः प्रतिवादी द्वारा प्रतिषेध होने की असंभवता है। ___ यदि सर्व पदार्थों के सद्भाव की उत्पत्ति का निमित्त कारण अनित्य धर्म माना जाता है, तो “सर्व पदार्थ अनित्य हैं सत्त्व होने से"- यह पक्ष प्राप्त होता हैं। परन्तु इस पक्ष में प्रतिज्ञा अर्थ से व्यतिरेक उदाहरण कहाँ संभव हो सकता है? अर्थात् सत्त्व हेतु से सम्पूर्ण पदार्थों में अविशेष रूप से अनित्यपना सिद्ध करने पर अन्वय दृष्टान्त या व्यतिरेक दृष्टान्त बनाने के लिए कोई पदार्थ शेष नहीं रहता है। और उदाहरण रहित हेतु समीचीन नहीं होता है। क्योंकि उदाहरण के साधर्म्य से (सामर्थ्य से) ही साध्य का अविनाभावी साधन (कारण) हेतु है, ऐसा समर्थन किया जाता है। पक्ष के एकदेश में स्थित प्रदीप की ज्वाला आदि को उदाहरण स्वीकार करने पर साध्यत्व का विरोध आता है। और ‘सर्व अनित्य है', इस साध्य को स्वीकार करने पर उदाहरण विरुद्ध पड़ता है। ___ भावार्थ - जब पदार्थ अनित्य हैं सत्त्व होने से, इसमें सर्व पदार्थों को पक्ष बना लेने पर उदाहरण के लिए कोई पदार्थ नहीं रहता है। यदि दीपक की कलिका या बिजली आदि का उदाहरण देते हैं, तो दीप आदि भी पदार्थ होने से पक्ष कोटि में है। अत: “सर्व अनित्य है" - इस साध्यत्व में विरोध आता है। तथा दीपक की कलिका को यदि साध्य मानते हैं, तो वह उदाहरण नहीं बन सकता। इसलिए “सत्त्वत्वात्" यह हेतु सभी पदार्थों के अनित्यत्व को सिद्ध नहीं कर सकता है। क्योंकि ‘सत्त्व' नित्य आकाश आदि में भी पाया जाता है। अर्थात् आकाश, आत्मा आदि नित्य पदार्थों में भी सत्त्व प्रतीत होता है। अतः नित्य या अनित्य को सिद्ध करने के लिए दिया गया सत्त्व हेतु व्यभिचारी है, क्योंकि सत्त्व हेतु नित्य और अनित्य दोनों में पाया जाता है।