Book Title: Tattvarthashloakvartikalankar Part 04
Author(s): Suparshvamati Mataji
Publisher: Suparshvamati Mataji

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Page 354
________________ तत्त्वार्थश्लोकवार्तिक * 341 87 134 135 135 136 श्लोक पृष्ठ सं. | श्लोक पृष्ठ सं. | श्लोक शष्कुलीभक्षणादौ तु 56 | शेषा विप्रतिपत्तित्वं 272 | सर्वथैकांतवादे तु 85 शब्दाद्विनश्वराद्धेतु- 79 | (ष) स च सत्प्रतिपक्षोत्र शब्दादौ चाक्षुषत्वादि 79 | षड्विकल्प: समस्तानां 8 | संवादित्वात्प्रमाणत्वं शब्दत्वश्रावणत्वादि | (स) सरागप्रतिपत्तॄणां शब्दव्यापाररूपो वा 94 | सर्वपर्यायमुक्तानि 30 | सत्संयमविशेषोत्थो 119 शब्दब्रह्मेति चान्येषां 140 | सर्वानतींद्रियान् वेत्ति ___41 | संक्षेपाद् द्वौ विशेषेण / 124 शब्दकालादिभिर्भिन्ना * 154 | सर्वस्य सर्वदात्वे तत् 57 | संकल्पो निगमस्तत्र शब्दात्पर्यायभेदेन 160 | समोपयुक्तता तत्र 58 | संग्रहे व्यवहारे वा शब्दो सर्वगतस्तावत् 213 संस्कारस्मृतिहेतुर्या 59 | सप्तैते नियतं युक्ता शब्दान्नित्यत्वसिध्यर्थं 215 | सर्वघातिक्षयेऽत्यंत | संवेदनार्थपर्यायो शब्दान्वाख्यानवैयर्थं 235 | स च सामान्यतो मिथ्या 62 सर्वथा सुखसंवित्यो 136 शब्दो विनश्वरो मर्त्य 295 | समुच्चिनोति चस्तेषां 62 | सच्चैतन्यं नरीत्येवं 136 शब्दोऽनित्योस्तु तत्रैव 305 / समानोर्थपरिच्छेदः 67 | सद्व्यं सकलं वस्तु 137 शब्दान्नित्यत्वसिद्धिश्च 310 | स चाहार्यो विनिर्दिष्टः 70 | सत्त्वं सुखार्थपर्यायात् 138 शब्दस्यावरणादीनि 314 सति स्वरूपतोऽशेषे ___70 | समेकीभावसम्यक्त्वे 139 शब्दाश्रयमनित्यत्वं 320 सत्यसत्त्वविपर्यासाद् __75 संग्रहेण गृहीतानां. 142 शाश्वतस्य च शब्दस्य 295 || सति त्रिविप्रकृष्टार्थे 75 | स चानेकप्रकार: स्यात् 142 शुद्धद्रव्यमशुद्धं च 137 सत्वादिः सर्वथा साध्ये 79 संयोगो विप्रयोगो वा 145 शुद्धद्रव्यार्थपर्याय 138 | संदेहविषयः सर्वः समुदायः क्व च प्रेत्य 145 शुद्धद्रव्यमभिप्रैति .. सन्नप्यज्ञायमानोत्र | सन्मात्रविषयत्वेन 159 श्रुतेनार्थं परिच्छिद्य 27 | सत्वादिः क्षणिकत्वादौ | संग्रहाद्व्यवहारोपि 159 श्रुतस्यावस्तुवेदित्वे _____ 28 | संशीत्यालिंगितांगस्तु 83 | संग्रहादेश्च शेषेण शेषा मनुष्यतिर्यंचो सति ह्यशेषेवेदित्वे 85 | सर्वे शब्दनयास्तेन 80 161 173

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