Book Title: Tattvarthadhigamsutra tatha Tena Uper Rachayel Sahityani Suchi
Author(s): Jitendra B Shah
Publisher: Shrutratnakar
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प्रथमोऽध्यायः
सम्यग्दर्शनज्ञानचारित्राणि मोक्षमार्गः ॥१॥ तत्त्वार्थश्रद्धानं सम्यग्दर्शनम् ॥२॥ तन्निसर्गादधिगमाद्वा ॥३॥ जीवाजीवात्रवबन्धसंवरनिर्जरामोक्षास्तत्त्वम् ॥४॥ नामस्थापनाद्रव्यभावतस्तन्न्यासः ॥५॥ प्रमाणनयैरधिगमः ॥६॥ निर्देशस्वामित्वसाधनाधिकरणस्थितिविधानतः ॥७॥ सत्संख्याक्षेत्रस्पर्शनकालाऽन्तरभावाऽल्पबहुत्वैश्च ॥८॥ मतिश्रुताऽवधिमनःपर्यायकेवलानि ज्ञानम् ॥९॥ तत् प्रमाणे ॥१०॥ आद्ये परोक्षम् ॥११॥ प्रत्यक्षमन्यत् ॥१२॥ मतिः स्मृतिः संज्ञा चिन्ताऽभिनिबोध इत्यनर्थान्तरम् ॥१३॥ तदिन्द्रियाऽनिन्द्रियनिमित्तम् ॥१४॥ अवग्रहहावायधारणाः ॥१५॥ बहुबहुविधक्षिप्रानिश्रितासन्दिग्धधुवाणां सेतराणाम् ॥१६॥ अर्थस्य ॥१७॥ व्यञ्जनस्याऽवग्रहः ॥१८॥ न चक्षुरनिन्द्रियाभ्याम् ॥१९॥ श्रुतं मतिपूर्वं द्वयनेकद्वादशभेदम् ॥२०॥ द्विविधोऽवधिः ॥२१॥ तत्र भवप्रत्ययो नारकदेवानाम् ॥२२॥ यथोक्तनिमित्तः षड्विकल्पः शेषाणाम् ॥२३॥

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