Book Title: Tao Upnishad Part 05
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

Previous | Next

Page 344
________________ ताओ उपनिषद भाग ५ इतने धर्मगुरु हैं, इतने मस्जिद-मंदिर, इतने चर्च, इतने गुरुद्वारे, सारी पृथ्वी पटी पड़ी है। सब तरफ चरित्र दिया जा रहा है। और चरित्र मिल किसी को भी नहीं रहा है। सब तरफ ज्ञान बांटा जा रहा है। और ज्ञान किसी के पल्ले नहीं पड़ रहा है। इतनी वर्षा हो रही है ज्ञान की सब तरफ; किसी को ज्ञान पल्ले नहीं आ रहा। बात क्या है? शायद देने वालों के पास वह नहीं है जो वे देना चाह रहे हैं। उनकी भाव-भंगिमा थोथी और नपुंसक है-इंपोटेंट गेस्चर। वे कोशिश पूरी कर रहे हैं देने की, मगर देने योग्य कुछ है नहीं। वे सिर्फ भाव-भंगिमा दिखला रहे हैं। किसी के हाथ कुछ पड़ता नहीं। पड़ नहीं सकता। इसे याद रखना। यह तुम्हारे जीवन में क्रांति बन जाएगी। लाओत्से यह कह रहा है कि अगर भेंट ही देनी हो तो उन वचनों की देना जिनमें अमृत की थोड़ी झलक है; उस चरित्र की देना जिसमें ताओ के खजाने का धन है; या उस स्वभाव की देना जिसको संतों ने जाना और जीया है। 'किस बात में पूर्व-पुरुषों ने इस ताओ को मूल्य दिया था? क्या उन्होंने नहीं कहा था, अपराधियों को खोजने और उन्हें माफ कर देने को? इसलिए ताओ संसार का खजाना है।' लोग बुरे हैं, तुम उन्हें माफ कर देना। उनके बुरे होने से कुछ फर्क नहीं पड़ता। अगर उन्हें बहुत लोग माफ करने वाले मिल जाएं, उनका बुरा होना समाप्त हो जाए। लोग बुरे हैं, क्योंकि माफ करने को कोई भी राजी नहीं है। लोग बुरे हैं, क्योंकि चारों तरफ उनकी बुराई को और भी बुराई बना देने के लिए आतुर बैठे हुए लोग हैं। लोग बुरे हैं, क्योंकि जो लोग भले हैं वे उनको बुरे देखना चाहते हैं और उन्हें बुरे रखना चाहते हैं। नहीं तो उनकी भलाई थोथी हो जाएगी। लोग बुरे हैं, क्योंकि सारा समाज उन्हें बुरे की भेंट दे रहा है। कोई उन्हें माफ नहीं करना चाहता। जीसस ने एक कहानी कही है। जीसस से एक आदमी ने पूछा कि मैंने बहुत पाप किए हैं, और मुझे भरोसा नहीं आता कि परमात्मा मुझे क्षमा कर देगा। और जीसस की तो सारी प्रक्रिया क्षमा की है। जैसे महावीर की सारी प्रक्रिया अहिंसा की है, और बुद्ध की. सारी प्रक्रिया करुणा की है, जीसस की सारी प्रक्रिया क्षमा की है। जीसस ने कहा कि तुम परमात्मा की फिक्र मत करो, तुम्हारे प्रति जिन लोगों ने अपराध किए हों, तुम उन्हें क्षमा कर दो; बाकी मैं देख लूंगा, मैं गवाह रहूंगा। और जब परमात्मा तुम्हारे पापों की बात उठाएगा तो मैं गवाह रहूंगा कि इस आदमी ने क्षमा किया था हृदयपूर्वक। और जिसने क्षमा किया है वह क्षमा पाने का अधिकारी हो गया। और जीसस ने उसे एक कहानी कही। कहा कि एक सम्राट ने अपने वजीर को कई करोड़ रुपए उधार दिए थे। उसने सब बरबाद कर दिए, एक कौड़ी वापस न लौटाई। आखिर सम्राट ने उसे बुलाया और कहा कि अब यह बहुत हो गया। तुम धन वापस लौटाते हो? उलटे तुम और मांगे चले जा रहे हो। लौटाते तो नहीं, मांगते हो। वह आदमी सम्राट के चरणों पर गिर पड़ा। और उसने कहा, मुझे माफ कर दें। वह सब तो बरबाद हो गया, मेरे पास लौटाने को है भी नहीं; आपकी कृपा का भिखारी हूं। उस सम्राट को दया आई। पुराना सेवक था। हो गई भूल। सम्राट ने कहा, ठीक, मैंने तुझे माफ किया। बात भूल जा, जैसे मैंने तुझे कभी दिए ही नहीं। अपने मन से बोझ हटा दे। उस वजीर ने उन्हीं रुपयों में से, जो सम्राट के वह पा गया था, कई लोगों को कर्ज दिया था। और वह बहुत सख्त आदमी था। और दूसरे ही दिन ऐसा हुआ कि उसके ही एक नौकर को जिसे उसने कुछ सौ रुपए दिए थे, उसने कोड़ों से पिटवाया, क्योंकि वह वापस नहीं लौटा पा रहा था। सम्राट को खबर लगी। सम्राट ने वजीर को बुलाया और उसने कहा कि तू क्षमा के योग्य नहीं है। जब मैंने तुझे क्षमा कर दिया तो भी तू क्षमा नहीं कर पा रहा है। और वे वे ही रुपए हैं जिनके लिए मैंने तुझे क्षमा कर दिया है। और तूने नौकर को कोड़े लगवाए! जीसस कहते हैं, सम्राट ने उस आदमी को कोड़े लगवाए और कहा कि वह क्षमा वापस ले ली गई। 334

Loading...

Page Navigation
1 ... 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440