Book Title: Swadeshi Chikitsa Swavlambi aur Ahimsak Upchar Author(s): Chanchalmal Choradiya Publisher: Swaraj Prakashan Samuh View full book textPage 5
________________ लेखक की ओर से भौतिक विज्ञान के तीव्र विकास से स्वास्थ्य विज्ञान भी प्रभावित हुआ और आधुनिक चिकित्सा के नाम से विख्यात एलोपैथिक चिकित्सा सारे विश्व में मान्य हो. . गई। शल्य चिकित्सा के द्वारा पूर्व में असाध्य समझे जाने वाले रोगों का उपचार सम्भव होने लगा। यंत्रों ओर रासायनिक परीक्षणों के आधार पर निदान को जनसा पारण स्वीकारने लगा। उपचार में तुरन्त राहत मिलने के कारण चिकित्सा के दुष्प्रभावों के बावजूद एलोपैथिक चिकित्सा को ही सर्वश्रेष्ठ मान अन्य चिकित्साओं को वैकल्पिक समझ जनसाधारण की उनके प्रति उपेक्षा होने लगी, परन्तु वास्तव में स्थिति ठीक इसके विपरीत है। एलोपैथिक चिकित्सा सभी रोगों में सदैव प्रभावशाली भी नहीं होती। आज उपचार किया जाता है, होता नहीं है। उपचार न तो सहज है, न सरल है, न सस्ता है। आज की महंगी चिकित्सा व खर्चीली दवाइयों का उपयोग जनसाधारण के लिए सम्भव नहीं जनसाधारण किसी बात को तब तक स्वीकार नहीं करता, जब तक उसे आधुनिक विज्ञान द्वारा प्रमाणित और मान्य नह, कर दिया जाता। परन्तु चिकित्सा के क्षेत्र में आधुनिक चिकित्सकों की सोच आज भी प्रायः शरीर तक ही सीमित होती है। मन एवं आत्मा के विकारों को दूर कर मानव को पूर्ण स्वस्थ बनाना उनके सामर्थ्य से परे है। फलतः आधुनिक चिकित्सा में अहिंसा-हिंसा, करणीय-अकरणीय, न्याय-अन्याय, वर्जित अवर्जित, भक्ष्य अभक्ष्य का विवेक उपेक्षित एवं गौण होता है। जो प्रकृति के सनातन सिद्धान्तों के विपरीत होने के कारण उपचार अस्थायी, दृष्प्रभावों की सम्भावनाओं वाला हो सकता है। वास्तव में जो चिकित्सा शरीर को स्वस्थ, शक्तिशाली, ताकतवर, रोगमुक्त बनाने के साथ-साथ मन को संयमित, नियन्त्रित, अनुशासित और आत्मा को निर्विकारी, पवित्र एवं शुद्ध बनाती है। - विभिन्न चिकित्स पद्धतियों से जुड़े चिकित्सकों से विनम्र अनुरोध है कि वे अपने और अपनी चिकित्सा के अहंकार को छोड़ व्यापक दृष्टिकोण अपनाएँ ताकि पीड़ित मानवता को सहज, सस्ती, स्थायी, स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध हो सकें। मैं आभारी हूँ मेरे स्वर्गीय माता-पिता एवं स्वर्गीय जैनाचार्य हस्तीमलजी महाराज साहब का जिन्होंने मेरे जीवन में सद संस्कारों का रोपण किया। मैं आजादी बचाओ आन्दोलन और राजीव भाई का भी आभारी हूँ कि आंदोलन की तरफ से भी यह किताब छप रही है। मुझे पूरी आशा है कि यह किताब अपने उद्देश्य में पूरी तरह सफल रहेगी। . डॉ. चंचलमल चोरडिया 4 . ..Page Navigation
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