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श्रुतदेवता की स्तुति-२ कमलदल की स्तुति
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मूत्र सूत्र :
कमलदलविपुलनयना, कमलमुखी कमलगर्भसमगौरी । कमले स्थिता भगवती, ददातु श्रुतदेवता सिद्धिम् ॥ १ ॥
पद - १ गाथा-१ संपदा-४, गुरुअक्षर-४, लघुअक्षर- ४० कुल अक्षर-४४ अन्वय सहित शब्दार्थ :
कमलदलविपुलनयना कमलमुखी कमलगर्भसमगौरी ।
कमले स्थिता भगवती श्रुतदेवता (मम) सिद्धिं ददातु ।।
कमल पत्र तुल्य विशाल नयनों वाली, कमल जैसी मुखवाली, कमल के मध्यभाग के समान गौरवर्णवाली, कमल पर बिराजमान पूज्य श्रुतदेवी (सरस्वती देवी ) ( मुझे श्रुतसंबंधी) सिद्धि दें ।
विशेषार्थ : प्रतिक्रमण में बोली जानेवाली इस स्तुति में श्रुतदेवी के शरीर की विशेषताओं का वर्णन करके, उनसे श्रुतज्ञान संबंधी सिद्धि की प्रार्थना की गई है।
श्रुतदेवी की स्तुति करते समय उनको विशेष रूप से चित्त में