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लघु शांति स्तव सूत्र
सूत्र परिचय :
इस सूत्र में शांतिनाथ भगवान की स्तुति की गई है, इसलिए इसका नाम 'शांति स्तव' है । पंच-प्रतिक्रमण में आनेवाले बृहत् शांतिस्तोत्र से यह सूत्र छोटा है इसलिए इसे 'लघुशांति' भी कहा जाता है ।
इस सूत्र की रचना के पीछे एक महत्त्वपूर्ण इतिहास है । वीर निर्वाण की लगभग सातवीं सदी के अंत में तक्षशिला नाम की महानगरी में शाकिनी नाम की व्यंतरी ने उपद्रव किया । इससे पूरे नगर में मरको नाम का रोग फैल गया । श्रीसंघ के अनेक सदस्य मृत्यु के मुह में जाने लगे । इस हालत से चिंतातुर, संघ के अग्रणियों ने शासन रक्षक देवदेवियों का स्मरण किया। शासनदेव ने प्रत्यक्ष होकर बताया कि नाडोल नगर में परम तपस्वी, निर्मल-ब्रह्मचारी, परोपकारनिष्ठ प.पू.मानदेवसूरीश्वरजी महाराज बिराजमान हैं । उनके पाद-प्रक्षालन का जल संघ के प्रत्येक घर के ऊपर छिटकने से उपद्रव शांत हो जाएगा । शासनदेव की बात सुनकर संघ के अग्रिम श्रावक तुरंत ही नाडोल पहुँचे । वहाँ सूरिजी ध्यान में मग्न थे । संघ के