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ना (ज्यां सुधी या पट्ट तमने पालो न श्रापीए, त्यां सुधी अमे जमशुं नहीं एवा) सर्गधयो. सोगनोए करीने, ते अजयकुमाररूप व्यापारीना चित्तने विश्वास उपजावीने पनी पट्टने लइ तत्काल ते राजकुमारी सुजेष्टानी पासे श्रावीने तेणीना हस्तकमसने विषे थाप्यो. ॥ ५६ ॥ उत्तम रूप रेखाथी व्याप्त अने मनोहर एवा ते श्रेष्ठ पट्टमा
सुरूपरेखाकलितं मनोहरं, विलोकयंती पैटरूपमुच्चकैः ॥ तेदेकताना हृदये चिरीदिति, विकल्पसंकल्पवशा बनूव सा॥५॥ किंमेष इंः किमुवाय चमाः, किमाश्विनेयः किमुवार्थ भास्करः॥ किमेष कॉमः किमु कत्तिकासुतः, पैरोऽथ वा कोऽपि सैंरोऽसुरोऽयो॥ श्रालेखेला श्रेणिक राजाना रूपने जोती अने ते रूपने विपेज ने चित्तवृत्ति जे-al पाणीनी एवी ते सुजेष्टा हृदयने विषे घणा वखत सुधी था प्रकारे संकल्प श्रने विकल्प ॥१॥ बाकरवा लागा. ॥५७ ॥ शुं था इंज? अथवा शुं चंऽमा डे ? शं थश्विनीकुमार।
ने ? अथवा शुं सूर्य के ? शुं आ काम ले ? अथवा कार्तिकस्वामी ने ? के, वली
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