Book Title: Sulsa Charitam
Author(s): Harishankar Kalidas Shastri
Publisher: Jain Vidya Shala
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
मोक्षसाधक योगोनुं साधन करनारा, विषयना समूहनी श्राझाने बाध करनारा (अमर्थात् विषय नहिं जोगवनारा ), वली मनुष्यक्षेत्रमा रहेला श्रने दमादिक दश प्रका-1||
रनी धर्मनूमि रूप सर्वे साधु हारुं शरण था. ॥३०॥ संसार रूप समुज्ने तारवामां समर्थ, सर्व प्राणीउने हितकारी, शमताए करीने उत्तम, दश प्रकारे जिनेश्वर प्रजुए।
'शिवसाधकयोगसाधका, विषयग्रामनियोगबाधकाः॥ शरणं तव सर्वसाधवो, मनुजदेवगताः दमानुवः॥ ३० ॥ नवसागरतारणहमः, सकलप्राणिदितः शमोत्तमः॥ शरणं देशधा जिनोदितस्तव धर्मः शिवशर्मसाधनम्॥३१॥ कुमतं यदि प्ररूपितं, "जिनधर्मो यदपतस्त्वया ॥
गुणिनां गुणमत्सरः कृतः, कुंकुटुंबं पुंपुषे मैमत्वतः ॥ ३॥ कहेलो श्रने मोक्ष सुखनुं साधन एवो धर्म, हारं शरण था. ॥३१॥ तें श्रा खोकमां
जे कुमतने निरुपण कस्यो होय थने जे जिनधर्मनो उपरोह कस्यो होय, तेमज गु-18 पाणी पुरुषोना गुणनो मत्सर कस्यो होय अथवा ममत्वपणाची खराब कुस, पोषण
190000000000000
कककक०००००००००००००००००००००००००
क
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228