Book Title: Subhashit Shloak Tatha Stotradi Sangraha
Author(s): Bhavvijay
Publisher: Bhupatrai Jadavji Shah

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Page 288
________________ श्री शत्रुंजयनो रास्त्र । माय । शांतिनाथ जिन सोलमा ए, प्रणमीजे तसु पाय; श० || ६ || वंश पोरवाडे परगडो ए, सोमजी शाह मलार । रूपजी संघवी करावीयो ए, चोमुख मूल उद्धार; श०||७|| चोमुख प्रतिमा चरिचीयें ए, भमति मांहे भलां बिब | पांचे पांडव पूजियें ए, अदभुत आदि प्रलंब; ॥ ८ ॥ खरतर सहि खांशुं ए, बिंच जुहारुं अनेक । नेमिनाथ चोरी नमुं ए, टालुं अलग उद्वेग श० ॥ ६ ॥ धर्मद्वार मांहे निसरु ए, कुगति करूं प्रति दूर । श्रावुं आदिनाथ देहरे ए, कर्म करुं चकचूर; श० ॥ १० ॥ मूलनायक प्रणमुं मुदा ए, आदिनाथ भगवंत | देव जुहारुं देहरे ए, भमती मांहे भगवंत; श० ॥ ११ ॥ शेत्रुंजा उपर कीजिये ए, पांचे ठामे स्नात्र । कलश श्रट्ठोत्तर सो करी ए, निर्मल नीरशुं गात्र; श० ॥ १२ ॥ प्रथम आदीश्वर आगले ए, पुंडरीक गणधार । रायण तल पगलां नमो ए, शांतिनाथ सुखकार; श० || १३ || रायतले पगलां नमुं ए, चोमुख प्रतिमा चार । बीजी भूमें बिंबवली ए, पुंडरीक गणधार; श० ॥ १४ ॥ सूरजकुंड निहालीयें ए, अति भली उलखाजोल । चेलग तलाई सिद्धशिला ए, अंगे फरसुं उल्लोलः श० ॥ १५ ॥ आदिपुर पाजें उतरुं ए, सिद्धवड लहुं विश्राम । चैत्यप्रवाडी इणी परे करी ए. सीध्यां वांछित कामः श० ॥ १६ ॥ * श्री जिनराज सूरीश्वरु ए, खरतर गच्छ गणधार । स्वाथे जेणे प्रतिष्ठा करी ए, शुभ दिवस शुभ वार ॥ श० ॥ इति प्रत्यन्तरेऽधिकः पाठः ५९

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