Book Title: Subhashit Shloak Tatha Stotradi Sangraha
Author(s): Bhavvijay
Publisher: Bhupatrai Jadavji Shah

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Page 334
________________ मैसुरमां चातुर्मास, मैसुर नरेशनी मुलाकात. २१ क्रमे मुनिराज श्री मैसुर पधार्या, अने श्रीसंघनी आग्रहभरी विनतिथी १९८७ नुं चतुर्मास मैसुरमांकयु. मुनिवर्यनी ख्याति सांभळी दूर-दूरथी मनुष्यो वंदनार्थ आववा लाग्या, अने मैसुरना श्रीसंघे ए दरेकनी योग्य आदर-सत्कार साथे अपूर्व व्यवस्था करी हती. अहींना श्री संघे आ चोमासामां सवारना पोतानो धंधो बंध करी मुनिराजश्रीना व्याख्याननो लाभ लेवा नियम राख्यो हतो. हमेशां प्रभावना थती हती. मैसुरना चतुर्मास दरम्यान मुनि महाराजना पवित्र ज्ञान अने दिव्य तपोबलना प्रभावथी अनेक कल्याणकारी कार्यों थयां. मैसुरना जैनोमा जे परस्पर क्लेश हतो तेने मुनिराजश्रीए उपदेशद्वारा दूर कराव्यो. तेमणे मैसुर शहेरमा जाहेर व्याख्यानो पण देवां शरु काँ, हजारो मनुष्योनी मेदनी बच्चे तेमनो वैराग्यमय अने नीतिमय अमोघ उपदेश सांभळी संख्यावंध मनुष्योने अहिंसा, सत्य अने नीतिमय पवित्र जीवन गुजारवा. रुचि प्रगटी. पोताना शहेरमां आवा एक तपोमूर्ति ज्ञानी गुरु पधार्या छे, ए वात ठेठ मैसुर-नरेशना कान सुधी पहोंची. तेमने आ ज्ञानी मुनिराजनी मुलाकात लेवानी उत्कंठा थई, अने सन्मान-पूर्वक आमंत्रण देवायु. दुनियानुं भलं ज करवानी अहोनिश भावनावाळा मुनिराजे मुकरर करेला टाइमे मैसुरमहाराजानी मुलाकात लीधी. विवेकी नरेन्द्र ज्ञानी मुनिरा

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