Book Title: Subhashit Shloak Tatha Stotradi Sangraha
Author(s): Bhavvijay
Publisher: Bhupatrai Jadavji Shah
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बीजपुरमा शान्तिस्नात्रथी थयेल प्लेगनी शान्ति.
६९
बीजापुरमा प्लेगनो उपद्रव चालु थयो. दिवसे दिवसे ए कारमा रोगे जोर पकडयुं, अने संख्याबंध मनुष्योनो संहार थवा लाग्यो . आ हृदयद्रावक दृश्यथी व्याकुल बनेला श्रीसंघना आगेवान श्रावको एकठा थई मुनिराजश्रीने तेनी शान्ति माटे क्रिया करवा विनति करी. त्यारे दयाळु मुनिवर्ये जणाव्युं के - " महाप्रभाविक शान्ति - स्नात्र भणावो, शासनदेवनी कृपाथी रोगनी शान्ति थई जशे . " प्लेगथी विळ बनेला श्रीसंघे आ वचन सांभळी तुरत शान्ति - स्नात्र संबन्धी सामग्री तैयार करी, अने मुनिराज श्री भावविजयजी महाराजनी आगे - वानी नीचे शान्ति - स्नात्र भणाववामां आव्युं. ए पवित्र क्रियाना प्रभावथी, शासनदेवनी कृपाथी, अने महात्मा मुनिराजना अतिशयथी ए कारमा रोगनी शान्ति थई; तेथी जैनेतरो पण जैन - शासननी उत्तमता विषे मुक्त कंठे प्रशंसा करवा लाग्या.
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बीजापुरी विहार.
आवी रीते बीजापुरमा कुशल - शान्ति पूर्वक चतुर्मास पूर्ण कर्यु, अने संवत् १९९० ना कार्तिक वदि सातमना रोज श्री संघ-समुदाय साथै सवारना आठ बजे विहार कर्यो. विहार दरम्यान रस्तामां आवता हाथणी, सांगली, विगेरे गामोमां जैन तथा जैनेतरोने उपदेश आपता, भाविक श्रावकश्राविकाओने व्रत उच्चरावता, केटलाक मांसाहारी अने दारुडीयाओने प्रतिबोधी मांस, शिकार अने दारु विगेरेनी प्रतिज्ञा करावता कराड पधार्या.
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