Book Title: Subhashit Shloak Tatha Stotradi Sangraha
Author(s): Bhavvijay
Publisher: Bhupatrai Jadavji Shah
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संसारी कुटुंबीओनो मेळाप, धारवाड तरफ विहार.
३५
वना करी ल्हावो लीधो. हुबलीना विवेकी श्रीसंघे पण आ मोंघेरा महेमानोनो आदर सत्कार करवामां मणा न राखी. चतुर्मास पूर्ण थवाथी मुनिराजश्रीए धारवाड तरफ विहार करतां पहेलो मुकाम गोळकवाडा कर्यो, हुबलीथी केटलाएक भाविक श्रावको साथे आव्या हता; त्यां श्रीयुत भाणजीभाई तरफथी साधर्मिक-वात्सल्य करवामां आव्यु.
प्रभावक मुनिराजनुं शुभागमन. संवत् १९८९ ना मागशर शुदि छह शनिवार धारवाडमां एक उत्सवनो दिवस हतो.शहेरना मुख्य-मुख्य रस्ताओ उपर घजा--पताकादिथी सजावट थइ रही हती. सवारथी ज लोकोनी दोडधाम शरु थइ गइ हती. ए दिवसे धारवाडना श्रीसंघना परम सौभाग्यथी मुनि महाराज श्री भावविजयजी हुबलीथी ग्रामानुग्राम विहार करता धारवाड पधार्या हता. आप जगत्पूज्य, शास्त्र विशारद, जैनाचार्य, श्रीमद् विजयधर्मसूरीश्वरजी महाराजना पट्टधर-इतिहास तत्त्व महोदधि आचार्य श्री विजयेन्द्रसूरीश्वरजी महाराजना शिष्य छो, आप चारित्रपात्र अने विद्वान् छो, मैसुर अने हुबलीना चातुर्मास दरम्यान आपनी प्रभावशाली देशनाथी अनेक धार्मिक कार्यों थयां हतां, वळी दावणगिरिनो प्रतिष्ठा महोत्सव आपनी ज आगेवानी नीचे उत्साह-पूर्वक पूर्ण थयो हतो; इत्यादि आपना प्रभाव अने गुणोनी सुगंध धारवाडना श्रीसंघमां
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