Book Title: Subhashit Shloak Tatha Stotradi Sangraha
Author(s): Bhavvijay
Publisher: Bhupatrai Jadavji Shah

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Page 372
________________ भाई साकरचंद तथा भाई जीवराजनो दीक्षा-महोत्सव.. ५५ आवी रीते आ प्रसंग उपर तमाम बोली बोलनार अने लाभ लेनार महाशयो तरफथी आशरे पंदर हजार रूपियानी आवक थइ. उत्सव आराधनाना दिवसोमां तरेहवार पकवानोथी नवकारशीओ थइ हती, सायंकाले दिगंबर भाईओने निमंत्रण दइ भोजन कराववामां आवतुं हतुं. हमेशां सवारसांज मोटा ठाठ-माठथी वरघोडो नीकळतो हतो; तेमां हाथी, घोडेस्वारो, गवर्नमेंटनुं सुप्रसिद्ध बेंड, मुंबईनी गायन मंडळी अने पालखी विगेरे सामग्रीथी अद्वितीय शोभा थइ रही हती. धारवाडना वोलींटियरोनो परिश्रम प्रशंसा-पात्र हतो. आखा धारवाड शहेरनी अंदर उत्सवना दिवसोमां आनंद-आनंद छवाइ रह्यो हतो. आ प्रमाणे सांगली निवासी सुश्रावक फकीरचंदभाईना शुभ हस्ते मुनि महाराज श्रीभावविजयजी महाराजना नेतृत्व नीचे प्रतिष्ठा-विधिनुं कार्य संपूर्ण थयु. भाई साकरचंद तथा भाई जीवराजनो वरसी दाननो वरघोडो, बन्ने मुमुक्षुओनी धारवा- डना राणी-बगीचामां श्रीसंघ समक्ष थयेली धामधूमथी दीक्षा. - प्रतिष्ठाना महान् उत्सवमां भाव-साधु वैरागीभाई साकरचंद तथा भाई जीवराजे पण उत्साह-पूर्वक संपूर्ण लाभ लीधो.

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